कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा की सरकार किसानों को नजरअंदाज कर रही, सरकार को अपनी जिद छोड़ कर किसानों से खुले मन से बात करनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा की इस मामले में अब तक सरकार का रवैया निराशाजनक और अलोकतांत्रिक रहा है।
लोगों को हो रही परेशानी पर राकेश टिकैत ने कहा कि बंद या लॉकडाउन होता है तो लोग परेशान तो होते ही हैं, पहले जब लॉकडाउन हुआ तो लोग हजारों किलोमीटर पैदल गए। सबको पता था आज भारत बंद है, सबको लंच के बाद घर से निकलने को कहा था।
कृषि कानूनों के विरोध में पिछले साल से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने आज 'भारत बंद' की अपील की है। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बुलाए गए इस भारत बंद का सबसे असर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा भाजपा के विरोधी दलों द्वारा शासित कई अन्य राज्यों में दिखाई दे सकता है।
राकेश टिकैत ने पानीपत में ‘‘किसान महापंचायत’’ में कहा, ‘‘आंदोलन को दस महीने हो गए। सरकार को कान खोलकर सुनना चाहिए कि अगर हमें दस वर्षों तक आंदोलन करना पड़े तो हम तैयार हैं।’’
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेतृत्व में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले किसानों द्वारा सोमवार को आहूत 10 घंटे के राष्ट्रव्यापी बंद को कई गैर-राजग दलों ने समर्थन दिया है। एसकेएम ने रविवार को बंद के दौरान पूर्ण शांति की अपील की और सभी भारतीयों से हड़ताल में शामिल होने का आग्रह किया।
किसान आंदोलन को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में एक अहम सुनवाई होनी है। किसान दिल्ली की सीमाओं पर कई समय से आंदोलन कर रहे हैं जिसमें उन्होंने सड़कें जाम कर रखी हैं। लिहाजा अब सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई कर रहा है।
हरियाणा सरकार की हाई पावर कमेटी रविवार को कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ बातचीत करेगी. इस बैठक में कुंडली सिंघु बॉर्डर पर नेशनल हाईवे 44 को खाली करने पर चर्चा होगी.
टिकैत ने यहां किसानों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आंदोलनों में धर्म स्थानों का विशेष योगदान है और गुरु गोविंद सिंह ने भ्रमण के दौरान खाप पंचायतों से संपर्क किया था तथा इसके बाद पीड़ित लोगों से धैर्य रखने को कहा था।
शिरोमणि अकाली दल के कार्यकर्ता आज दिल्ली की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन इसका असर दिल्ली की जनता की रोज़ाना आवाजाही पर पड़ रहा है।
दिल्ली की सड़कों पर कृषि कानून के खिलाफ अकाली दल के कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए पुलिस ने कई रोड बंद कर दिए हैं और बैरीकेट भी लगा दी है। लेकिन कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच भिड़ंत जारी है।
अब सवाल यह उठता है कि अगर पंजाब की अकाली सरकार द्वारा बनाया गया कृषि कानून वाकई में किसानों के खिलाफ हैं, तो कांग्रेस की सरकार ने उन्हें रद्द क्यों नहीं किया?
28 अगस्त को किसानों पर हुए लाठी चार्ज के बाद, एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर चल रहा किसान आंदोलन का आज चौथा दिन है। किसानों और अफसरों के बीच आज तीसरे दौर की बातचीत सुबह 9 बजे शुरू होगी, देखे विस्तृत रिपोर्ट
किसान राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न बॉर्डर पर पिछले नौ महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की मांग पर अड़े हैं।
वहीं करनाल में जिला सचिवालय का घेराव करते हुए किसानों ने पक्का मोर्चा जमा लिया है। वहीं खाना, पानी और कपड़े मंगवाए हैं। लंबे संघर्ष की तैयारी है। राकेश टिकैत का कहना है कि न्याय मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा।
दरअसल हरयाणा के 5 जिलों, करनाल, जींद, पानीपत, कैथल और कुरुक्षेत्र में इंटरनेट सेवाओं पर पहले रोक लगी हुई थी, हालांकि 4 जिलों में सामान्य रूप से नेट चालू हो चुका है लेकिन करनाल में अभी भी इंटरनेट सेवाओ पर रोक बरकरार है।
हरियाणा के करनाल में किसान मिनी सचिवालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं। किसान पिछले महीने हुए पुलिस लाठीचार्ज को लेकर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। किसान संगठनों ने प्रदर्शनकारियों पर 28 अगस्त को करनाल में हुए पुलिस लाठीचार्ज को लेकर कार्रवाई की मांग की थी और ऐसा नहीं होने पर उन्होंने मिनी सचिवालय का घेराव करने की धमकी दी थी। करनाल में मोबाइल इंटरनेट सेवा के निलंबन की अवधि बुधवार आधी रात तक बढ़ा दी गई है।
प्रशासन के साथ वार्ता विफल होने के बाद किसानों ने लघु सचिवालय के बाहर डेरा डाल रखा है. आज दूसरे दिन भी किसानों का धरना जारी है.
करनाल में मोबाइल इंटरनेट सेवा के निलंबन की अवधि बुधवार आधी रात तक बढ़ा दी। इससे पहले यह सेवाएं करनाल के अलावा कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद और पानीपत में मंगलवार आधी रात तक के लिए निलंबित की गई थीं।
अब दिल्ली बॉर्डर की तरह ही किसान अनिश्चितकाल के लिए हरयाणा के करनाल में भी धरने पर बैठ चुके हैं। उन्होंने खट्टर सरकार से अपनी मांगों को पूरी करने की मांग की है।
करनाल जिला सचिवालय का घेराव करते हुए किसानों ने पक्का मोर्चा जमा लिया है। वहीं खाना, पानी और कपड़े मंगवाए हैं। लंबे संघर्ष की तैयारी है। राकेश टिकैत का कहना है कि न्याय मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा।
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