कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच 7वें दौर की बैठक भी सोमवार को बेनताजी रही। बैठक खत्म होने के बाद एक किसान नेता कहा कि हमने सरकार को बताया कि पहले कृषि क़ानूनों को वापिस किया जाए, MSP पर बात बाद में करेंगे।
किसान आंदोलन पर रविवार को किसान नेताओं ने सिंघू बार्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। किसान नेता ओंकार सिंह ने कहा कि आज 37 वां दिन है, सरकार को अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए।
केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे तथा दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों की मुश्किलें रातभर हुई बारिश ने बढ़ा दीं। लगातार बारिश होने से आंदोलन स्थलों पर जलजमाव हो गया है।
किसान आंदोलन का समन्वय कर रही समिति ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार से कहा कि अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गई तो दिल्ली के चारों ओर लगे मोर्चों से किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर ट्रॉली और अन्य वाहनों के साथ किसान गणतंत्र परेड करेंगे।
सिंघु बॉर्डर पर बैठे आंदोलनकारी किसान नेताओं ने कहा कि अगर सरकार चार जनवरी को हमारे पक्ष में फैसला नहीं लेती है तो प्रदर्शनकारी किसान संगठन कड़े कदम उठाएंगे।
पार्टी ने हालांकि कहा है कि वह इस इस बारे में बीजेपी विधायक ओ. राजगोपाल से बात करेंगे, लेकिन सूत्रों ने कहा कि राजगोपाल के इस कदम से पार्टी हैरान है।
राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश के हजारों किसान 13 दिसंबर से जयपुर-दिल्ली राजमार्ग पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं |
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल की 'लंच डिप्लोमेसी' ने बुधवार को किसान नेताओं और सरकार के रिश्तों के बीच जमी बर्फ पिघला दी। यही वजह रही कि अब तक विज्ञान भवन में बेनतीजा साबित हुईं पांच बैठकों से यह बैठक काफी अलग रही।
किसान संगठनों के साथ छठे दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बैठक में किसान नेताओं ने जो 4 विषय रखे, उनमें से दो विषयों पर आपसी रजामंदी हो गई है।
खेती और किसानी के एक्सपर्ट और मोदी सरकार के पूर्व मंत्री हुक्मदेव नारायण यादव ने इंडिया टीवी से बातचीत के दौरान कहा- राहुल गाँधी ने उतना दूध नहीं पिया होगा जितना मेरे शरीर से पसीना निकला होगा |
कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर अड़े किसान संगठन आज एक बार फिर सरकार के साथ बातचीत की मेज पर आमने सामने हैं। दिल्ली के विज्ञान भवन में किसानों के साथ छठे दौर की वार्ता शुरू हो गई है।
किसान आंदोलन मंगलवार को 34वें दिन जारी है। किसानों के मसले का समाधान तलाशने और आंदोलन को समाप्त करने के लिए सरकार के साथ किसान नेताओं की वार्ता अब 30 दिसंबर को होगी।
बिहार की राजधानी पटना में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और लेफ्ट पार्टियों ने कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया |
सितंबर में लागू, किये गये तीन कृषि कानूनों को केंद्र सरकार, कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों के रूप में पेश कर रही है जो किसानों और बाजार के बीच बिचौलियों को दूर करेगा और किसानों को देश में कहीं भी बेचने की छूट देगा। हालाँकि, प्रदर्शनकारी किसानों इनका विरोध करते हुए कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
सरकार ने आंदोलनकारी किसान संगठनों को पत्र लिखकर 30 दिसंबर को बातचीत के लिए बुलाया है। ये बैठक दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में होगी। इससे पहले दोनो पक्षों में कई दौर की बात हो चुकी है हालांकि अभी तक कोई हल नहीं निकला है।
पीएम मोदी ने सोमवार को 100वीं किसान रेल को हरी झंडी दिखाई। किसानों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि किसान रेल किसानों को सशक्त बनाने और उनकी आय बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने किसानों के साथ कल होने वाली बैठक को लेकर कहा कि हम आशावान हैं कि बैठक में सफलता मिलेगी और हम एक समाधान तक पहुंच सकेंगे.
दिल्ली प्रदेश भाजपा ने केंद्र के नये कृषि कानूनों का विरोध करने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को रविवार (27 दिसंबर) को घेरने की कोशिश की।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को केंद्र से कृषि कानूनों को वापस लेने की अपील करते हुए कहा कि किसान जीवित रहने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।
मुझे देखकर दुख होता है कि यहां 40 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। मैं केंद्र से उनकी बात सुनने और कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपील करता हूं: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल
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