किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए पंजाब-हरियाणा बोर्डर को बंद कर दिया गया है। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए दोनों राज्यों में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है।
संसद में केंद्र सरकार द्वारा कृषि से जुड़े तीन विधेयक पास करने का लगातार विरोध हो रहा है। विरोधी राजनीति दलों समेत कई किसान संगठन इसका विरोध कर रहे है। 25 सितंबर को इसी सिलसिले में किसान संगठनों द्वारा पूरे देश में बंद का आह्वान किया गया है।
अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के लिए रवाना हुए हजारों की संख्या में किसानों को पुलिस ने उत्तर प्रदेश सीमा पर रोक दिया है, जिससे दिल्ली-उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय राजमार्ग 9 (24) पर भारी जाम लग गया है।
हजारों किसान गुरुवार से ही रामलीला मैदान में रूके हुए थे और शुक्रवार की सुबह उन्होंने संसद भवन की ओर मार्च शुरू किया। किसान कर्ज माफी और फसलों की अधिक कीमतों की मांग सहित कई अन्य मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा 29 और 30 नवंबर को आहूत संसद मार्च को वाम दलों सहित 21 राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि अगर भाजपा सरकार किसानों के मुद्दों पर ध्यान नहीं देती है तो वह गुजरात में आंदोलन करेंगे।
उन्हें अपनी मांगों को मनवाने के लिए विरोध करने का लोकतांत्रिक अधिकार भी है। लेकिन मंगलवार को जिस तरह का दृश्य देखने को मिला वह कुछ और ही तस्वीर बताता है।
बसपा प्रमुख ने कहा कि वैसे तो भाजपा की केंद्र व राज्य सरकारों की गरीब व किसान विरोधी नीतियों से समाज का हर वर्ग काफी पीड़ित है, खासकर किसान वर्ग के लोग इस सरकार में कुछ ज्यादा ही संकट झेल रहे हैं।
देर रात अचानक किसानों को दिल्ली में एंट्री की खबर मिलते ही सड़कों पर सो रहे किसान जाग उठे और ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर दिल्ली की ओर कूच कर गए। देर रात यूपी गेट और लिंक रोड पर करीब 3000 किसान मौजूद थे, जो सड़कों पर सो रहे थे।
किसानों का ये मार्च रामलीला मैदान से शुरू हो चुका है और ये संसद भवन तक जाएगा। महंगाई, रोजगार और कर्जमाफी की मांग पर वामपंथी संगठनों से जुड़े मजदूर और किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।
अपनी उपजों के वाजिब दाम, कर्ज माफी एवं अन्य मांगों को लेकर किसानों के 10 दिवसीय देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ के दूसरे दिन आज मध्यप्रदेश में शांति बनी रही, लेकिन कृषि उपज मंडियों में इसने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है।
मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन के तहत 'गांव बंद' के पहले दिन शुक्रवार को छोटे शहरों में इसका व्यापक असर रहा। किसी गांव से फल, सब्जियां व दूध शहर नहीं आया, जिससे लोगों को परेशानी हुई।
किसानों के स्वागत में जहां मुंबई वासियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी, वहीं किसानों ने भी अपने लॉन्ग मार्च के दौरान मुंबई वासियों को कोई असुविधा नहीं होने दी। यहां तक कि 30,000 किसानों की मौजूदगी के बावजूद पुलिस को दक्षिण मुंबई का यातायात भी इधर-उधर करने की
राज ठाकरे ने आज मुंबई पहुंचे आंदोलनकारी किसानों को संबोधित किया और कहा कि सरकार आपकी मांग नहीं मानेगी और लालच देकर करेगी गुमराह करने की कोशिश करेगी.
मुख्यमंत्री मंदसौर के लोध गांव जाएंगे। यहां से वह नीमच जिले के जीरन में ग्राम नयाखेड़ा, मंदसौर के बरखेडापंथ, पिपलिया मंडी, बूढ़ा, टकरावद, सुवासरा में हिंसा प्रभावित परिवारों से मुलाकात करेंगे। वहां से मंदसौर पहुंचकर संजय गांधी उद्यान स्थित पंडित मदनल
विधायक और उनके साथियों ने पुलिस थाने में आग लगाने और कत्लेआम करने की धमकी दी और साथ ही शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाई थी, जिसके आधार पर खटीक व कांग्रेस की ब्लॉक की अध्यक्ष बीना गोयल सहित अन्य लोगों के खिलाफ दंगा भड़काने, शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने
पाटीदार नवनिर्माण सेना के राष्ट्रीय महासचिव अखिलेश कटियार के अनुसार, हार्दिक पटेल मंदसौर के लिए उदयपुर से निकले थे। वह पीड़ितों के परिजनों के साथ कई अन्य किसान नेताओं से भी मिलना चाहते थे।
मध्य प्रदेश में शांति बहाली के लिए शनिवार से भेल के दशहरा मैदान में अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को उपवास तोड़ दिया। उन्होंने पार्टी नेताओं और किसानों के आग्रह पर अपना उपवास खत्म किया है।
मध्य प्रदेश में शांति बहाली और किसानों से उनकी मांगों पर चर्चा के लिए शनिवार से भेल के दशहरा मैदान में अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वह तो किसानों के लिए जिंदगी तक दे देंगे।
"हमने किसानों से अपील की थी कि वे सोशल मीडिया को अपना प्लेटफॉर्म बनाकर सरकार के साथ दुनिया भर के असंख्य लोगों तक अपनी बात पहुंचाएं। वे एक हाथ से ट्रैक्टर का स्टियरिंग पकड़ें और दूसरे हाथ में मोबाइल फोन थाम कर अपनी समस्याओं को लेकर ट्वीट करें।"
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