बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "किसान यूनियन के साथ 9वें दौर की वार्ता समाप्त हुई। तीनों क़ानूनों पर चर्चा हुई। आवश्यक वस्तु अधिनियम पर विस्तार से चर्चा हुई। उनकी शंकाओं के समाधान की कोशिश की गई।"
केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस ने शुक्रवार को ‘किसान अधिकार दिवस’ मनाया। इसके तहत पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने प्रदेश मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन किया और राज्यपालों एवं उप राज्यपालों को ज्ञापन सौंपें।
ये तीन कानून किसान को खत्म करने के कानून हैं। इस देश को आज़ादी अंबानी-अदानी ने नहीं, किसान ने दी है। आज़ादी को बरकरार हिन्दुस्तान के किसान ने रखा है, जिस दिन देश की खाद्य सुरक्षा चली जाएगी उस दिन देश की आज़ादी चली जाएगी: राहुल गांधी
भारत सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करती है और उच्चतम न्यायालय की बनाई समिति जब सरकार को बुलाएगी तो हम अपना पक्ष समिति के सामने रखेंगे। आज वार्ता की तारीख़ तय थी इसलिए किसानों के साथ हमारी वार्ता जारी है: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की अगुवाई कर रहे यूनियनों के नेताओं के साथ सरकार की यह नौवें दौर की वार्ता है।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा कि प्रदर्शनकारी किसान संगठनों और सरकार के बीच नौवें दौर की वार्ता तय कार्यक्रम के तहत शुक्रवार (15 जनवरी) को होगी और केंद्र को उम्मीद है कि चर्चा सकारात्मक होगी।
बीकेयू के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, जो कि कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के चार सदस्यों में से एक थे, ने गुरुवार को कहा कि वह खुद को पैनल से हटा रहे हैं।
कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है जो 4 महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। एक्सपर्ट कमेटी बनाएं जाने के फैसले के बाद किसान नेताओं ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। किसान नेता ने कहा कि हमारा आंदोलन अनिश्चितकालीन जारी रहेगा।
शिवसेना ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आंदोलनरत किसानों की भावनाओं का सम्मान करने और नए विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने का आग्रह किया
तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का पक्ष लेते हुए कांग्रेस नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने बुधवार को कहा कि लोकतंत्र में कानून निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा बनाए जाते हैं, न कि अदालतों द्वारा।
मोदी सरकार द्वारा लाये गये तीन नए कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट के रोक लगाए जाने के बाद भी आंदोलन जारी है। राजधानी दिल्ली में कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों आज कृषि कानूनों की कॉपी जलाकर लोहड़ी का पर्व मनाया।
किसान पहले सरकार की नहीं सुन रहे थे और अब कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट की भी नहीं सुनेंगे, तो सवाल उठता है कि वे लोकतंत्र में फिर किसकी सुनेंगे?
दिल्ली के टिकरी बार्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बुधवार को लोहड़ी के अवसर पर तीन कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर अपना विरोध दर्ज किया है।
कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कमेटी बनाएं जाने के फैसले के बाद किसान नेताओं ने कहा कि हमारा आंदोलन अनिश्चितकालीन जारी रहेगा। हमें सुप्रीम कोर्ट की कमेटी मंजूर नहीं है। हम सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे।
कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कमेटी बनाएं जाने के फैसले के बाद किसान नेताओं ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। किसान नेता ने कहा कि हमारा आंदोलन अनिश्चितकालीन जारी रहेगा। हमें सुप्रीम कोर्ट की कमेटी मंजूर नहीं है। हम सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे।
किसानों तथा सरकार के पक्ष को सुनने के लिए गठित इस कमेटी में चार सदस्य होंगे। इनके नाम इस प्रकार हैं
किसान कानून के मुद्दे पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हम एक कमेटी बना रहे हैं ताकि हमारे पास एक स्पष्ट तस्वीर हो।
केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए कृषि कानून और किसानों के आंदलोन के मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट अपना आदेश सुनाएगा।
कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा। उच्चतम न्यायालय ने कड़ाके की सर्दी में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों की स्थिति पर चिंता जताते हुये सोमवार को आशंका व्यक्त की कि कृषि कानूनों के खिलाफ यह आन्दोलन अगर ज्यादा लंबा चला तो यह हिंसक हो सकता है।
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