गन्ने के ज्यादा सरकारी भाव की मांग में किसानों ने जालंधर कैंट के पास चेहरू स्टेशन पर 20 अगस्त से ट्रैक पर धरना दिया हुआ है, धरने की वजह से 20 अगस्त को 13, 21 अगस्त को 61, 22 अगस्त को 59 तथा 23 अगस्त को 65 गाड़ियां रद्द कर दी गई थी।
सिद्धू के ट्वीट को हथियार बनाते हुए भारतीय जनता पार्टी की हरियाणा इकाई ने लिखा है, 'सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं'
राकेश टिकैट ने कहा कि किसानों को बर्बाद करने के लिए बिना मांगे ये कृषि कानून देश के किसानों पर थोप दिए गए हैं, जिससे किसान पहले कर्ज में डूबेगा, फिर धीरे-धीरे पूंजीपति किसानों से उनकी जमीन हड़पने का काम करेंगे।
किसान कानूनों के विरोध में सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्रैक्टर मार्च निकाला। राहुल गांधी ने खुद ट्रैक्टर चलाया और ट्रैक्टर लेकर संसद भवन पहुंचे।
देश ने देखा है कि ये कृषि कानून फायदेमंद हैं और किसानों के पक्ष में हैं। हमने इन कानूनों के बारे में चर्चा की है। यदि वे बिंदुवार कानूनों के साथ अपने मुद्दों को व्यक्त करते हैं, तो हम इस पर चर्चा कर सकते हैं: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
प्रारंभिक प्रतिरोध के बाद, पुलिस किसानों को विरोध स्थल तक ले जाने से पहले उनकी संख्या गिनने के लिए एक रिसॉर्ट के अंदर ले गई। शर्तों के अनुसार प्रतिदिन केवल 206 की अनुमति है।
पिछले नवंबर से तीन केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान आज राष्ट्रीय राजधानी के जंतर मंतर पर किसान संसद शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि संसद सत्र के दौरान हर दिन 200 के समूहों में आंदोलन किया जाएगा।
नए कृषि कानूनों के विरोध में आज से किसान जंतर-मंतर पर अपना विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे। आज दिल्ली छावनी में तब्दील है। यहां चप्पे चप्पे पर सख्त पहरा है, पुलिस भी है और पैरामिलिट्री फोर्स भी।
केंद्र के 3 कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान गुरुवार से जंतर-मंतर पर भारी सुरक्षा के बीच आंदोलन शुरू करेंगे। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने 9 अगस्त तक अधिकतम 200 किसानों द्वारा प्रदर्शन की विशेष अनुमति दे दी है। दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि 200 किसानों का एक समूह पुलिस की सुरक्षा के साथ बसों में सिंघू सीमा से जंतर-मंतर आएगा और वहां पूर्वाह्न 11 बजे से शाम 5 बजे तक विरोध प्रदर्शन करेगा। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियनों के निकाय संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) को एक शपथपत्र देने के लिए कहा गया है कि सभी कोविड मानदंडों का पालन किया जाएगा और आंदोलन शांतिपूर्ण होगा।
किसान संगठनों ने संसद का घेराव करने की योजना बनाई थी लेकिन किसान यूनियन के एक नेता ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद कहा कि किसान कृषि कानूनों को वापस लिये जाने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे और कोई भी प्रदर्शनकारी संसद नहीं जाएगा।
एमवीए सरकार में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस शामिल हैं। पवार ने बृहस्पतिवार को कहा था कि महाराष्ट्र सरकार केंद्र द्वारा पिछले साल पारित किए गए कानूनों को राज्य में लागू करने से पहले उनमें संशोधन के पक्ष में है।
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान शनिवार को विभिन्न राज्यों के राज्यपालों को ज्ञापन सौंपकर इन कानूनों को वापस लिए जाने की मांग करेंगे।
करीब सात महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों के खिलाफ आवाज उठने लगी है। आज हरियाणा के शेरशाह गांव में 36 बिरादरी की महापंचायत हो रही है, ये महापंचायत किसानों के आंदोलन के विरोध में हो रही है।
मृतक मुकेश ने कथित तौर पर अपने भाई और एक ग्रामीण को बताया कि वह चार लोगों के साथ शराब पी रहा था, जिन्होंने किसानों के विरोध का हिस्सा होने का दावा किया और उन्होंने उसे आग लगा दी।
टिकरी बॉर्डर पर एक शख्स को जिंदा जलाने की घटना पर हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने India TV से की EXCLUSIVE बातचीत
मीडिया की उपेक्षा, महामारी फैलने की आशंका और एक अड़ियल सरकार से समय-समय पर खतरों के बावजूद, नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध जारी है।
गाज़ीपुर बॉर्डर पर ‘प्रोग्रेसिव मेडिकोस एवं साइंटिस्ट फ्रंट’ (पीएमएसएफ) के चिकित्सा शिविर में काम कर रहे अनिल भारतीय ने ‘भाषा’ से कहा, “ गाज़ीपुर में कोविड के मामले नहीं आए हैं। कुछ लोगों में लक्षण जरूर दिखे लेकिन लक्षण नियमित दवाई देने के बाद दो-तीन दिन में ठीक हो गए।”
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन जल्द खत्म करने से इनकार करते हुए कहा कि हम 2024 तक आंदोलन करते रहेंगे।
दिल्ली पुलिस ने लोगों से कोरोना वायरस संक्रमण से हालात और लागू लॉकडाउन के मद्देनजर इकट्ठे नहीं होने की अपील की है और कहा कि प्रदर्शन स्थल पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए वह कड़ी नजर बनाए रखे है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने घोषणा की थी कि किसान आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर 26 मई को ‘काला दिवस’ मनायेंगे। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदलों, समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) समेत 12 प्रमुख विपक्षी दलों ने पिछले सप्ताह उनके विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया था।
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