चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुडे आंकड़े अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है.लेकिन इसपर बवाल जारी है...सुप्रीम कोर्ट ने SBI को आदेश दिया है कि वो इन बॉन्ड से जुड़े नंबर भी जारी करे...स्टेट बैंक ने जितने भी बॉन्ड जारी किए हैं उनके unique alphanumeric number नंबर हैं...बैंक ने बॉन्ड के बारे में जान
इलेक्टोरल बॉन्ड मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। कोर्ट ने चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड डेटा को वापस करने के ईसीआई के अनुरोध को भी स्वीकार कर लिया है।
चुनावी इलेक्टोरल बॉन्ड में जिस कंपनी ने 1368 करोड़ रुपये दान किए हैं। उस कंपनी के मालिक का नाम है सैंटियागो मार्टिन। बता दें कि सैंटियागो मार्टिन को भारत में लॉटरी किंग के नाम से भी जाना जाता है, जिनका लॉटरी के क्षेत्र में बड़ा नेटवर्क है।
चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। यह डेटा 763 पेज का है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर पूरा डेटा उपलब्ध करा दिया गया है।
चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के मामले में SBI की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने एसबीआई को कल तक का समय दिया है।
SBI ने बीते 4 मार्च को कोर्ट से आग्रह किया था कि जानकारी देने के लिए 30 जून तक का समय दिया जाए, लेकिन कोर्ट के द्वारा इस याचिका को सुनवाई के लिए अभी तक शिड्यूल नहीं किया है।
एसबीआई ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर इलेक्टोरल बॉन्ड का विवरण जमा करने के लिए 30 जून तक समय बढ़ाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले एसबीआई को 6 मार्च तक विवरण जमा करने को कहा था।
इंडिया टीवी के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर हमने जनता से पूछा था कि 'लोकसभा चुनावों से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉन्ड पर रोक लगाना क्या सभी पार्टियों के लिए बड़ा झटका है?'
चुनावी बॉन्ड को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कांग्रेस पार्टी ने स्वागत किया है। पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह निर्णय नोट के मुकाबले वोट की ताकत को और मजबूत करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड असंवैधानिक करार दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि चुनावी बॉन्ड बेचने वाली बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया तीन हफ्ते में चुनाव आयोग के साथ सभी जानकारियां साझा करे।
केंद्र सरकार ने 2017 में ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को फाइनेंस बिल के जरिए संसद में पेश किया था। जनवरी 2018 में बने कानून पर अब कोर्ट ने रोक लगा दी है।
केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि दो अलग-अलग फैसले हैं। एक उनके द्वारा लिखा गया और दूसरा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना द्वारा और दोनों फैसले सर्वसम्मत हैं।
केंद्र सरकार ने 2017 में ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को फाइनेंस बिल के जरिए संसद में पेश किया था। संसद से पास होने के बाद 29 जनवरी 2018 को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। इसके जरिए राजनीतिक दलों को चंदा मिलता है।
चुनावी बॉन्ड के विरोध में दायर की गई विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो चुकी है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
राजनीतिक दलों को चंदे के लिए 2018 में लाई गई ‘चुनावी बॉन्ड’ योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली कॉन्स्टिट्यूशन बेंच ने सुनवाई आज से शुरू कर दी है।
जिन पंजीकृत राजनीतिक दलों को पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में एक प्रतिशत या उससे अधिक वोट मिले हैं, वे ही चुनावी बॉन्ड से चंदा पाने के लिए पात्र हैं।
बेचे गए कुल बॉन्ड में लगभग 93.5 प्रतिशत एक करोड़ रुपये मूल्यवर्ग के थे। मूल्य के लिहाज से एक लाख, दस हजार और एक हजार मूल्यवर्ग के बॉन्ड की हिस्सेदारी 0.25 प्रतिशत से भी कम थी।
Rajasthan News: केंद्र सरकार द्वारा चुनावी योजना को पूरी तरह पारदर्शी बताए जाने के कुछ ही दिन बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को एक बार फिर इलेक्टोरल बॉन्ड को आजादी के बाद का सबसे बड़ा घोटाला बताया।
राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में चुनावी बांड की व्यवस्था की गयी है।
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को एक अप्रैल 2021 से 10 अप्रैल 2021 के दौरान 29 अधिकृत शाखाओं के जरिये चुनावी बांड की 16वें चरण की बिक्री और उसे भुनाने के लिए अधिकृत किया गया है।
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