किसान नेताओं का कहना है कि वे प्रदर्शन के दौरान टोल प्लाजा से गुजरने वाले किसी भी गाड़ी से शुल्क नहीं वसूलने देंगे।
किसान आंदोलन के दो साल पूरे होने के मौके पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले पंजाब और हरियाणा के सैकड़ों किसानों ने शनिवार को चंडीगढ़ में संबंधित राज्यों के राजभवन की ओर मार्च किया और अलग से ज्ञापन सौंपा।
Rakesh Tikait: भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरने में किसानों की अधिग्रहित की जा रही जमीन का मुआवजा बढ़ाए जाने की मांग की।
SKM Meeting In Ghaziabad: किसानों से जुड़े मुद्दे को लेकर एसकेएम फिर से आंदोलन करने की तैयारी में है। इसे लेकर योजना पर चर्चा के लिए संयुक्त किसान मोर्च ने कल यानी 3 जुलाई को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में बैठक बुलाई है।
बैठक में लखीमपुर खीरी कांड में चल रही कानूनी प्रक्रिया की समीक्षा कर इस बात पर चिंता जताई गई पुलिस प्रशासन और अभियोक्ता सब मिलकर अपराधियों को बचाने और बेकसूर किसानों को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने दीप सिद्धू के निधन पर दुख जताया है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि लखीमपुर खीरी में जो घटना हुई थी, हम 21 तारीख से वहां पर 3-4 दिन के लिए जाएंगे। वहां पर पीड़ितों से मुलाक़ात करेंगे। जो किसान जेल में है, हम उनसे भी मिलेंगे।
लखीमपुर-खीरी हिंसा मामले में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस मामले में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
सबसे पहले नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने 26 जनवरी 2021 को लाल किला पर जमकर उत्पात किया। 26 जनवरी 2021 को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान हिंसा में एक किसान की मौत भी हुई। वहीं कुछ युवकों ने लालकिले पर तिरंगे के बराबर निशान साहिब को फहरा दिया गया।
किसानों के परिवारों ने ट्रैक्टरों में आ रहे किसानों को माला पहनाकर; लड्डू, बर्फी और अन्य मिठाइयां खिलाकर उनका स्वागत किया। किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाले गांववासी और अन्य लोग उनका स्वागत करने के लिए राजमार्गों के किनारे एकत्रित हुए और उन्होंने किसानों पर फूल बरसाए।
किसानों को राज्य के आर्थिक ढांचे की रीढ़ बताते हुए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा, ‘‘राज्य सरकार पीड़ित परिवारों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए हमेशा हर संभव कदम उठाएगी।’’
आखिरकार 378 दिन बाद किसानों का आंदोलन खत्म हो गया है। आज 11 दिसंबर को सभी अपने-अपने घर की ओर रवाना होंगे। किसानों का पहला जत्था अपने घर के लिए रवाना हो गए हैं। राकेश टिकैत ने कहा है कि वो 15 जनवरी के बाद जाएंगे। उन्होंने कहा है कि अगले चार दिनों में अधिकांश किसान चले जाएंगे।
आंदोलन करने वाले 40 किसान संगठनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय से जारी प्रदर्शन को बृहस्पतिवार को स्थगित करने का फैसला किया और घोषणा की है कि किसान 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं वाले विरोध स्थलों से घर लौट जाएंगे।
किसान नेता आजाद पालवां का कहना है की उचाना में राष्ट्रीय राजमार्ग पर किसानों की आखरी ट्रॉली नहीं गुजरने तक लंगर की सेवा सुचारू रूप से चलती रहेगी। उन्होंने कहा कि खटकड़ टोल प्लाजा पर चल रहे धरना को भी 11 दिसम्बर को खत्म कर दिया जाएगा।
किसानों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है। 11 दिसंबर से किसानों की घर वापसी शुरू होगी। किसान 15 जनवरी को समीक्षा बैठक करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन को खत्म करने का ऐलान कर दिया है। दिल्ली की सीमाओं पर पिछले एक साल से ज्यादा वक्त से किसान आंदोलन कर रहे थे। इस फैसले के बाद सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने अपने-अपने तंबू उखाड़ने शुरू कर दिए हैं। बता दें कि केंद्र ने किसानों की मांग को मान लिया है और एक नया प्रस्ताव संगठनों को भेजा जिसपर सहमति बन गई है।
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट के साथ एक वीडियो भी शेयर किया है। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा- 'अपना देश महान है, यहाँ सत्याग्रही किसान है! सत्य की इस जीत में हम शहीद अन्नदाताओं को भी याद करते हैं।'
किसानों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है। 11 दिसंबर से किसानों की घर वापसी शुरू होगी। किसान 15 जनवरी को समीक्षा बैठक करेंगे।
कांग्रेस सांसदों की बैठक में आज सोनिया गांधी ने किसान आंदोलन और राज्यसभा से 12 सांसदों के निलंबन जैसे मुद्दों पर चर्चा की। अपने बयान में उन्होंने कहा कि किसानों के प्रति सरकार असंवेदनशील है।
किसान आंदोलन कब ख़त्म होगा - इस सवाल पर अब भी सस्पेंस बरकरार है। किसान नेताओं की अब मांग है कि किसानों पर सभी दर्ज मुक़दमे वापस ले लिए जाएं।
कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब किसान भी अपने वापस लौटने को पूरी तरह तैयार हैं। 4 दिसंबर को किसानों की बैठक के बाद पांच ऐसे किसान नेता चुने गए जो सरकार से बातचीत करेंगे। इन्हीं में से एक हैं किसान नेता युद्धवीर सिंह जिन्होंने इंडिया टीवी से ख़ास बातचीत की और कृषि कानूनों की वापस से लेकर किसानों आंदोलन के अंत जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की।
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