भारत सरकार देश में तेजी से बढ़ रहे इलेक्ट्रॉनिक्स वेस्ट के निपटारे के लिए जल्द ही रिपेयरिबिलिटी इंडेक्स लागू करने वाली है। इस पॉलिसी के लागू होने के बाद मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस को नई लाइफ मिल सकती है।
एक भारतीय मूल के ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के बेकार होने से विशाल आर्थिक लाभ तथा रोजगार सृजन की संभावनाएं होती हैं और प्रतिवर्ष 20 लाख टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्पन्न करने वाले भारत को निश्चित रूप से बहुत लाभ होगा।
सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान और स्मार्ट शहर परियोजना पर जोर दिए जाने के बावजूद भारत ई-कचरा पैदा करने वाले शीर्ष 5 देशों में बना हुआ है...
भारत में हर साल 18.5 लाख टन ई-कचरा पैदा होता है और सालाना आधार पर इसमें 25 फीसदी की दर से इजाफा हो रहा है। वर्ष 2018 तक आंकड़ा 30 लाख टन पर पहुंच जाएगा।
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