ऐसा कैसे हो सकता है कि केरल में APMC की जरूरत नहीं है, लेकिन यूपी, पंजाब और हरियाणा में यह जरूर होनी चाहिए? ऐसा दोहरा मानदण्ड क्यों है?
तेजस्वी यादव तक बिहार के किसानों से किसान आंदोलन का समर्थन करने की अपील कर चुके है, लेकिन अब तक बिहार के किसान इस आंदोलन को लेकर सडकों पर नहीं उतरे हैं।
आंदोलनकारी किसानों से कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए आगे आने की अपील करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि यदि किसानों को कानून लाभकारी नहीं लगते तो सरकार उनमें संशोधन करेगी।
आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने गुरुवार को आरोप लगाया कि वार्ता के लिए सरकार का नया पत्र कुछ और नहीं, बल्कि किसानों के बारे में एक दुष्प्रचार है ताकि यह प्रदर्शित किया जा सके कि वे बातचीत को इच्छुक नहीं हैं।
कृषि कानून के विरोध में जहां दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन पिछले 29 दिन से जारी है तो कानून के समर्थन में भी किसानों का शक्ति प्रदर्शन चल रहा है। आज नोएडा में कृषि कानून के समर्थन में बड़ी तादाद में किसान ट्रैक्टर रैली निकाल रहे हैं।
राजग की घटक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संयोजक व नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने किसान आंदोलन के समर्थन में व लोकहित के मुद्दों को लेकर संसद की तीन समितियों के सदस्य पद से त्याग पत्र देने की घोषणा की है।
मुझे लगता है कि जब सरकार खुद सवालों के जबाव दे रही है, और किसानों से कह रही है कि उन्हें उनके सारे सवालों के जवाब मिलेंगे, ऐसे में अड़ियल रुख अपनाने और कानूनों को निरस्त करने की मांग करने का कोई मतलब नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार द्वारा नए कृषि कानून रातों-रात नहीं लाए गये हैं, बल्कि राजनीतिक दल, कृषि विशेषज्ञ और यहां तक कि किसान भी लंबे समय से इनकी मांग कर रहे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि जिन लोगों की अपनी राजनीतिक जमीन खिसक रही है वो लोग अपनी जमीन बचाने के लिए किसानों को उनकी जमीन छिनने का डर दिखा रहे हैं। प्र
किसानों को भड़काने के लिए जवानों के बारे में झूठ फैलाया जाए, इससे घटिया बात और क्या हो सकती है। इसकी जितनी निंदा की जाए, वह कम है।
शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने मंगलवार को अपनी पार्टी की पूर्व सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर जमकर हमला बोला है।
किसान संगठनों को तीनों कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए कृषि मंत्री की ओर से दिए गए प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहिए, ताकि समाधान का रास्ता निकल सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को गुजरात में एक दिन के कच्छ दौरे पर पहुंचे। प्रधानमंत्री ने इस दौरान अपने भाषण में देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि किसानों को भ्रमित करने की साजिश चल रही है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि किसान नेताओं को तीनों कानूनों पर चर्चा करनी चाहिए, हमारे कृषि मंत्री इसके लिए तैयार हैं। गडकरी ने कहा कि कुछ तत्व ऐसे हैं जो इस आंदोलन का फायदा लेकर किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
किसान आंदोलन को लेकर सिंघु बॉर्डर से किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि कल सारे संगठनों के मुखिया सुबह 8 बजे से शाम पांच बजे तक एक दिन के लिए भूख हड़ताल रखेंगे।
पीयूष गोयल ने कहा कि इस आंदोलन की आड़ में शाहीन बाग की तरह कुछ ताकतें अराजकता फैलाने की कोशिश कर रही है।
जब संसद ने नए कृषि कानूनों को मंजूरी दी, तो इन वामपंथी नेताओं ने भोले-भाले किसानों को भड़काया और आंदोलन पर अपना कब्जा कर लिया।
भारत के घरेलू मामलों में विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ नरेंद्र मोदी सरकार के कड़े रुख से कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अपनी बयानबाजी और किसान आंदोलन को समर्थन देने से पीछे हटना पड़ा है।
किसान नेताओं को समझना होगा कि जब तक इस तरह के राष्ट्रविरोधी तत्व अपने स्वार्थ के चलते किसानों के बीच मौजूद हैं, तब तक कोई रास्ता नहीं निकलेगा।
सिघू बॉर्डर से किसान नेता बूटा सिंह ने कहा है कि यदि सरकार ने तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया तो अब रेलवे ट्रैक्स को भी ब्लॉक किया जाएगा।
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