नए कृषि कानूनों पर विमर्श के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने गुरुवार को देश के 8 राज्यों के 10 किसान संगठनों से बातचीत कर कानून के संबंध में उनकी राय ली।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने बुधवार को कहा कि ऐसा लगता है कि दिल्ली के बाहर बेहद सर्द मौसम में नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के प्रति केंद्र को जरा भी हमदर्दी नहीं है।
मैं किसान नेताओं के बीच पैदा हुई दरार को लेकर ज्यादा चिंतित हूं। उनके बीच अब किसानों की बात कम हो रही है, और सियासत की बात ज्यादा हो रही है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमला बोला और कहा कि देश में कृषि व्यवस्था के ढांचे को तहस-नहस करने की कोशिश की जा रही है।
किसानों ने साफ कह दिया कि वे सरकार से बात करने आए हैं और आगे भी आएंगे, लेकिन बात तभी बनेगी जब सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले लेगी।
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा और अपना फैसला दोहराया कि ‘वह जनवरी के अंत में दिल्ली में किसानों के मुद्दे पर अंतिम भूख हड़ताल करेंगे।’
किसान पहले सरकार की नहीं सुन रहे थे और अब कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट की भी नहीं सुनेंगे, तो सवाल उठता है कि वे लोकतंत्र में फिर किसकी सुनेंगे?
कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कमेटी बनाएं जाने के फैसले के बाद किसान नेताओं ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। किसान नेताओं ने कहा कि हमारा आंदोलन अनिश्चितकालीन जारी रहेगा।
केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए कृषि कानून और किसानों के आंदलोन के मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट अपना आदेश सुनाएगा।
कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा। उच्चतम न्यायालय ने कड़ाके की सर्दी में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों की स्थिति पर चिंता जताते हुये सोमवार को आशंका व्यक्त की कि कृषि कानूनों के खिलाफ यह आन्दोलन अगर ज्यादा लंबा चला तो यह हिंसक हो सकता है।
दिल्ली-हरियाणा सिंघु सीमा पर पंजाब के 40 वर्षीय एक किसान ने जहर खाकर खुदखुशी कर ली। मृतक अमरिंदर सिंह पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले के रहने वाले थे। शनिवार देर शाम उन्होंने सल्फास खा लिया, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस ने फैसला किया है कि किसानों के समर्थन में 15 जनवरी को हर प्रांतीय हेडक्वार्टर पर कांग्रेस पार्टी किसान अधिकार दिवस के रूप में एक जनआंदोलन तैयार करेगी, धरना प्रदर्शन और रैली के बाद राजभवन तक मार्च करेंगे।
कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़ें किसान संगठनों और सरकार के बीच आज आठवें दौर की बातचीत हुई।
किसान आरपार की लड़ाई लड़ने के मूड से दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे हैं। दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन का आज 42वां दिन है। टीकरी बॉर्डर पर किसानों ने परमानेंट स्ट्रक्चर बना लिया है।
कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच 7वें दौर की बैठक भी सोमवार को बेनताजी रही। बैठक खत्म होने के बाद एक किसान नेता कहा कि हमने सरकार को बताया कि पहले कृषि क़ानूनों को वापिस किया जाए, MSP पर बात बाद में करेंगे।
पंजाब के कई ऐसे किसानों ने मुझे वीडियो भेजे हैं, जो यह बताना चाहते थे कि किसानों के आंदोलन के नाम पर वामपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा गांवों में किस तरह से फर्जी प्रचार किया जा रहा है।
किसान आंदोलन मंगलवार को 34वें दिन जारी है। किसानों के मसले का समाधान तलाशने और आंदोलन को समाप्त करने के लिए सरकार के साथ किसान नेताओं की वार्ता अब 30 दिसंबर को होगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को केंद्र से नए कृषि कानूनों को वापस लेने की अपील करते हुए कहा था कि किसान जीवित रहने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।
मुझे लगता है कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जो किसान दिल्ली के बॉर्डर पर कड़ाके की ठंड में एक महीने से धरने पर बैठे हैं, उन्हें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और सोचना चाहिए कि क्या वे सही रास्ते पर हैं?
ऐसा कैसे हो सकता है कि केरल में APMC की जरूरत नहीं है, लेकिन यूपी, पंजाब और हरियाणा में यह जरूर होनी चाहिए? ऐसा दोहरा मानदण्ड क्यों है?
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