जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। अधिसूचना में कहा गया है कि उम्मीदवार 9 सितंबर तक अपना नामांकन फॉर्म वापस ले सकते हैं। मतदान 25 सितंबर को होगा।
90 विधानसभा सीटों वाले जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव हो रहे हैं। पहले फेज में 24 सीटें हैं। पहले फेज के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 27 अगस्त है ऐसे में आज जम्मू-कश्मीर पर BJP की पहली लिस्ट आ गई है।
टिकट बंटवारा में किसका गिरेगा विकेट ? क्या हरियाणा में हैट्रिक लगा पाएगी बीजेपी ? हुड्डा हराएंगे हरियाणा या सैनी बनाएंगे सरकार? मोदी 3.O की परीक्षा...कौन किस पर भारी? क्या महबूबा अब्दुल्ला बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती हैं ?
टोहाना में 2019 के चुनाव में जेएनजेपी के देवेंदर सिंह बबली ने जीत हासिल की थी। वहीं 2014 के चुनाव में इस सीट से बीजेपी के सुभाष बराला जीते थे।
साल 2019 के चुनाव में इस सीट से दुष्यंत चौटाला जीत गए थे लेकिन साल 2014 में उन्हें इस सीट से हार का सामना करना पड़ा था और यहां से बीजेपी की प्रेमलता ने जीत हासिल की थी।
हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टियों ने कमर कस ली है। बरोदा सीट पर भी दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है। ये सीट लंबे समय से कांग्रेस के कब्जे में हैं।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही सियासत की दुनिया में उथल पुथल शुरू हो गई है। नेता और पार्टियां चुनावी समीकरण सेट करने में जुटे हुए हैं। इस बीच सांबा जिले की एक सीट चर्चा में है।
जम्मू-कश्मीर की सियासत में अच्छा-खासा दखल रखने वाली ‘अपनी पार्टी’ के संस्थापक सदस्य जफर इकबाल मन्हास के कांग्रेस का दामन थामने की वजह से सूबे की सियासत और दिलचस्प होने की उम्मीद है।
महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है लेकिन डेट अनाउंस नहीं हुई..जबकि हरियाणा की चुनाव तारीख आ गई है,, पहले महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव एक साथ हुए थे..इस बार हरियाणा-महाराष्ट्र के चुनाव एक साथ क्यों नहीं हो रहे?
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा कर दी है। बता दें कि जम्मू कश्मीर में 3 चरणों में मतदान होगा। 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्तूबर को वोटिंग की जाएगी। वहीं 4 अक्तूबर को चुनाव के परिणाम घोषित किए जाएंगे।
क्या उत्तर प्रदेश में बीजेपी कार्यकर्ता निराश हैं?...यूपी में कार्यकर्ता संगठन की ओर या सरकार की ओर?..योगी के नाम पर कार्यकर्ता कितने उत्साहित हैं ?
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ती जा रही है। जो बाइडेन की लोकप्रियता रेटिंग में गिरावट आई है। ऐसे में डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद ही जो बाइडेन को चुनाव से बाहर हो जाने की सलाह दे रहे हैं।
फ्रांस के संसदीय चुनाव में जिस तरह के नतीजे आए हैं उसने सभी को हैरान कर दिया है। चुनाव में वामपंथी दलों के गठबंधन को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं। फ्रांस में हुए चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है।
फ्रांस के संसदीय चुनाव में चौंकाने वाले नतीजे आए हैं। किसी को इन नतीजों की उम्मीद नहीं थी। चुनाव में वामपंथी दलों के गठबंधन को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं। नतीजों के बाद फ्रांस में कई जगहों पर हिंसा भी देखने को मिली है।
ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव को लेकर मतदान शुरू हो गया है। ईरान में इस पद के लिए दोबारा मतदान कराए जा रहे हैं। देश के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने भी मतदान किया है।
ब्रिटेन में आम चुनाव को लेकर मतदान शुरू हो गया है। चुनाव में चार करीब करोड़ 65 लाख मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार का चुनाव कर सकेंगे। मुख्य मुकाबला ऋषि सुनक और कीर स्टार्मर के बीच है।
ब्रिटेन में हो रहे आम चुनाव में जनता नेताओं की किस्मत का फैसला करेगी। इस बार चुनाव के दौरान मतदान केंद्र पर पहचान पत्र ले जाना अनिवार्य कर दिया गया है। चुनाव में ऋषि सुनक की टक्कर कीर स्टार्मर से है।
फ्रांस के संसदीय चुनाव में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की हार और उनकी विदाई अब तय मानी जा रही है। पहले दौर के मतदान के बाद नेशनल रैली की नेता धुर-दक्षिणपंथी ले पेन की पार्टी को धमाकेदार जीत हासिल हुई है। ऐसे में नाजी युग के बाद पहली बार धुर-दक्षिणपंथियों के हाथ में सत्ता जाती हुई दिख रही है।
फ्रांस में 577 सीटों के लिए होने वाले संसदीय चुनाव के पहले चरण में हुए बड़े पैमाने पर मतदान ने पहली बार धुर-दक्षिणपंथियों के हाथ में फ्रांस की सत्ता जाने का संकेत दिया है। नाजी युग के पतन के बाद ऐसा पहली बार होने जा रहा है। फ्रांस के लोग राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से काफी नाराज बताए जा रहे हैं।
भारत के बाद अब अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन में भी राष्ट्रीय चुनावों का दौर आरंभ हो चुका है। ये तीनों ही देश भारत के प्रमुख रणनीतिक साझेदार हैं। विभिन्न सर्वे में अमेरिका से लेकर ब्रिटेन और फ्रांस तक में मौजूदा राष्ट्राध्यक्षों की वापसी की संभावना न के बराबर दिख रही है। हालांकि यहां सत्ता बदली तो भी संबंध स्थिर रहेंगे।
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