गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तीन कृषि कानून किसानों के फायदे के लिए थे लेकिन हमारे सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद हम किसानों के एक वर्ग को मना नहीं पाए।
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने लगातार इस बात का प्रयास किया था कि इन सुधारों के बाद देश के कृषि क्षेत्र में लाभ आए, लेकिन कुछ ऐसी परिस्थितियां बनी जिसके कारण कुछ किसानों को आपत्ति दिखाई देती थी। हमने उनको समझाने का प्रयास किया लेकिन हम सफल नहीं हुए।
ओवैसी ने कहा, "बड़ा प्रचार भाजपा ने किया था कि एक देश के लिए एक चुनाव होना चाहिए, यह भी गलत है, मोदी सरकार वो बड़े बड़े उद्योगपतियों का इस्तेमाल कर रही थी बैसाखी बनाकर, इनको आने वाले विधानसभा चुनावों में अपनी हार नजर आ गई है।"
सीएम योगी ने कहा कि यह हमारी कमी थी कि हम लोगों ने सही चीज समय पर उन लोगों तक पहुंचाने में कोताही बरती होगी, लेकिन जब कहीं से आवाज उठी है तो उसकी भी सुनवाई होना और फिर आपसी समन्वय से और बातचीत से हम इन समस्याओं का समाधान करेंगे।
प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि यह पहली बार हुआ है कि जिन लोगों के लिए कानून लेकर आए हैं, वो लोग नहीं चाहते हैं कि वह कानून बने लेकिन जबरदस्ती उनके खिलाफ, इन कानूनों को बनाया गया और आखिर सरकार को अपनी गलती का ऐहसास हुआ और कानून वापस लेने पड़े।
केजरीवाल ने कहा कि आज केंद्र सरकार को किसानों के संघर्ष के आगे झुकना पड़ा यह सिर्फ किसानों की ही नहीं बल्कि जनतंत्र की जीत है।
प्रियंका गांधी ने कहा कि यह देश किसानों ने बनाया है, यह देश किसानों का है, किसान ही इस देश का सच्चा रखवाला है और कोई सरकार किसानों के हित को कुचलकर इस देश को नहीं चला सकती।’’
700 से अधिक किसानों से आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया और लखीमपुर खीरी में तो देश के गृह राज्य मंत्री के बेटे और उसके सहयोगियों ने किसानों को अपनी जीप के टायर के नीचे कुचल दिया, पर मोदी सरकार ने आज अपना अपराध स्वीकार कर लिया
ओवैसी ने कहा है कि प्रधानमंत्री कभी भी जन आंदोलन को हराने में कामयाब नहीं हुए हैं, सिर्फ उत्पीड़न किया है। ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी के 'एक देश एक चुनाव' के आइडिया पर भी सवालिया निशान लगा दिया और कहा कि वह भी एक खराब आइडिया है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि अगर संसद में तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का निर्णय होता है तो देश में किसानों के लंबे संघर्ष की यह बड़ी जीत होगी।
कहीं सरकार के झुकने को लेकर बात कही जा रही है तो कहीं इसे आनेवाले विधानसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। इन सभी प्रतिक्रियाओं को जानने के लिए इस पेज पर बने रहें।
पीएम नरेंद्र मोदी के इस फैसले पर कई लोगों के रिएक्शन सामने आने लगे। कई बड़ी हस्तियों ने भी इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की।
प्रधानमंत्री मोदी ने आज कहा कि उनकी सरकार तीनों कृषि कानून किसानों के भले के लिए लेकर आई थी लेकिन वो कुछ किसान भाइयों को समझा नहीं पाए और अब सरकार कृषि कानूनों को वापस ले रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सभी किसानों से आंदोलन समाप्त कर अपने अपने घरों को लौटने की अपील भी की है। लेकिन इसके बावजूद राकेश टिकैत ने कहा है कि उनका आंदोलन अभी समाप्त नहीं हो रहा है
प्रधानमंत्री मोदी ने आज गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में इस कृषि कानूनों के वापसी की घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘‘पांच दशक के अपने सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की मुश्किलों, चुनौतियों को बहुत करीब से अनुभव किया है।’’
'आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।'
शरद पवार ने कि केंद्र को आंदोलनकारी किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करनी चाहिए। अगर किसान अपनी सभी मांगें स्वीकार किए जाने पर अड़े रहे तो कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है।
26 जनवरी के दिन किसान ट्रैक्टर रैली के नाम पर कई लोग ट्रैक्टर लेकर दिल्ली में घुस गए थे और भारी तोड़फोड़ की थी, यहां तक की पंजाब से आए कई लोगों ने दिल्ली पुलिस के कर्मियों को पीटा था और कई जगहों पर हिंसा भी की थी। प्रदर्शन के नाम पर लाल किले का टिकट बुकिंग काउंटर पूरी तरह से तोड़ दिया गया था।
संयुक्त किसान मोर्चा की मंगलवार को सिंघु बॉर्डर के पास एक बैठक हुई है और किसान आंदोलन को आगे ले जाने को लेकर रणनीति तैयार की गई है। इसी बैठक में फैसला किया गया है कि 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान रोजाना 500 किसान ट्रैक्टर लेकर संसद भवन की तरफ मार्च करेंगे।
दिल्ली के सिंघु, गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर पर किसान लंबे समय से धरना दिए हुए बैठे हैं, आंदोलन पिछले साल शुरू हुआ था और लगभग एक साल पूरा होने को है।
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