वैसे तो गुजरात की सत्ता में बीजेपी लंबे समय से काबिज है लेकिन इस बार समीकरण बदले नजर आ सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली और पंजाब जीतने के बाद आम आदमी पार्टी ने गुजरात में भी पूरी ताकत लगा दी है।
Shiv Sena: वहीं इस एपहले सोमवार को शिंदे गुट ने त्रिशूल, गदा और उगता सूरज के तीन चिन्ह ऑप्शन के तौर पर दिये थे, जिन्हें आयोग ने खारिज कर दिया था और शिंदे गुट से चुनाव चिन्ह के लिए फिर से नये विकल्प देने को कहा था।
Election Commission: देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने नए सिरे से यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। अगर सरकार यह प्रस्ताव मानकर कानून में बदलाव करती है तो भारतीय चुनावी प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
Delhi News: मुफ्त चुनावी सौगातों को लेकर देश में जारी बहस के बीच निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के समक्ष आदर्श चुनाव संहिता में संशोधन का एक प्रस्ताव रखा है।
ByElections: आयोग के नोटिफिकेशन के अनुसार, इन विधानसभा उपचुनाव की अधिसूचना की तारीख सात अक्टूबर को जारी की जायेगी। यहां नामांकन की तारीख 14 अक्टूबर है। 17 अक्टूबर को नामांकन वापस लेने की तारीख है।
Election Commission Voter List: 1 जनवरी के बाद 18 साल के होने वालों को वोटर के रूप में रजिस्ट्रेशन के लिए पूरे एक साल तक इंतजार करना पड़ता था। चुनाव कानून में बदलाव के बाद, लोग 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को 18 साल की उम्र में वोटर के रूप में रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
चुनाव आयोग ने शनिवार को घोषणा की कि पश्चिम बंगाल छत्तीसगढ़, बिहार और महाराष्ट्र में उपचुनाव 12 अप्रैल को आयोजित किए जाएंगे।
पांच राज्यों में कुल 140.29 करोड़ रुपये की नकद जब्त हुई, जबकि 99.84 करोड़ रुपये मूल्य की 82 लाख लीटर से अधिक शराब भी जब्त की गई। साथ ही 569.52 करोड़ रुपये के मादक पदार्थ, 115.054 करोड़ रुपये की कीमती धातुएं और 93.5 करोड़ रुपये के मुफ्त उपहार भी जब्त किए गए।
अगर वोट नहीं दिया तो क्या सच में आपके खाते से 350 रुपये काट लिए जाएंगे। इसको लेकर चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने इस पर स्थिति साफ की है।
आयोग के अनुसार, चुनाव प्रचार अब सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक के बजाय सुबह छह बजे से रात 10 बजे के बीच किया जा सकता है। इससे उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को एक दिन में प्रचार करने के लिए चार घंटे और मिलेंगे।
निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए किए जाने वाले रोडशो, पद यात्राओं, साइकिल एवं वाहन रैलियों पर लगाए गए प्रतिबंध की अवधि रविवार को बढ़ा दी, लेकिन राजनीतिक सभाओं संबंधी नियमों में ढील दे दी।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि कुछ देर पहले वहां से एडिशनल एसपी से बात हुई है, उन्होंने कहा है कि एक व्यक्ति पकड़ा गया है, हथियार भी बरामद हुआ है। हमारी चुनाव आयोग से गुजारिश है कि इस मामले की स्वतंत्र जांच कराई जाए।
चुनाव आयोग ने सोमवार को 11 फरवरी तक रैलियों पर प्रतिबंध बढ़ा दिया है वहीं अधिकतम 1,000 लोगों के साथ रैलियों की अनुमति दी है। 500 लोगों की अधिकतम क्षमता वाली इनडोर बैठकें हो सकती है।
चुनाव वाले पांच राज्यों (यूपी, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर) में कोविड-19 की स्थिति का जायजा लेने के लिए निर्वाचन आयोग की बैठक सोमवार को होगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि प्रत्यक्ष (फिजिकल) रैली पर प्रतिबंध जारी रखा जाए या नहीं।
यूपी के मुख्य चुनाव अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने जारी बयान में कहा है कि जो भी इस नियम का पालन नहीं करेगा, उसे दो साल तक की जेल हो सकती है साथ ही उस पर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
भारत निर्वाचन आयोग ने उन क्षेत्रों में 500 लोगों तक की सीमा के साथ भौतिक सभाएं करने की अनुमति दी थी जहां पहले दो चरणों में मतदान होने हैं। आयोग ने कहा था कि 10 फरवरी को पहले चरण के मतदान वाले क्षेत्रों में राजनीतिक दल और उम्मीदवार 28 जनवरी से 'भौतिक जनसभाएं' कर सकते हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू ने AAP द्वारा चलाए गए अभियान 'जनता चुनेगी अपना सीएम' को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। इस बाबत सिद्धू ने चुनाव आयोग को पत्र भी लिखा है।
भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने शनिवार को चुनावी राज्यों में रैलियों और रोड शो पर लगी रोक को 31 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया है। हालांकि, भारत निर्वाचन आयोग ने पहले चरण के उम्मीदवारों को थोड़ी राहत दी है।
चुनाव आयोग ने शनिवार को प्रत्यक्ष रैलियों और रोडशो पर रोक 22 जनवरी तक बढ़ा दी है। चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को अधिकतम 300 व्यक्तियों या 50 प्रतिशत हॉल की क्षमता के साथ इनडोर बैठकें आयोजित करने की अनुमति दी है।
देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भारत निर्वाचन आयोग से आग्रह किया कि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में अगले सप्ताह प्रस्तावित ‘धर्म संसद’ पर रोक लगाई जाए क्योंकि ‘इस आयोजन का मकसद चुनावों के सांप्रदायिक आरोप-प्रत्यारोप को सार्वजनिक विमर्श में लाना है।’
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