कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज आठवां दिन है। एक तरफ किसान नेता सरकार के साथ विज्ञान भवन में मीटिंग कर रहे हैं और दूसरी तरफ पूरी दिल्ली में अलग अलग बॉर्डर पर किसानों का घमासान जारी है।
बिहार में भी कृषि कानूनों के विरोध में विपक्षी राजनीतिक दल एक जुट होकर सत्ता पक्ष पर दबाव बनाने की जुगत में हैं। वैसे, बिहार में इसका विरोध किसानों के बीच वैसा देखने को नहीं मिल रहा है, लेकिन वामपंथी दल इसे लेकर अब गांवों में जाने की योजना बना रहे हैं।
कृषि कानूनों और किसान आंदोलन के मुद्दे पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह 3 दिसंबर यानि गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे।
महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तराखंड के किसान कह रहे हैं कि नए कानूनों से उन्हें फायदा मिला और वो फायदा उठा रहे हैं, इससे ये बात तो साफ हो गई कि कम से कम देश के सभी किसान ना तो नए कानूनों से नाराज हैं और ना नए कृषि कानूनों को किसानों के खिलाफ बता रहे हैं।
खेती से जुड़े 3 कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। इन तीनों कानूनों से पंजाब, हरियाणा समेत कुछ राज्यों के किसान नाराज हैं। उन्हें चिंता है कि नए कानून से उपज पर मिलने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो सकता है लेकिन क्या नए कानून से सारे किसानों का नुकसान हुआ?
किसान सरकार द्वारा तय एमएसपी पर फसलों की गारंटी की मांग कर रहे हैं। मगर, एमएसपी की गारंटी देने पर सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि सरकार को बजट का एक बड़ा हिस्सा एमएसपी पर ही खर्च होगा।
किसानों के साथ बैठक होने वाली बैठक से पहले कृषि मंत्री ने कहा कि कल (3 दिसंबर) समझाने पर किसान नहीं माने तो हम उनके कुछ सुझाव मान सकते हैं, सरकार जिद पर नहीं अड़ेगी।
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन बुधवार को भी जारी है। किसानों की मांग है कि नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार संसद का विशेष सत्र आहूत करे। प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि अगर मांगें नहीं मानी गयीं तो राष्ट्रीय राजधानी की और सड़कों को अवरुद्ध किया जाएगा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर जमकर हमला किया और कहा कि वह दिल्ली में तीन कृषि कानून पारित किए जाने का उनपर आरोप लगाकर बीजेपी की भाषा बोल रहे हैं।
नए कृषि कानूनों को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं ने सिंधु बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बुधवार (2 दिसंबर) को कहा कि सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाकर तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करे।
बिलकिस दादी सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों को अपना समर्थन देने के लिए पहुंची थीं। ‘शाहीन बाग की दादी’ के नाम से मशहूर बिलकिस ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की इच्छा जताई थी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके विधायक जहां पंजाब से आए किसान आंदोलनकारियों के समर्थन में लगे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली सरकार ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों में से एक की अधिसूचना जारी कर दी है जबकि बाकी दो अन्य पर विचार किया जा रहा है।
किसान कानूनों को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा तो केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पलटवार किया है।
सिंघू और टीकरी बॉर्डर के पास किसानों के प्रदर्शन के कारण दूसरे राज्यों से दिल्ली में सब्जियों और फलों की आपूर्ति पर असर पड़ा है और आजादपुर मंडी में भी इसकी आपूर्ति आधी रह गयी है।
विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान जिन स्थानों पर एकत्र हैं, वहां से कोविड-19 के गंभीर प्रसार की आशंका है, यहां अनेक किसानों ने मास्क नहीं पहन रखे हैं।
दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने कहा है कि वे निर्णायक लड़ाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी आए हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह वरिष्ठ नेताओं के साथ इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं।
किसान अपनी मांगों को लेकर मध्य दिल्ली के रामलीला मैदान या जंतर-मंतर पर रैली करने पर अड़े हैं। आखिर किसान अपना विरोध प्रदर्शन बुराड़ी मैदान में जाकर करने को लेकर अनिच्छुक क्यों हैं?
कांग्रेस ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली पहुंचने से रोके जाने के प्रयास को लेकर शनिवार को सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार ने जवान को किसान के खिलाफ खड़ा कर दिया है।
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