कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस ने फैसला किया है कि किसानों के समर्थन में 15 जनवरी को हर प्रांतीय हेडक्वार्टर पर कांग्रेस पार्टी किसान अधिकार दिवस के रूप में एक जनआंदोलन तैयार करेगी, धरना प्रदर्शन और रैली के बाद राजभवन तक मार्च करेंगे।
कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़ें किसान संगठनों और सरकार के बीच आज आठवें दौर की बातचीत हुई।
किसान आरपार की लड़ाई लड़ने के मूड से दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे हैं। दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन का आज 42वां दिन है। टीकरी बॉर्डर पर किसानों ने परमानेंट स्ट्रक्चर बना लिया है।
कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच 7वें दौर की बैठक भी सोमवार को बेनताजी रही। बैठक खत्म होने के बाद एक किसान नेता कहा कि हमने सरकार को बताया कि पहले कृषि क़ानूनों को वापिस किया जाए, MSP पर बात बाद में करेंगे।
पंजाब के कई ऐसे किसानों ने मुझे वीडियो भेजे हैं, जो यह बताना चाहते थे कि किसानों के आंदोलन के नाम पर वामपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा गांवों में किस तरह से फर्जी प्रचार किया जा रहा है।
किसान आंदोलन मंगलवार को 34वें दिन जारी है। किसानों के मसले का समाधान तलाशने और आंदोलन को समाप्त करने के लिए सरकार के साथ किसान नेताओं की वार्ता अब 30 दिसंबर को होगी।
हक़ीक़त क्या है में देखिए किसान आंदोलन ने नाम पर चल रहे लेफ्ट के Hidden एजेंडे का पूरा सच
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को केंद्र से नए कृषि कानूनों को वापस लेने की अपील करते हुए कहा था कि किसान जीवित रहने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।
मुझे लगता है कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जो किसान दिल्ली के बॉर्डर पर कड़ाके की ठंड में एक महीने से धरने पर बैठे हैं, उन्हें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और सोचना चाहिए कि क्या वे सही रास्ते पर हैं?
किसान आंदोलन के नाम पर दिल्ली के बाद अब शाहजहांपुर अलवर बॉर्डर में भी एक नई प्रयोगशाला खुल गई है। वहां भी लाल झंडे वाले पहुंच गए हैं। कार्यकर्ता भी आए हैं...लेफ्ट के नेता भी मौजूद हैं |
ऐसा कैसे हो सकता है कि केरल में APMC की जरूरत नहीं है, लेकिन यूपी, पंजाब और हरियाणा में यह जरूर होनी चाहिए? ऐसा दोहरा मानदण्ड क्यों है?
तेजस्वी यादव तक बिहार के किसानों से किसान आंदोलन का समर्थन करने की अपील कर चुके है, लेकिन अब तक बिहार के किसान इस आंदोलन को लेकर सडकों पर नहीं उतरे हैं।
आंदोलनकारी किसानों से कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए आगे आने की अपील करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि यदि किसानों को कानून लाभकारी नहीं लगते तो सरकार उनमें संशोधन करेगी।
आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने गुरुवार को आरोप लगाया कि वार्ता के लिए सरकार का नया पत्र कुछ और नहीं, बल्कि किसानों के बारे में एक दुष्प्रचार है ताकि यह प्रदर्शित किया जा सके कि वे बातचीत को इच्छुक नहीं हैं।
कृषि कानून के विरोध में जहां दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन पिछले 29 दिन से जारी है तो कानून के समर्थन में भी किसानों का शक्ति प्रदर्शन चल रहा है। आज नोएडा में कृषि कानून के समर्थन में बड़ी तादाद में किसान ट्रैक्टर रैली निकाल रहे हैं।
कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई है, उनको श्रद्धांजलि देने के लिए आज शहीदी दिवस मनाया जाएगा।
राजग की घटक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संयोजक व नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने किसान आंदोलन के समर्थन में व लोकहित के मुद्दों को लेकर संसद की तीन समितियों के सदस्य पद से त्याग पत्र देने की घोषणा की है।
मुझे लगता है कि जब सरकार खुद सवालों के जबाव दे रही है, और किसानों से कह रही है कि उन्हें उनके सारे सवालों के जवाब मिलेंगे, ऐसे में अड़ियल रुख अपनाने और कानूनों को निरस्त करने की मांग करने का कोई मतलब नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार द्वारा नए कृषि कानून रातों-रात नहीं लाए गये हैं, बल्कि राजनीतिक दल, कृषि विशेषज्ञ और यहां तक कि किसान भी लंबे समय से इनकी मांग कर रहे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि जिन लोगों की अपनी राजनीतिक जमीन खिसक रही है वो लोग अपनी जमीन बचाने के लिए किसानों को उनकी जमीन छिनने का डर दिखा रहे हैं। प्र
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