नये सदस्यों की कुल संख्या का 60 प्रतिशत हिस्सा महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक के प्रतिष्ठानों का रहा है। वहीं इसमें 49 प्रतिशत हिस्सा 18 से 25 आयुवर्ग का है।
ये आंकड़े देश में संगठित क्षेत्र में रोजगार की स्थिति को दर्शाते हैं। ईपीएफओ के सोमवार को जारी अस्थायी पेरोल आंकड़ों के अनुसार जुलाई, 2021 में शुद्ध रूप से 14.65 लाख नए सदस्य जोड़े गए।
कोविड-19 की दूसरी लहर इस साल मध्य अप्रैल से शुरू हुई थी, जिसने कई राज्यों को फिर से लॉकडाउन प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर किया।
पीएफ रिटर्न को आधार सत्पापित यूएएन के जरिये जमा कराने की समयसीमा को असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा के लिए 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ा दिया गया है।
पीएफ पर मिलने वाला 8.5 प्रतिशत ब्याज अन्य प्रोविडेंट फंड जैसे जनरल प्रोविडेंट फंड (जीपीएफ) और बचत योजनाओं जैसे पब्लिक प्रोविडेंट फंड (7.1 प्रतिशत) और नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (6.8 प्रतिशत) की तुलना में ज्यादा है।
आयकर कानून नियम, 1962 में नियम 9डी जोड़ा गया है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि पीएफ खातों में अलग से खाते बनाने होंगे। इसमें भविष्य निधि में कर योग्य और गैर-कर योग्य योगदान और उस पर मिलने वाले ब्याज को अलग-अलग दिखाना होगा।
31 अगस्त 2021 के बाद जो पीएफ अकाउंट आधार से लिंक नहीं होंगे, उनमें इंप्लॉयर की ओर से पीएफ कॉन्ट्रीब्यूशन जमा होने में दिक्कत होगी।
ईपीएफओ देश का प्रमुख संगठन है जो ईपीएफ और एमपी अधिनियम, 1952 के क़ानून के तहत शामिल संगठित / अर्ध-संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है।
EPFO ने सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 के तहत आधार लिंक का फैसला लिया था। इस नियम के तहत सभी अकाउंट होल्डर्स का UAN भी आधार वेरिफाइड होना जरूरी है।
वित्त वर्ष 2020-21 में ईपीएफओ को इक्विटी निवेश 31,025 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2019-20 में 32,377 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2018-19 में 27,743 करोड़ रुपये रहा।
यदि किसी सदस्य को पहले ही यूनिवर्सल अकाउंट नंबर जारी किया जा चुका है तब कर्मचारी को किसी नए संस्थान में अपना ये यूएएन नंबर बताना होता है
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के साथ अप्रैल 2021 में जुड़े कर्मचारियों की संख्या में मार्च की तुलना में 13.73 प्रतिशत की वृद्धि के साथ कुल 12.76 लाख की बढ़ोतरी हुई।
सरकारी एवं निजी क्षेत्र में नौकरीपेशा लोगों की भविष्य की सुरक्षा के लिए सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि यानी EPF को अनिवार्य बनाया है।
ईपीएफओ ने मंगलवार को कर्मचारियों के भविष्य निधि कोष के सार्वभौमिक खाता नंबर (यूएएन) को आधार नंबर के साथ सत्यापित करते हुये भविष्य निधि (पीएफ) रिटर्न दाखिल करने के आदेश पर अमल को एक सितंबर 2021 तक के लिये टाल दिया है
नए वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल जून के बीच पीएफ खाताधारकों के खाते में ब्याज का पैसा ट्रांसफर किया जाता है।
देश के करीब 8 करोड़ कर्मचारी अपने भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की ओर से दी जाने वाली भविष्य निधि (PF) निवेश करते हैं।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान अपने ग्राहकों को सहयोग देने के लिए अपने सदस्यों को दूसरे नोन-रिफंडेबल (गैर-वापसी) कोविड-19 एडवांस (अग्रिम) का लाभ उठाने की अनुमति दी है।
अब तक 76.31 लाख कर्मचारियों ने एडवांस के तौर पर 18,698.15 करोड़ रुपए की राशि की निकासी की है। इस रकम को वापस जमा नहीं करना है।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी की वजह से बढ़ती मौत की घटनाओं को देखते हुए कर्माचारियों में अपने परिवार के लोगों की सलामती को लेकर भय एवं चिंता से निपटने के लिए ईएसआईसी और ईपीएफओ योजनाओं के जरिये कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त लाभों की घोषण
1 जून 2021 से अगर किसी मेंबर का खाता आधार से लिंक नहीं होगा तो ECR फाइल करने की इजाजत नहीं होगी
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