PM मोदी को Man Of Action क्यों कहा जाता है ? इसका सबूत आज खुद प्रधानमंत्री ने दे दिया है। तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला आसान नहीं था। लेकिन..मोदी ने ये निडर फैसला लिया। अब दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसान मोदी को Thank You कह रहे हैं। लेकिन मोदी विरोधी इसमें भी अपनी सियासी ज़मीन तलाश रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्होंने किसानों के हित में ये तीनों कृषि कानून परित किये थे लेकिन वह लोगों को इस संबंध में समझा नहीं पाए और इसलिए इन कानूनों को वापस लिया जा रहा है।
शनिवार को कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों से मुलाकात करने के लिए कहा गया है।
बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह किसान आंदोलन की शुरुआत से ही इसके समर्थन में खड़े रहे हैं। अमरिंदर सिंह ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए कई बार पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तीन कृषि कानून किसानों के फायदे के लिए थे लेकिन हमारे सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद हम किसानों के एक वर्ग को मना नहीं पाए।
संयुक्त किसान मोर्चा की मंगलवार को सिंघु बॉर्डर के पास एक बैठक हुई है और किसान आंदोलन को आगे ले जाने को लेकर रणनीति तैयार की गई है। इसी बैठक में फैसला किया गया है कि 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान रोजाना 500 किसान ट्रैक्टर लेकर संसद भवन की तरफ मार्च करेंगे।
पुलिस ने हालात पर काबू पाने के लिए किसानों पर लाठीचार्ज कर दिया। लाठीचार्ज में कई किसानों के घायल होने की खबर है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कई किसानों को हिरासत में भी लिया है।
पुलिस उपायुक्त (बाहरी) परविंदर सिंह ने कहा, ''हमने सुबह किसान नेताओं के साथ बैठक की और बाद में दोपहर करीब 1 बजे दिल्ली से हरियाणा की ओर जाने वाले मार्ग को खोल दिया गया और यातायात शुरू हो गया।''
टिकरी बॉर्डर के बाद अब गाजीपुर बॉर्डर से बैरिकेड हटाने का काम शुरू हो गया है। गाजीपुर बॉर्डर पर सड़क के एक लेन से पुलिस ने पूरी तरह हटाए बेरिकेड्स हटा दिए हैं।
इसके अलावा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को उनके पद से हटाने की मांग के साथ सरकार को एक ज्ञापन सौंपा जाएगा उन्होंने कहा कि विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन से जुड़े सभी किसान समूह अखिल भारतीय प्रदर्शन का समर्थन करेंगे।
पीड़ित ने यह दावा किया कि वह एक फार्म से चिकन लेकर प्रदर्शन स्थल के पास डिलिवरी के लिए जा रह था। उसी समय सरदार जी आए और उससे चिकन की मांग करने लगे।
गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों द्वारा नीचे की सर्विस रोड वाले हिस्से को खोला जा रहा है। जो रोड गाजियाबाद से दिल्ली की तरफ जाती है, उसके सर्विस लेन वाले हिस्से को खोला जाएगा जिस पर मीडिया सेंटर बना था और जहां लंगर लगते थे। अब किसान सिर्फ ऊपर फ्लाईओवर वाले हिस्से पर बैठे रहेंगे।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने गुरुवार को कहा कि 'हमने कहां रास्ता रोक रखा है, पुलिस ने रास्ता रखा है, हम पूरा रास्ता खोलेंगे, दिल्ली जाएंगे, हमने तो दिल्ली जाना है।'
दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के सड़कें बंद करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। दिल्ली के बॉर्डर से किसानों को हटाने के लिए दायर याचिका पर कोर्ट ने समय देते हुए 7 दिसंबर को अगली सुनवाई तय की है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एसके कौल ने कहा कि सड़कें साफ होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम बार-बार कानून तय करते नहीं रह सकते। आपको आंदोलन करने का अधिकार है, लेकिन सड़क जाम नहीं कर सकते।
नए कृषि कानूनों को लेकर देशभर में जारी किसान आंदोलन के कारण बंद रास्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है। मोनिका भारद्वाज और हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई शुरू हो चुकी है।
राकेश टिकैत ने कहा कि सिंघु बॉर्डर पर मर्डर के पीछे बड़ी साजिश है। गिरफ्तारी हुई अब कानून अपना काम करेगा। सिंघु बॉर्डर पर पुलिस प्रशासन के सामने हत्या की गई।
प्रदर्शनकारी किसानों ने सोमवार को चिल्ला बॉर्डर बंद कर दिया, जिसके बाद नोएडा एक्सप्रेस वे पर भीषण जाम लग गया। पुलिस के मनाने पर किसान मान गए और सेक्टर 6 अथॉरिटी में सीईओ से मिलने के लिए राजी होने के बाद किसान सड़क से हट गए।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की सोमवार को बैठक होगी, जिसमें पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से लेकर किसानों के आंदोलन तथा कोविड-19 महामारी जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है।
सिंघू बॉर्डर के पास किसानों के प्रदर्शन स्थल पर एक मजदूर की पीट-पीट कर हत्या करने में कथित तौर पर संलिप्त रहे तीन लोगों को सोनीपत की एक अदालत ने छह दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया है।
सिंघु बॉर्डर पर एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या को लेकर आलोचना झेल रहे किसान नेताओं ने शनिवार को कहा कि वे प्रदर्शन स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाकर तथा स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ाकर सुरक्षा चौकस करेंगे और इस घटना का केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
संपादक की पसंद