मायवती ने कहा कि जिन किसानों की इस आंदोलन में मृत्यु हुई है उनके परिवारों को केंद्र और राज्य सरकारों को उचित आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देनी चाहिए।
हरियाणा के एक 55 वर्षीय किसान ने रविवार को टिकरी-बहादुरगढ़ सीमा पर आत्महत्या कर ली है। पुलिस के मुताबिक, हिसार जिले के राजबीर के रूप में पहचाने गए पीड़ित ने पेड़ पर फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।
राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि किसानों की मांग है कि तीनों कृषि कानून पूरी तरह से वापस लिए जाएं और जब तक सरकार उनकी मांगे नहीं मानती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
किसानों की तरफ से ये भी कहा जा रहा है कि जिन बॉर्डर्स से जो टोल प्लाजा नजदीक होगा उसे भी ब्लॉक कर दिया जाएगा। गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे भारतीय किसान यूनियन के उत्तरप्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने IANS को बताया कि, "किसान यहां से डासना टोल की ओर कूच करेंगे, लेकिन हरियाणा यूपी में जितने भी टोल पड़ेंगे, जैसे की दुहाई, कासना, नोएडा आदि सब पर किसान रहेंगे और जाम किया जाएगा।"
इस पूरे मसले पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के एक अधिकारी ने IANS से कहा, "किसान आंदोलन की वजह से हाईवे के प्रोजेक्ट्स भी रुके हुए हैं, वहीं कुछ साइन बोर्डस और कैमरे लगाने बाकी हैं, वहीं कुछ न्यू एडवांस टेक्नोलॉजी लगानी थी, ये सब काम रुके पड़े हैं।"
डेयरी सेक्टर का उदाहरण देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अगर हम अपने डेयरी सेक्टर को ही देखें तो आज वह इतना मजबूत इसलिए है क्योंकि इतने दशकों में उसने प्रोसेसिंग का विस्तार किया है। आज हमें कृषि के हर सेक्टर में प्रोसेसिंग पर सबसे ज़्यादा ध्यान देना है। इसके लिए जरूरी है कि किसानों को अपने गांवों के पास ही स्टोरेज की आधुनिक सुविधा मिले।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत इन सभी महापंचायतों में शामिल होंगे। आज रविवार 28 फरवरी को यूपी के सहारनपुर में होने वाली महापंचायत में शामिल होंगे, वहीं 1 मार्च को उधमसिंह नगर के रुद्रपुर की महापंचायत में शिरकत करेंगे। 2 मार्च को राजस्थान के झुंझनू में, 3 मार्च को राजस्थान के ही नागौर में महापंचायत होगी। इसके बाद 5 मार्च को यूपी के इटावा स्थित सैफई तो 6 मार्च को तेलंगाना में आयोजित कार्यक्रम में राकेश टिकैत शामिल होंगे।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने गुरुवार को अयोध्या में रामलला के दर्शन किए। इस मौके पर उन्होंने पत्रकारों से कहा कि "हमारी लड़ाई जमीन बचाने की है और सरकार में कोई सुनवाई नहीं हो रही तो रामलला से गुहार लगाने आए हैं।"
संजीव बालियान ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत कर कहा, "भैसांवल में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी से जुड़े परिवार के 10-12 लोगों ने मुझसे बदसलूकी की। सोरम में एक कार्यक्रम के दौरान भी 5 से 6 रालोद कार्यकर्ताओं ने भी यही हरकत की। मेरे जाने के बाद, एक झड़प हुई। मेरे खिलाफ एकजुट होने के लिए मस्जिद से घोषणाएं की गईं।"
केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। 26 जनवरी के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा हुई थी और कुछ प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर धार्मिक झंडा भी लगा दिया था।
हुड्डा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "हम सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे क्योंकि इस सरकार ने लोगों और विधायकों का विश्वास खो दिया है। सरकार का समर्थन कर रहे दो निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। गठबंधन के कुछ विधायकों ने कहा कि यह सबसे भ्रष्ट सरकार है।"
किसान अंदोलन को एकबार फिर धार देने के लिए और सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसान नेता पश्चिमी यूपी, हरियाणा और राजस्थान में चुनावी महापंचायतें कर रहे हैं। ऐसी ही एक पंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने पीएम मोदी का नाम लिए बिना उनको लेकर विवादित बयान दे दिया।
किसान नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि वह केंद्र के विवादित कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के लिए समर्थन मांगने के वास्ते जल्द गुजरात का दौरा करेंगे।
किसान आंदोलन को तेज करने के मकसद से सयुंक्त किसान मोर्चा ने अगले पूरे सप्ताह का कार्यक्रम तय किया है जिसके तहत 23 फरवरी को पगड़ी संभाल दिवस मनाया जाएगा।
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन चल रहा है, ऐसे में अभिनेत्री गुल पनाग रविवार को किसानों के समर्थन में गाजीपुर बॉर्डर पहुंची।
अखिल भारतीय किसान सभा के एक प्रवक्ता के अनुसार प्रदेश में 22 फरवरी से 26 फरवरी तक लगातार कई किसान महापंचायतें की जाएंगी। उन्होंने बताया कि ऐसी पहली महापंचायत हनुमानगढ़ जिले के नोहर में 22 फरवरी को होगी।
पहले ट्रैक्टर परेड फिर चक्का जाम और आज रेल रोको आंदोलन। कृषि कानून के ख़िलाफ़ किसान एक बार फिर फुल एक्शन में हैं और इस बार उनके प्रदर्शन का अड्डा है रेलवे ट्रैक।
राकेश टिकैत ने इंडिया टीवी की संवाददाता अर्चना सिंह से बात करते हुए कहा कि वो अब चुनाव नहीं लड़ेंगे। राकेश टिकैत ने कहा कि वो संसद नहीं जाएंगे बल्कि सड़क पर लड़कर ही किसान संगठनों के लिए कानून बनवाएंगे। इस दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल पर भी बात की। राकेश टिकैत ने कहा कि वो बंगाल भी जाएंगे और राज्य व केंद्र सरकार दोनों से वहां के किसानों के मसले पर सवाल करेंगे।
पंजाब के बाद हरियाणा, पश्चिमी यूपी और राजस्थान से भी बड़ी संख्या में लोग इस आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए पहुंच रहे हैं। इन लोगों में एक बड़ा तबका जाट समाज का है, जिसको लेकर भारतीय जनता पार्टी बेहद चिंतित है।
रिहाना पहली अंतरराष्ट्रीय हस्ती थी, जिन्होंने किसानों के प्रदर्शन का समर्थन किया था और दिल्ली की सीमा पर धरने के दौरान इंटरनेट सेवा बंद करने की आलोचना की थी।
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