भारत के कई राज्य भीषण गर्मी की चपेट में हैं। दिन हो या रात, गर्मी से राहत नहीं मिल पा रही है। मैदानी इलाकों में तो गर्मी है ही, इस बार पहाड़ों में भी लू ने परेशान कर दिया है। जानिए क्यों पड़ रही है इतनी गर्मी?
इक्वाडोर इन दिनों सूखे की चपेट में है। देश में हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि यहां उर्जा संकट गहरा गया है। उर्जा संकट से बाहर निकलने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन ने लोगों से बड़ी अपील की है।
मौसम विज्ञान विभाग ने बड़ी खुशखबरी दी है, वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार भारत में मानसून की अच्छी बारिश देखने को मिलेगी। इसकी वजह ये है कि अल नीनी के कमजोर होने और ला नीना के प्रभाव के कारण बारिश बेहतर होगी।
भारत में अल नीनो के चलते मानसून के आने में देरी हुई। हालांकि चक्रवात बिपारजॉय ने इसमें अहम भूमिका निभाई।
भारत में अभी तक बारिश सामान्य से 53 प्रतिशत कम हुई है। केरल जहां से देश में मानसून प्रवेश करता है, वहां पर भी सामान्य से काफी कम बारिश रिकॉर्ड की गई है।
अल नीनो के कारण दक्षिण अमेरिका के पास प्रशांत महासागर की सतह के जल का ताप सामान्य से ज्यादा हो जाता है और इसे मॉनसून की हवाओं के कमजोर पड़ने तथा भारत में कम बारिश के साथ जोड़ कर देखा जाता है।
मौसम विभाग ने पूर्वानुमान जारी करते हुए कहा है कि भारत में इस साल सामान्य मानसून रहेगा। मौसम विभाग की यह भविष्यवाणी देश में कृषि उत्पादन को लेकर उठ रही चिंताओं को कम कर सकती है।
सर्दियों का मौसम अब खत्म होने वाला है और गर्मियां आने वाली हैं। इस बार भीषण गर्मी पड़ सकती है। मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है और कहा है कि अल नीनो की वजह से इस साल बारिश कम होगी और गर्मी ज्यादा पड़ेगी।
मौसम विभाग के मुताबिक इस साल मानसून सीजन के दौरान सामान्य यानि 96 प्रतिशत बरसात का अनुमान है। इसमें 5 प्रतिशत बरसात ऊपर-नीचे हो सकती है।
IMD के मुताबिक टर्फ (विशेष बादल बनने) निर्मित होने और वायुदाव में बदलाव के कारण अब 29 से 30 मई तक मानसून के केरल पहुंचने की उम्मीद है।
दक्षिण पश्चिमी मानसून के लिए परिस्थिति बेहद अनुकूल बनी हुई है। भारतीय मौसम विभाग की माने तो केरल में मानसून की पहली बारिश 30 मई को हो सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार इस साल मानसून सामान्य रहा तो कृषि क्षेत्र की जीडीपी की वृद्धि दर 3-4 प्रतिशत रह सकती है। स्वामीनाथन ने कहा कि इससे किसानों की आय बढ़ेगी।
प्राइवेट वेदर एजेंसी स्काईमेट ने मानसून को लेकर अपना पहला अनुमान जारी कर दिया है। इसके मुताबिक 2014-15 की तरह इस साल भी देश में सामान्य से कम बारिश होगी।
वर्ष 2017 में अल-नीनो की स्थिति की वजह से भारत में मानसून को लेकर चिंता जताई जा रही है। नोमूरा की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट वेदर सर्विसेज ने चार महीने (जून-सितंबर) चलने वाले मानसून के दौरान 109 फीसदी बारिश का अनुमान लगाया है।
अभी साल आधा भी नहीं हुआ है और हम 2016 को सबसे गर्म साल के रूप में सुनने लगे हैं। 2015 में सबसे गर्म साल का रिकॉर्ड बना था, जो अब इस साल टूटने वाला है।
अमेरिकी एजेंसी नेशनल ऐरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के मुताबिक भारतीय शहरों का तापमान साल दर साल लगातार बढ़ता जा रहा है।
लगातार यह दूसरा साल है जब भारत में सूखे जैसे हालात है। लेकिन अगले 9 महीने में इसके खत्म होने की संभावना है। अल-नीनो पर ला-नीना भारी पड़ सकता है।
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