मुजफ्फरपुर के दो बड़े हॉस्पिटल SKMCH और केजरीवाल अस्पताल में चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों का इलाज हो रहा है। इस बीच हैरान करने वाली बात ये है कि सूबे के सीएम से लेकर डिप्टी सीएम तक सबने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।
बिहार के मुजफ्फरपुर और पड़ोसी जिलों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कारण बच्चे मर रहे हैं, लेकिन डॉक्टर और स्वास्थ्य अधिकारी अभी भी बीमारी की सटीक प्रकृति और सटीक कारण के बारे में अंधेरे में हैं।
बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार की वजह से हो रही बच्चों की मौत के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया।
आजादी के 72 साल बाद भी एक बीमारी से इस तरह बच्चों की मौत होना, एक ऐसी त्रासदी है जिसे देखकर दिल दहल उठता है।
तेजस्वी यादव लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद सार्वजनिक जीवन से 'गायब' हो गए हैं। तेजस्वी यादव को 28 मई को अंतिम बार हार के कारणों की समीक्षा के लिए अपनी मां राबड़ी देवी के आवास पर आयोजित बैठक में देखा गया था।
केंद्रीय मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक ने अस्पताल का दौरा किया है लेकिन ना मरीजों के लिए कुछ खास हुआ और ना ही अस्पताल के लिए। सौ से ज्यादा बच्चों की मौत होने के बावजूद अस्पताल के अंदर के हालात बेहद खराब हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से जर्जर है, गांव में स्वास्थ्य केंद्रों का अभाव है और जहां केंद्र है, वहां डॉक्टर नहीं है।
बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार कहे जाने वाले अक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) से से अभी तक 108 बच्चों की मौत की खबर है।
सोशल मीडिया पर भी मंगल पांडेय की जबर्दस्त आलोचना हुई है और तमाम लोग उन्हें संवेदनहीन करार दे रहे हैं।
हालात से निपटने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीती शाम आला अधिकारियों और मंत्रियों के साथ एक हाई लेवल मीटिंग की। इस मीटिंग में कई बड़े फैसले लिए गए।
बिहार में लू के चलते पिछले दो दिनों में 113 लोगों की मौत हो गई है। गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज में हीटस्ट्रोक के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 35 हो गई। इनमें से 28 की इलाज के दौरान मौत हो गई जबकि 7 को मृत लाया गया। जबकि 106 मरीजों का इलाज चल रहा है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को मस्तिष्क ज्वर सहित अन्य अज्ञात बीमारी से अबतक 96 बच्चों की मौत को लेकर एक आंतरिक बैठक बुलाई है।
हर्षवर्धन ने मेडिकल कालेज का जायजा लेने के बाद पत्रकारों से कहा “मैं इस क्षेत्र के लोगों, विशेष रूप से प्रभावित परिवारों को विश्वास दिलाता हूं कि समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकार को सभी संभव आर्थिक और तकनीकी सहयोग देगी।"
मुजफ्फरपुर जिले में हाइपोग्लाइसीमिया के कारण 83 बच्चों की मौत हो गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मरने वाले बच्चों के परिजनों को 4 लाख रुपए मुआवजे का ऐलान किया है।
बिहार में रहस्यमयी चमकी-तेज बुखार से अब तक 56 बच्चों की जान चली गई है। खास तौर पर उत्तरी बिहार में इस जानलेवा बिमारी को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। हालात इमरजेंसी जैसे बने हुए हैं।
दरअसल 2017 में सीजनल बीमारियों ने तो परेशान ही किया इसके साथ ही कई बीमारी महामारी के रुप में सभी को खूब रूलाया। गोरखपुर में हुई घटना से पूरा देश हिल गया था। जानइए कौन सी बीमारी 2017 में सबसे ज्यादा हुई...
झारखंड के दो मेडिकल अस्पतालों में इस साल अब तक 800 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई और इसमें से ज्यादातर मौतें इंसेफलाइटिस की वजह से हुई हैं। इस साल अब तक राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में 660 बच्चों की मौत और जमशेदपुर के महात्मा गांधी मे
Rumours about vaccinations hamper India's drive to halt Japanese Encephalitis | 2017-08-17 18:30:49
केंद्रीय संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और बिहार समेत 14 राज्यों में इंसेफेलाइटिस का प्रभाव है, लेकिन पश्चिम बंगाल, असम, बिहार तथा उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में इस बीमारी का प्रकोप है। कैसे करें बचाव जानिए...
गोरखपुर पर कहर बन कर टूटा इन्सेफेलाइटिस का दूसरा नाम जपानी बुखार है। यह करीब 90 साल पुरानी जानलेवा बीमारी है, लेकिन अभी तक इसका एंटी वायरल ड्रग उपलब्ध नहीं है। जानिए लक्षण और बचने के उपाय...
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