बैठक के बाद किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, हमने मीटिंग में तय किया है कि जो कार्यक्रम संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले तय किए थे वे आगे भी जारी रहेंगे। 27 तारीख को फिर से संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग होगी।
समाजवादी पार्टी ने अपने इस दावे को बल देने के लिए राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र और उन्नाव से सांसद एवं भाजपा नेता साक्षी महाराज के बयानों का हवाला दिया।
कलराज मिश्र ने कहा कि किसान आंदोलन कर रहे थे। कृषि कानून वापस लेने पर अड़े थे। अंत में सरकार ने कानून वापस ले लिया। फिर आगे इस मामले में कानून बनाने की जरुरत पड़ी तो कानून बनाया जाएगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग राज्य मंत्री वीके सिंह ने कहा, ‘‘इसका इलाज क्या है? इसका कोई इलाज नहीं है। किसान संगठनों में आपस में वर्चस्व की लड़ाई है। ये लोग छोटे किसानों के फायदे के बारे में नहीं सोच सकते। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून वापस लेने की घोषणा की है।’’
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट कर कहा है कि- 'आंदोलन को यह मुकाम 700 किसानों की शहीदी देकर मिला है। किसान न इस बात को भूलेगा और न ही हुकूमत को भूलने देगा।'
'देश में 85 प्रतिशत से ज्यादा छोटे, लघु और सीमांत किसान हैं और उनके सशक्तिकरण के लिए उन्हें फसलों का लाभकारी मूल्य दिलवाना सुनिश्चित करना होगा।'
सामना ने अपने संपादकीय में लिखा-'यह अहसास होने के बाद कि किसान अपना प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे और उत्तर प्रदेश तथा पंजाब में भाजपा की हार को भांपते हुए मोदी सरकार ने कानूनों को निरस्त करने का फैसला लिया। यह किसान एकता की जीत है'
PM मोदी ने आज सुबह अचानक तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया। इस ऐलान ने नरेंद्र मोदी को और बड़ा बना दिया क्योंकि मोदी ने सिर्फ कानून वापस लेने का एलान ही नहीं किया, हाथ जोड़कर देश से माफी मांगी ये कहकर माफी मांगी कि वो अच्छे कानूनों पर भी कुछ किसान भाइयों को सहमत नहीं कर पाए। देखिए आज की बात रजत शर्मा के साथ।
चन्नी ने कहा कि अगर मोदी ने यह फैसला बहुत पहले ले लिया होता तो कई लोगों की जान बच जाती।
PM मोदी को Man Of Action क्यों कहा जाता है ? इसका सबूत आज खुद प्रधानमंत्री ने दे दिया है। तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला आसान नहीं था। लेकिन..मोदी ने ये निडर फैसला लिया। अब दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसान मोदी को Thank You कह रहे हैं। लेकिन मोदी विरोधी इसमें भी अपनी सियासी ज़मीन तलाश रहे हैं।
आज सुबह सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों किसान कानूनों की वापसी का ऐलान किया। कृषि कानून की वापसी कितना चुनावी है और कितना किसानी?
सिंह ने हाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी। उन्होंने कहा था कि शाह के साथ किसान आंदोलन पर चर्चा हुई और उनसे तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कर तत्काल संकट का समाधान करने का अनुरोध किया है।
आज प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया। ऐसा भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसानों ने इतना बड़ा आंदोलन किया और सरकार ने उनकी मांगों को मान लिया। लेकिन इस मुद्दे पर अब भी सियासत ख़त्म नहीं हुई है। देखिए कुरुक्षेत्र सौरव शर्मा के साथ।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्होंने किसानों के हित में ये तीनों कृषि कानून परित किये थे लेकिन वह लोगों को इस संबंध में समझा नहीं पाए और इसलिए इन कानूनों को वापस लिया जा रहा है।
गुरु पर्व के दिन केंद्र की मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया है। कृषि कानूनों की वापसी के फैसले से बॉर्डर पर डटे किसान बेहद खुश हैं। लेकिन इस मुद्दे पर सियासत भी जारी है। आरोप लग रहे हैं कि 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के चलते मजबूरी में ये फैसला लिया गया है। क्या यह प्रधानमंत्री मोदी का 'मास्टर स्ट्रोक' है या मजबूरी? देखिए मुक़ाबला अजय कुमार के साथ।
शनिवार को कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों से मुलाकात करने के लिए कहा गया है।
इससे पहले प्रियंका गांधी वाद्रा ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले को किसानों की जीत और सरकार के अहंकार की हार करार दिया।
गुरु नानक जयंती के शुभ अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया है
बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह किसान आंदोलन की शुरुआत से ही इसके समर्थन में खड़े रहे हैं। अमरिंदर सिंह ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए कई बार पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
उद्योग ने कृषि कानूनों को निरस्त करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया और कहा कि इससे गतिरोध को रोकने में मदद मिलेगी
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