भारत और यूनान के संबंधों को मजबूती देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूनान की यात्रा करने वाले हैं। पिछले 40 वर्षों में यूनान की यात्रा करने वाले वह देश के पहले पीएम होंगे। उनसे पहले वर्ष 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागांधी ने यूनान की यात्रा की थी।
नाइजर में तख्तापलट के बाद हालात और बिगड़ने की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में फ्रांस समेत यूरोपीय देशों ने अपने नागरिकों को वहां से निकालने का प्रयास शुरू कर दिया है।
अमेरिका और यूरोप में मंदी और महंगाई के चलते ब्याज दरों में वृद्धि पर भारत का रिजर्व बैंक भी कड़ी नजर रखे हुए है। रिजर्व बैंक ने पिछली दो बैठकों में ब्याज दरों में वृद्धि नहीं की है।
महज 10 वर्ष की उम्र में भारतीय मूल की बच्ची अदिति त्रिपाठी ने 50 देशों की यात्रा पूरी कर ली है। इस दौरान उसने अपना कोई क्लास भी मिस नहीं किया। इसके लिए उसके माता-पिता साप्ताहिक अवकाश और राष्ट्रीय छुट्टियों में पूर्व प्लानिंग तैयार कर लेते थे। कई बार वह अदिति को लेकर सीधे स्कूल से एयरपोर्ट पहुंच जाते।
भारत ने यूरोपीय यूनियन के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने मणिपुर हिंसा पर यूरोपियन संसद में पारित प्रस्ताव को खराब मानसिकता से प्रेरित बताया। भारत ने कहा कि आंतरिक मामलों में दखलंदाजी नहीं की जानी चाहिए। यूरोप अपना काम देखे।
रूस-यूक्रेन युद्ध को 16 माह हो चुके हैं। इस दौरान सबसे बड़ा घटनाक्रम रूस की निजी सेना वैगनर ग्रुप का पुतिन से बगावत होना है। इससे यूक्रेन को एक उम्मीद जगी थी, लेकिन अचानक येवगिनी प्रिगोझिन ने पुतिन से सशस्त्र विद्रोह को वापस ले लिया। अब यूरोपीय संघ और नाटो पुतिन की ताकत का आकलन नहीं कर पा रहा।
जंगल की आग ने अब तक कनाडा में करीब 45 हजार वर्ग किमी जमीन को नष्ट कर दिया है। आग का यह धुआं उत्तरी यूरोपीयी देश नॉर्वे तक पहुंच गया है।
इंस्टाग्राम पर एक लव स्टोरी आजकल खूब वायरल हो रही है। यह कहानी है एक कलाकार की जो अपने प्यार को पाने के लिए भारत से यूरोप साइकिल चलाकर पहुंच गया। इस शख्स की लव स्टोरी बहुत ही शानदार है।
श्री श्री ने इस तथ्य की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया कि विश्वभर में मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ आयुर्वेद,ध्यान एवम् श्वसन तकनीकों को भी जोड़ना चाहिए।
कच्चे तेल के कारोबार पर रोकथाम लगाने की यूरोपीयन यूनियन (EU) की कोशिशों के बीच भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने यूरोपीय संघ को ऐसा करारा जवाब दिया है कि EU की बोलती बंद हो गई।
सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में देश का आयात भी सालभर पहले की तुलना में करीब 14 प्रतिशत घटकर 49.9 अरब डॉलर पर आ गया।
तीन साल में चार बार इस इच्छा मृत्यु के बिल पर सहमति बनी। पर इस देश के राष्ट्रपति ने हर बार इसका विरोध किया। हालांकि अब यह मान्यता मिल गई है।
यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ईसीबी) ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व की राह पर चलते हुए बृहस्पतिवार को नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का ऐलान किया।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन की कथित हत्या के प्रयास के मद्देनजर क्रेमलिन पर हुए ड्रोन हमले ने यूक्रेन पर भीषण पलटवार की आशंका बढ़ा दी है। इससे सिर्फ यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ही नहीं, बल्कि पूरा यूरोपीय संघ घबरा गया है। अमेरिका भी रूस के पलटवार की आशंका को भांप चुका है।
यूरोप रूस से अपने इस्तेमाल का 30 फीसदी तेल खरीदता था। लेकिन जंग शुरू होने के बाद प्रतिबंध लग जाने के कारण वे रूस से तेल नहीं खरीद पाए और उनके यहां तेल की किल्लत हो गई। यूरोपीय देशों की इसी किल्लत को भारत पूरा कर रहा है।
भारत का दबदबा दुनिया पर हर रोज बढ़ता जा रहा है। हाल ही में आए एनालिटिक्स फर्म केपलर के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं। भारत इस महीने रिफाइंड ईंधन का यूरोप का सबसे बड़ा सप्लायर बन गया है।
ताइवान पर वाशिंगटन के रुख की तरह, यूक्रेन पर हमले को लेकर चीन की स्थिति‘‘रणनीतिक अस्पष्टता’’ का एक उदाहरण रही है। चीन ने लगातार संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के महत्व पर जोर दिया है, जबकि आक्रमण की निंदा करने में विफल रहा है और मॉस्को को ‘‘बेहद दोस्ती’’ का आश्वासन दिया है।
रूस- यूक्रेन युद्ध के बाद पीएम मोदी के दोस्त राष्ट्रपति पुतिन उस वक्त बेहद परेशान हो गए थे, जब पश्चिमी देशों ने रूस पर यूक्रेन हमले का दोषी मानते हुए कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे और इसमें रूस के कच्चे तेल पर प्राइस कैप भी शामिल था। इससे रूस की अर्थव्यवस्था डांवाडोल होने का खतरा था। मगर दोस्त भारत ने उसे संभाल लिया।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को कहा कि अगर पश्चिमी देश रूस के अनाज निर्यात की बाधाओं को दूर करने में नाकाम रहते हैं तो मास्को उस समझौते से बाहर निकल सकता है जो यूक्रेनी अनाज को वैश्विक बाजारों में भेजने की अनुमति देता है।
अपने दोस्त रूस को फायदा पहुंचाने और खुद भी लाभ कमाने के लिए भारत ने नई तरकीब निकाली। वह रूसी तेल का कई गुना आयात बढ़ा चुका है। अब इसी रूसी कच्चे तेल को भारत की तेलशोधक कंपनियों ने प्रोसेस करके यूरोप को बेच दिया।
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