तीनों कानूनों के खिलाफ यूं तो आंदोलन की शुरुआत 2020 में हो गई थी। वर्ष 2021 से पहले ही किसान दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाल चुके थे। सरकार की ओर से भी बातचीत की पहल चल रही थी।
किसानों की मांग थी कि आंदोलन के दौरान देशभर में दर्ज हुए मुकदमे को वापस लिया जाए। एमएसपी पर कानूनी गारंटी दी जाए। केंद्र की सहमति के बाद 15 जनवरी को किसानों की फिर समीक्षा बैठक होगी।
SKM ने कहा, "सरकार के ताजा प्रस्ताव पर आम सहमति बन गई है। अब सरकार के लेटरहेड पर औपचारिक संवाद का इंतजार है। गुरुवार दोपहर 12 बजे फिर से सिंघू बॉर्डर पर बैठक होगी।"
5 सदस्यीय किसान कमेटी की बैठक जारी है। माना ये जा रहा है कि किसानों का ये पैनल आज गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर सकते हैं।
सरकार से बातचीत के लिए नियुक्त 5 किसान नेताओं की बुधवार को बैठक होगी।इसी में आंदोलन को खत्म करने या आगे की रणनीति पर फैसला लिया जा सकता है।
किसान आंदोलन कब ख़त्म होगा - इस सवाल पर अब भी सस्पेंस बरकरार है। किसान नेताओं की अब मांग है कि किसानों पर सभी दर्ज मुक़दमे वापस ले लिए जाएं।
कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘ हमने इन किसानों के बारे में पता लगाया। पंजाब की सरकार ने राज्य के करीब 400 किसानों को मुआवजा दिया है।
कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब किसान भी अपने वापस लौटने को पूरी तरह तैयार हैं। 4 दिसंबर को किसानों की बैठक के बाद पांच ऐसे किसान नेता चुने गए जो सरकार से बातचीत करेंगे। इन्हीं में से एक हैं किसान नेता युद्धवीर सिंह जिन्होंने इंडिया टीवी से ख़ास बातचीत की और कृषि कानूनों की वापस से लेकर किसानों आंदोलन के अंत जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की।
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