राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है।
सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर किसानों का सम्मान रखा है और सरकार में कोई कानून पहली बार वापस लिया गया है, लेकिन इसके बावजूद किसानों का आंदोलन जारी रखना समझ से परे है।
ज्यादातर किसान नेता पंजाब, यूपी और उत्तराखंड में चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। विधानसभा चुनाव नजदीक होने के चलते ये किसान नेता इन राज्यों के सियासी माहौल को गर्म कर रहे हैं।
उमा भारती ने कहा कि अगर तीन कृषि कानूनों की महत्ता प्रधानमंत्री मोदी किसानों को नहीं समझा पाए तो उसमें हम सब बीजेपी के कार्यकर्ताओं की कमी है। उन्होंने यह भी कहा कि आज तक किसी भी सरकारी प्रयास से भारत के किसान संतुष्ट नहीं हुए।
26 जनवरी के दिन किसान ट्रैक्टर रैली के नाम पर कई लोग ट्रैक्टर लेकर दिल्ली में घुस गए थे और भारी तोड़फोड़ की थी, यहां तक की पंजाब से आए कई लोगों ने दिल्ली पुलिस के कर्मियों को पीटा था और कई जगहों पर हिंसा भी की थी। प्रदर्शन के नाम पर लाल किले का टिकट बुकिंग काउंटर पूरी तरह से तोड़ दिया गया था।
लोकतन्त्र में सरकारें पब्लिक का मूड देखकर फैसले लेती हैंऔर जनता के समर्थन से झुकती हैं। इस आंदोलन की सबसे बड़ी कमी ये है कि राकेश टिकैत और दूसरे किसान नेताओं के साथ देश के लोगों का समर्थन नहीं है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि जैसे ही दिल्ली पुलिस रास्तों पर रखे बैरिकेड हटा देगी तो वैसे ही किसान धान की फसल से भरे ट्रैक्टर लेकर संसद भवन पहुंचेंगे और वहीं जाकर अपना धान बेचेंगे। इंडिया टीवी से बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली की संसद अब किसानों की मंडी है और वे वहीं पर जाकर अपना धान बेचेंगे।
राकेश टिकैत का कहना है कि किसानों ने नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस ने रास्ते को रोक रखा है। दिल्ली पुलिस बैरिकेड हटा रही है तो किसान भी दिल्ली के लिए कूच करेंगे।
आशीष को पिछली नौ अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में अब तक 10 लोग गिरफ्तार किये जा चुके हैं। इस घटना में कथित तौर पर भीड़ में लोगों के ऊपर एसयूवी (थार जीप) चढ़ा देने से जहां चार किसानों की मौत हो गई थी।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में हुई हिंसा में कुल आठ लोगों की मौत हो गई थी। जिले के तिकुनिया गांव में एक केंद्रीय मंत्री के बेटे द्वारा कथित रूप से चलाई जा रही एक जीप से कथित रूप से कुचले जाने से चार किसानों और एक पत्रकार की मौत हो गई थी।
इस घटना से किसान आंदोलन की साख कम हुई है। अब किसान संगठनों के नेताओं को चाहिए कि वो पुलिस का सहयोग करें।
लखीमपुर हिंसा की ख़बरों ने पूरे भारत में सनसनी मचा दी है। लेकिन इसकी शुरुआत कैसे हुई? देखिए इंडिया टीवी की ग्राउंड रिपोर्ट।
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान रविवार को यहां भड़की हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई। जिले के एडिशनल एसपी अरुण कुमार सिंह ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि लखीमपुर की घटना में 8 लोगों की मौत हो गई।
राष्ट्रीय राजधानी में जंतर-मंतर पर किसानों का आंदोलन केंद्र के खिलाफ एक ‘अविश्वास प्रस्ताव’ पारित करने के बाद सोमवार शाम को समाप्त हो जाएगा और इसे बढ़ाने के लिए पुलिस से कोई अनुमति नहीं मांगी गई है।
हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने संयुक्त मोर्चा से किनारा कर लिया है और मोर्चा से अलग होने की घोषणा कर दी है। गुरनाम चढूनी ने संयुक्त किसान मोर्चे से अलग होने के साथ ही अपने साथ भेदभाव करने का आरोप भी लगाया।
किसान कानून के विरोध में दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर धरने पर बैठे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने को लेकर बड़ा बयान दिया है।
राष्ट्रीय किसान मंच ने उत्तर प्रदेश की सभी 403 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। मंच द्वारा जारी बयान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने कहा कि प्रदेश की मौजूदा भारतीय जनता पार्टी सरकार किसानों के हितों के बजाए पूँजीवादियों को फायदा पहुँचाने का काम कर रही है।
तीन कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुआ किसान आंदोलन बीते सात महीनों से जारी है। आंदोलन को शुरू हुए इतने दिन भले ही बीत गए हों लेकिन किसान अब भी तीनों कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं।
राकेश टिकैत ने बृहस्पतिवार को कहा कि तीन विवादित कृषि कानूनों पर किसान संघ केंद्र सरकार के साथ बात करने को तैयार हैं, लेकिन चर्चा इन कानूनों को रद्द करने को लेकर होगी।
कृषि कानून के खिलाफ हो रहे किसान आंदोलन को 134 दिन हो चुके हैं और दिल्ली में धरना दे रहे किसानों की संख्या घटती जा रही है।
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