खट्टर ने कहा, ‘‘अगर उन्हें विरोध प्रदर्शन ही करना था तो उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से करना चाहिए था, इस पर किसी को आपत्ति नहीं होती। पहले उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आश्वासन दिया था। लेकिन अगर वे पुलिस पर पथराव करेंगे, राजमार्ग अवरुद्ध करेंगे तो पुलिस कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम तो उठाएगी।’’
राकेश टिकैट ने कहा कि किसानों को बर्बाद करने के लिए बिना मांगे ये कृषि कानून देश के किसानों पर थोप दिए गए हैं, जिससे किसान पहले कर्ज में डूबेगा, फिर धीरे-धीरे पूंजीपति किसानों से उनकी जमीन हड़पने का काम करेंगे।
दिल्ली पुलिस ने लोगों से कोरोना वायरस संक्रमण से हालात और लागू लॉकडाउन के मद्देनजर इकट्ठे नहीं होने की अपील की है और कहा कि प्रदर्शन स्थल पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए वह कड़ी नजर बनाए रखे है।
एसकेएम ने एक बयान में कहा कि किसानों ने दिल्ली की सिंघू सीमा पर राजमार्ग के एक ओर का रास्ता कोविड-19 संकट के मद्देनजर ऑक्सीजन टैंकरों एवं एम्बुलेंस का निर्बाध आवागमन सुनिश्चित करने के लिए खाली कर दिया गया है।
राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि किसानों की मांग है कि तीनों कृषि कानून पूरी तरह से वापस लिए जाएं और जब तक सरकार उनकी मांगे नहीं मानती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
किसानों की तरफ से ये भी कहा जा रहा है कि जिन बॉर्डर्स से जो टोल प्लाजा नजदीक होगा उसे भी ब्लॉक कर दिया जाएगा। गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे भारतीय किसान यूनियन के उत्तरप्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने IANS को बताया कि, "किसान यहां से डासना टोल की ओर कूच करेंगे, लेकिन हरियाणा यूपी में जितने भी टोल पड़ेंगे, जैसे की दुहाई, कासना, नोएडा आदि सब पर किसान रहेंगे और जाम किया जाएगा।"
डेयरी सेक्टर का उदाहरण देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अगर हम अपने डेयरी सेक्टर को ही देखें तो आज वह इतना मजबूत इसलिए है क्योंकि इतने दशकों में उसने प्रोसेसिंग का विस्तार किया है। आज हमें कृषि के हर सेक्टर में प्रोसेसिंग पर सबसे ज़्यादा ध्यान देना है। इसके लिए जरूरी है कि किसानों को अपने गांवों के पास ही स्टोरेज की आधुनिक सुविधा मिले।
केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। 26 जनवरी के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा हुई थी और कुछ प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर धार्मिक झंडा भी लगा दिया था।
सिंघु बॉर्डर पर टेंट में सिर्फ चंद किसान बैठे नज़र आए। सिंघु बॉर्डर के किसानों के तंबू खाली हैं, सिर्फ यही नही जिस सड़क पर पहले ट्रैक्टर ट्रॉली खड़े रहते थे, प्रदर्शनकारियों के टेंट लगे होते थे वो सड़क अब पूरी तरह से खाली है।
उन्होंने कहा कि यह आंदोलन आसपास के समय में खत्म नहीं होने वाला, यह आंदोलन अक्टूबर तक चलेगा। हमने सरकार को बता दिया कि ये आंदोलन अक्टूबर तक चलेगा। अक्टूबर के बाद आगे की तारीख देंगे।
Kisan Andolan: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी इसी विषय को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया, ‘‘प्रधानमंत्री जी, अपने किसानों से ही युद्ध?’’
मुख्यमंत्री ने विभिन्न दलों से कहा कि यह अहंकार पर खड़े होने का समय नहीं है, बल्कि हमारे राज्य और हमारे लोगों को बचाने के लिए एक साथ आने का है। राज्य सरकार के बयान के मुताबिक, बैठक में दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में हाल के घटनाक्रमों से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा होगी, विशेष रूप से गणतंत्र दिवस की हिंसा के मद्देनजर, "किसानों पर सिंघु बॉर्डर पर हमला और उनके खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन अभियान"।
कार्यक्रम की शुरुआत में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि 23 जनवरी को हमने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन को ‘पराक्रम दिवस’ के तौर पर मनाया और 26 जनवरी को ‘गणतन्त्र दिवस’ की शानदार परेड भी देखी। राष्ट्र ने असाधारण कार्य कर रहे लोगों को उनकी उपलब्धियाँ और मानवता के प्रति उनके योगदान के लिए सम्मानित किया।
भारतीय किसान यूनियन लोक शक्ति के कार्यकर्ता पिछले 58 दिनों से दलित प्रेरणा स्थल पर प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन दिल्ली में 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद इस संगठन ने भी खुद को किसान आंदोलन से अलग कर लिया है।
अमित शाह पहले राजधानी के सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर गए और फिर बाद में उन्होंने सिविल लाइन के तीरथराम शाह अस्पताल जाकर घायल पुलिस कर्मियों से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना।
दिल्ली पुलिस ने 35 से ज्यादा आरोपी किसान नेताओं के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया है। दिल्ली पुलिस ने लुक आउट नोटिस इसलिए जारी किया है ताकि कोई भी आरोपी देश छोड़कर भाग न सके।
दीप सिद्धू ने किसान नेताओं को कहा, “एक आदमी को गद्दार कह कर, उन सब को गद्दार बोल रहे जो वहां गए थे, इसमें आपकी बदनीयत नजर आ रही है, आपको किसी भी चीज के लिए दर्द नहीं है या तो आप समझना नहीं चाहते या समझते हुए भी नहीं समझ रहे कि आदमी पर आरोप लगाओ, जो अब तक फैसले लिए हैं आप लोगों ने, आप में सबसे बड़ी चीज अहंकार है”
इस रैली के शांतिपूर्ण होने के कल तक तमाम वादे करने वाले किसान नेता पीछे हैं, हुड़दंग कर रहे प्रदर्शनकारी आगे-आगे चल रहे हैं। गाजीपुर बॉर्डर से किसानों का नेतृत्व करते हुए आगे बढ़ रहे राकेश टिकैत ने हिंसा के सवाल पर कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है।
किसान आंदोलन का हल निकालने के लिए बनाई सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से भूपिंदर सिंह मान ने नाम वापस ले लिया है। भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। 12 जनवरी को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यों की कमेटी बनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जिस तरह से प्रक्रिया चल रही है, उससे हम निराश हैं। विभिन्न राज्य इस क़ानून के ख़िलाफ़ हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम कानून पर रोक लगा सकते हैं।
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