आखिरकार 378 दिन बाद किसानों का आंदोलन खत्म हो गया है। आज 11 दिसंबर को सभी अपने-अपने घर की ओर रवाना होंगे। किसानों का पहला जत्था अपने घर के लिए रवाना हो गए हैं। राकेश टिकैत ने कहा है कि वो 15 जनवरी के बाद जाएंगे। उन्होंने कहा है कि अगले चार दिनों में अधिकांश किसान चले जाएंगे।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कोरोना से मौत के आंकड़ों और किसान आंदोलन में किसानों के मौत के रिकॉर्ड को लेकर मोदी सरकार पर सीधा निशाना साधा। राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सरकार हमसे लिस्ट ले सकती है, 700 किसान परिवारों को मुआवजा दे।
कोई भी आंदोलन अनंतकाल तक नहीं चलता । एक मकसद के साथ आंदोलन शुरू होता है और अंजाम तक पहुंच जाने पर ख़त्म होता है। पंजाब के किसान नेता सतनाम सिंह का बयान आया लगा आंदोलन ख़त्म होने को है। तो राकेश टिकैत का बयान आया आंदोलन समाधान की तरफ़ जा रहा है लेकिन सरकार से कोई बातचीत नहीं हुई। देखिए मुक़ाबला मीनाक्षी जोशी के साथ।
एक वर्ष से लंबे समय से चल रहा किसान आंदोलन अब शायद खत्म हो जाए और बॉर्डर पर डटे किसान अपने अपने घर वापस चले जाए। सरकार और किसान के बीच चल रही बातचीत से तो यही लग रहा है। इस सब पर इंडिया टीवी ने राकेश टिकैत से बातचीत की।
पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से चला आ रहा किसानों का आंदोलन जल्द ही समाप्त हो सकता है। किसान नेता सतनाम सिंह ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने हमारी सभी मांगें मान ली हैं, और हम 4 दिसंबर को आंदोलन खत्म करने का फैसला ले सकते हैं। बता दें कि सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से MSP मामले पर चर्चा के लिए 5 नाम मांगे हैं। सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर 32 जत्थेबंदियों की बैठक खत्म हो गई है, जिसके बाद किसान नेता सतनाम सिंह का यह बयान सामने आया है।
पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से चला आ रहा किसानों का आंदोलन जल्द ही समाप्त हो सकता है। किसान नेता सतनाम सिंह ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने हमारी सभी मांगें मान ली हैं, और हम 4 दिसंबर को आंदोलन खत्म करने का फैसला ले सकते हैं।
कृषि कानून वापसी बिल आज पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा से पास हो गया है। आज दोपहर बारह बजकर आठ मिनट पर लोकसभा से बिल पास हुआ और उसके करीब दो घंटे बाद दो बजकर आठ मिनट पर राज्यसभा ने भी बिल को मंजूरी दे दी। लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने ध्वनिमत से कृषि कानून वापसी बिल को पास किया। संसद से बिल वापसी के बाद सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने जश्न मनाया। लेकिन किसान नेता अब भी अपनी जिद पर अड़े हैं। जो किसान नेता पहले कानून वापसी और उसके बाद घर वापसी का नारा दे रहे थे। आज वो MSP गारंटी पर कानून बनाने की बात कर रहे है । देखिए मुक़ाबला मीनाक्षी जोशी के साथ।
आज से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है। और आज ही सरकार तीनों कृषि कृषि कानूनों की वापसी के लिए बिल पेश करेगी। हालांकि सदन में MSP को लेकर विपक्ष सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेगी।
PM मोदी ने आज सुबह अचानक तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया। इस ऐलान ने नरेंद्र मोदी को और बड़ा बना दिया क्योंकि मोदी ने सिर्फ कानून वापस लेने का एलान ही नहीं किया, हाथ जोड़कर देश से माफी मांगी ये कहकर माफी मांगी कि वो अच्छे कानूनों पर भी कुछ किसान भाइयों को सहमत नहीं कर पाए। देखिए आज की बात रजत शर्मा के साथ।
PM मोदी को Man Of Action क्यों कहा जाता है ? इसका सबूत आज खुद प्रधानमंत्री ने दे दिया है। तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला आसान नहीं था। लेकिन..मोदी ने ये निडर फैसला लिया। अब दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसान मोदी को Thank You कह रहे हैं। लेकिन मोदी विरोधी इसमें भी अपनी सियासी ज़मीन तलाश रहे हैं।
आज सुबह सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों किसान कानूनों की वापसी का ऐलान किया। कृषि कानून की वापसी कितना चुनावी है और कितना किसानी?
आज प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया। ऐसा भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसानों ने इतना बड़ा आंदोलन किया और सरकार ने उनकी मांगों को मान लिया। लेकिन इस मुद्दे पर अब भी सियासत ख़त्म नहीं हुई है। देखिए कुरुक्षेत्र सौरव शर्मा के साथ।
गुरु पर्व के दिन केंद्र की मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया है। कृषि कानूनों की वापसी के फैसले से बॉर्डर पर डटे किसान बेहद खुश हैं। लेकिन इस मुद्दे पर सियासत भी जारी है। आरोप लग रहे हैं कि 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के चलते मजबूरी में ये फैसला लिया गया है। क्या यह प्रधानमंत्री मोदी का 'मास्टर स्ट्रोक' है या मजबूरी? देखिए मुक़ाबला अजय कुमार के साथ।
इंडिया टीवी के ख़ास प्रोग्राम 'चुनाव मंच' में बोलते हुए, अखिलेश यादव ने किसानों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यूपी के किसान कृषि कानूनों के खिलाफ हैं।
देश के कई हिस्सों में किसानों द्वारा बुलाए गए 'भारत बंद' का असर का असर दिखाई दे रहा है। देश के कई हिस्सों में किसानों ने यातायात को अवरुद्ध करने के लिए सड़कों पर कब्जा कर लिया है, वहीं कुछ प्रदर्शनकारी रेलवे ट्रैक पर भी कब्जा जमाए बैठे हुए हैं।
कृषि कानूनों के विरोध में पिछले साल से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने आज 'भारत बंद' की अपील की है। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बुलाए गए इस भारत बंद का सबसे असर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा भाजपा के विरोधी दलों द्वारा शासित कई अन्य राज्यों में दिखाई दे सकता है।
कल तक जहां नवजोत सिंह सिद्धू का दांवपेंच केवल अमरिंदर सिंह के साथ था वहीं अब वह कृषि कानूनों को लेकर बादल परिवार पर हमलावर हो गए। अपने बयान में उन्होंने कहा है कि 3 कृषि कानूनों की ब्लूप्रिंट बादल सरकार के दौरान बनी थी।
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अकाली दल पर कृषि कानून को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। सिद्धू ने कहा कि अकाली दल ने ही कृषि कानूनों का आईडिया मोदी को दिया था। उन्होंने कहा कि 2013 में अकाली दल ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट पास करवाया।
विभिन्न दलों के विपक्षी नेताओं ने गुरुवार, 12 अगस्त को संसद भवन से नई दिल्ली में विजय चौक तक एक मार्च निकाला, जिसमें केंद्र के विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की गई। वे अन्य मुद्दों का भी विरोध कर रहे थे।
संसद का मानसून सत्र बुधवार को समाप्त हो गया। दोनों सदनों में काफी हंगामा हुआ। सरकार ने हंगामे को कमेटी बना कर दोषी सांसदों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
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