सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसानों ने बड़ी रणनीति बनानी शुरू कर दी है और उस रणनीति के तहत चुनावी राज्यों में अपना दल भेजेंगे जो वहां की जनता को बीजेपी के खिलाफ वोट डालने के लिए अपील करेगी।
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि अगर वे इन कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और इस दौरान संयुक्त समिति के माध्यम से मतभेद सुलझाने की केन्द्र की पेशकश पर विचार करने को तैयार हों तो सरकार आंदोलनरत किसानों के साथ बातचीत को तैयार है।
अगर सिधाना जैसे लोगों ने किसानों को बदनाम किया तो किसान नेताओं ने उन्हें अपनी रैली में क्यों बुलाया? मतलब साफ है कि दंगा करने वाले, तिरंगे का अपमान करने वाले लोग पहले भी कुछ किसान नेताओं के संरक्षण में थे, आज भी उनके संरक्षण में हैं।
हमारा अगला आह्वान संसद मार्च के लिए होगा। अगर कृषि कानून वापस नहीं लिए जाएंगे तो इस बार 4 लाख ट्रैक्टर नहीं बल्कि 40 लाख ट्रैक्टर वहां जाएंगे : कल राजस्थान के सीकर में एक किसान रैली में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत
किसान नेता राकेश टिकैत ने राजस्थान के सीकर में ऐलान किया कि अगर केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया तो इस बार आह्वान संसद घेरने का होगा और वहां चार लाख नहीं चालीस लाख ट्रैक्टर जाएंगे।
किसान नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि वह केंद्र के विवादित कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के लिए समर्थन मांगने के वास्ते जल्द गुजरात का दौरा करेंगे।
नया कानून महाराष्ट्र में कितना हिट है? देखिए सीधे किसान के खेत से Exclusive रिपोर्ट
केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपना आंदोलन तेज करने के लिए 23 से 27 फरवरी के बीच कई कार्यक्रम आयोजित करने की रविवार को घोषणा की।
नया कानून महाराष्ट्र में कितना हिट है? देखिए सीधे किसान के खेत से Exclusive रिपोर्ट
बीकेयू के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने शुक्रवार को किसानों से कहा कि दिल्ली पुलिस के जवान अगर आपके गांवों में किसी को गिरफ्तार करने आते हैं तो उनका ‘घेराव’ करें और उन्हें तब तक नहीं जाने दें जब तक कि जिला प्रशासन आश्वासन नहीं देता कि उन्हें गांवों में आने के लिए फिर अनुमति नहीं दी जाएगी।
कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान कुंडली स्थित धरनास्थल पर एक और बुजुर्ग की हृदयाघात से मौत हो गई। स्वजन ने बुधवार देर रात उनका शव हरियाणा के सोनीपत जिले में नागरिक अस्पताल के शवगृह में रखवाया। रात में शव को चूहों ने कुतर दिया।
किसान संगठनों द्वारा 4 घंटे बंद का ‘रेल रोको' आह्वान किया गया था, लेकिन यह 2 मिनट से लेकर अधिकतम 120 मिनट तक ही चला पाया।
दिल्ली पुलिस ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों, विशेष रूप से ट्रेन की पटरियों के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ट्रेन की पटरियों के पास कई जगहों पर अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया गया है और गश्त भी बढ़ा दी गई है।
कृषि कानूनों को लेकर जारी आंदोलन के बीच बीजेपी अपने संकटमोचक नेता अरूण जेटली को मिस कर रही है। साल 2014 में सत्ता संभालने के एक साल बाद हीं 2015 में मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के बाद मोदी सरकार पर "किसान विरोधी" का ठप्पा लगाया गया था।
कृषि कानूनों के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के दौरान हापुड़ में भारतीय किसान यूनियन के सदस्य 'रेल रोको' अभियान के तहत रेलवे ट्रैक पर बैठ गए।
पहले ट्रैक्टर परेड फिर चक्का जाम और आज रेल रोको आंदोलन। कृषि कानून के ख़िलाफ़ किसान एक बार फिर फुल एक्शन में हैं और इस बार उनके प्रदर्शन का अड्डा है रेलवे ट्रैक। 4 घंटे के रेल रोको आंदोलन का ऐलान किया गया है लेकिन पटना में समय से पहले ही ये आंदोलन शुरू कर दिया गया था। प्रदर्शनकारी रेलवे ट्रैक पर पहुंचे गए, पटरियों पर लेट गए और ट्रेन भी रोक दी। इसके बाद मौके पर मौजूद पुलिस ने सभी को ट्रैक से हटाया।
केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के ‘रेल रोको’ आह्वान के बाद ट्रेन की पटरियों के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी है।
किसान संगठनों के मुताबिक, गुरुवार को देशभर में हजारों किसान रेल की पटरियों पर बैठेंगे. किसानों की योजना पूरे देश के रेल नेटवर्क को चार घंटों के लिए ठप करने की है
कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसानों के आंदोलन के तहत गुरुवार को दोपहर 12 से 4 बजे तक देशभर में रेल रोको कार्यक्रम का ऐलान किया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शनकारियों से इस दौरान शांति बनाए रखने की अपील की है।
टूलकिट साजिश की जांच में ऐसे ऐसे चेहरे सामने आ रहे हैं...जो हैरान करने वाले हैं...कोई बीस-पच्चीस साल का एक्टिविस्ट है...तो कोई खालिस्तानी और आईएसआई से जुड़ा एजेंट...किसान आंदोलन की शुरुआत के साथ ही विदेश में बैठे खालिस्तानी आकाओं ने साजिश रचनी शुरू कर दी थी और उनका साथ भारत में निकिता जैकब...दिशा रवि और शांतनु मुलुक जैसे लोग दे रहे थे
संपादक की पसंद