सूरजमुखी के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य का इंतजार कर रहे हैं और निजी व्यापारियों को अपनी उपज बेचकर किसानों को 1,500 से 2,500 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है।
Farmer Protest: यूपी सूबे के सभी जिलों और पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित अन्य राज्यों में धरना प्रदर्शन किया जाएगा। यूपी सूबे के सभी जिलों और पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित अन्य राज्यों में धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
Farmer Protest: किसानों ने आरोप लगाया कि केंद्र उनकी मांगों को नहीं सुन रही है जिस वजह से वे रेल की पटरियों पर बैठने को मजबूर हुए हैं। भाकियू (एकता उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि संघ के सदस्यों ने 6 जिलों के 8 टोल प्लाज़ा और मुल्लानपुर में लुधियाना-फिरोज़पुर राजमार्ग समेत 10 राजमार्गों पर धरना दिया
Samyukt Kisan Morcha: एसकेएम ने आरोप लगाया कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने ट्विटर पर केंद्र पर सवाल उठाने के लिए इन अकाउंट को बंद करने के लिए दबाव डाला है।
लगभग एक साल तक चले किसान आंदोलन को समाप्त कराने के लिए केंद्र सरकार ने किसानों से एमएसपी गारंटी कानून को लेकर कमेटी बनाने का वादा किया था।
दरअसल दिल्ली की सीमाओं पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले देश के किसानों ने केंद्र सरकार के कृषि कानून को रद्द करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी हासिल करने और अन्य किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ एक लंबा आंदोलन चलाया था।
बैतूल जिले के मोहदा थाना क्षेत्र के दामजीपुरा गांव में बिजली समस्या को लेकर किसान चक्का जाम किए हुए थे। इस बात की जानकारी जब सांसद उईके को हुई तो वे मौके पर पहुंच गए, उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाया कि उनकी समस्या का निराकरण 8 दिनों में हो जाएगा लेकिन वहां मौजूद किसानों ने उनकी बात नहीं सुनी।
किसान आंदोलन के कारण जिन ट्रेनों को रद्द किया गया था, आंदोलन खत्म होने के बाद रद्द की गई सभी ट्रेनों को बहाल किया जा रहा है। ऐसी 18 से अधिक ट्रेनें हैं। बता दें कि किसान आंदोलन की वजह से उत्तर रेलवे का यातायात कई दिनों तक बुरी तरह प्रभावित रहा था।
कहा जा रहा है कि इस मीटिंग में किसान आंदोलन खत्म करने पर फैसला हो सकता है क्योंकि पंजाब के ज्यादातर किसान संगठन तीन कृषि कानून रद्द होने के बाद अब आंदोलन जारी रखने के मूड में नहीं हैं।
राकेश टिकैत आंदोलन खत्म करने की डिमांड को सिर्फ अफवाह बता रहे हैं। राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन खत्म करने के डिमांड की बात सिर्फ अफवाह है, MSP पर बातचीत करे बिना यहां से कोई किसान नहीं जाएगा और न ही आंदोलन खत्म होगा।
किसान संगठनों ने सरकार को अपनी मांगों पर झुकाने के लिए एक नया प्लान तैयार कर लिया है। प्लान एकदम साफ है जब तक एमएसपी समेत 6 मांगों पर मोदी सरकार फैसला नहीं करती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को गुरु नानक देव जयंती के मौके पर घोषणा की थी कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले रही है और संसद सत्र के दौरान तीनों कानूनों को वापस लिए जाने के लिए बिल पास कराया जाएगा।
SKM ने किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने और तीन विवादास्पद केंद्रीय कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले प्रदर्शनकारियों के लिए स्मारक बनाने की भी मांग की।
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने कहा कि कानून वापस के एलान होने से एक बड़ी राष्ट्रीय विपदा टल गई है। उन्होंने कहा कि आंदोलन में कुछ ऐसे गुट थे, जो सिख सोच, निशान, फलसफे, इतिहास और भावनाओं को दरकिनार कर रहे थे।
कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ तीन प्रमुख प्रदर्शनस्थलों में एक गाजीपुर बार्डर पर प्रदर्शनकारी कृषि कानूनों को वापस लेने के प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद उत्साह से भरे नजर आ रहे हैं। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि गांव में उन्हें यह स्थल बहुत याद आएगा।
प्रियंका गांधी ने कहा कि यह देश किसानों ने बनाया है, यह देश किसानों का है, किसान ही इस देश का सच्चा रखवाला है और कोई सरकार किसानों के हित को कुचलकर इस देश को नहीं चला सकती।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने आज कहा कि उनकी सरकार तीनों कृषि कानून किसानों के भले के लिए लेकर आई थी लेकिन वो कुछ किसान भाइयों को समझा नहीं पाए और अब सरकार कृषि कानूनों को वापस ले रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने आज गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में इस कृषि कानूनों के वापसी की घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘‘पांच दशक के अपने सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की मुश्किलों, चुनौतियों को बहुत करीब से अनुभव किया है।’’
मामले की जांच कर रहे हरियाणा पुलिस के अधिकारी प्रदीप कुमार ने बताया कि मृतक पिछले 5-6 महीने से प्रदर्शन स्थल पर था। वो पंजाब के फतेहगढ़ का रहने वाला था और उसने सोनीपत के सुशांत सिटी के नजदीक एक पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली।
सत्यपाल मलिक ने कहा कि दिल्ली में नेता "कुत्ते के मरने पर भी" शोक व्यक्त करते हैं, लेकिन किसानों की मौतों की उन्हें कोई परवाह नहीं। मलिक ने सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना की भी आलोचना यह कहते हुए कि एक नए संसद भवन के बजाय एक विश्व स्तरीय कॉलेज बनाना बेहतर होगा।
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