पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी का महत्व पुराणों में भी लिखा है। इस बार यह एकादशी 17 जनवरी, गुरुवार को है। जानें आचार्य इंदु प्रकाश से राशिनुसार कौन से उपाय करना होगा शुभ।
मार्गशीर्ष महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी को भारतीय धर्म शास्त्रों में मोक्षदायिनी एकादशी के रुप में माना जाता है। इस बार मोक्षादायिनी एकादशी 18 और 19 दिसंबर को मनाई जा रही है। जानें मोक्षदा एकादशी का महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा।
Utpanna Ekadashi 2018 Date, Time, Muhurat : मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कथा।
आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी से ही करनी चाहिए। इसके साथ ही आज चित्रा नक्षत्र और सौभाग्य योग के संयोग में उत्पन्ना एकादशी के दिन आपको कौन-से विशेष उपाय करने चाहिए। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से।
Rama Ekadashi 2018: रमा एकादशी का प्रभाव दूसरी एकादशी से अधिक होता है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से सभी पाप नष्ट हो जाते है। जाने शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा।
Rama Ekadashi 2018: रमा एकादशी को रंभा एकादशी के नाम से जाना जाता है। आज के दिन कुछ खास उपाय करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से उपायों के बारें में।
भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार मास के श्रवण के बाद करवट बदलते है। इस बार परिवर्तिनी एकादशी 20 सिंतबर, गुरुवार को है। जाने शुभ मुहूर्त , पूजा विधि और व्रत कथा।
भगवान श्री विष्णु शयन शैय्या पर सोते हुए करवट लेते हैं, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्री विष्णु के वामन स्वरूप की पूजा की जाती है। जानइए आचार्य इंदु प्रकाश से राशिनुसार क्या उपाय करना होगा शुभ।
शास्त्रों में कहा जाता है कि राजा हरिशचंद्र ने अपने राज्य को पाने के लिए इस व्रत को किया था। जिसके कारण ही उन्हें आप खोया हुआ राज्य पुन: वापस मिल गया था। जानिए अजा एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
अजा एकादशी का व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है। आज के दिन विभिन्न राशि वालों को कुछ खास उपाय भी करने चाहिए। जिससे कि आपको हर काम में सफलता हासिल हो।
सितंबर माह की शुरुआत हो चुकी है। इसके साथ ही व्रत-त्योहारों का सिलसिला भी शुरु हो गया है। इस माह ही शुरुआत जन्माष्टमी के साथ हो गई है। इसके साथ ही इस माह कई खास व्रत और त्योहार पड़ेगें। जानिए सिंतबर माह के सभी व्रत-त्योहारों के बारें में।
इस एकादशी को पवित्र एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि जो भी इस व्रत को श्रद्धा से करता है उसके पूर्व जन्म के सभी पाप कट जाते हैं और संतान, धन संपत्ति का सुख प्राप्त होता है। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से राशिनुसार कौन से उपाय करना होगा शुभ।
पुत्रदा एकादशी व्रत: शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन पूजा-अर्चना करने से लाखों यज्ञों के बराबर का फल मिलता है। जानिए पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा के बारें में।
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि आज के दिन पूजा-पाठ, व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। एकादशी के सभी व्रतों में से इसको भगवान विष्णु का सबसे अच्छा व्रत माना जाता है। जानिए आज कौन से काम करना होगा अशुभ।
शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति सावन के महीने में भगवान नारायण की पूजा करने से सभी देवता, गन्धर्वो और नागों की पूजा हो जाती है। कामिका एकादशी का व्रत करने वाले के सारे बिगड़े काम बन जाते है। जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा।
आज आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तक के चार महीनों को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। जानिए क्या है देवताओं के निद्रा जानें की कथा।
देवशयनी एकादशी के दिन विभिन्न शुभ फलों की प्राप्ति के लिये, जीवन में अपनी तरक्की सुनिश्चित करने के अलावा हर मुराद को करें पूरा। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से क्या करें उपाय।
पुराणों के अनुसार देवशयनी एकादशी का व्रत जो भी भक्त सच्चे मन से रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान की सेवा करें, गाय को चारा दें और रात्रि जागरण करें। अगर ऐसा ना कर पाएं तो भूमि पर बिस्तर बिछाकर जरूर सोएं।
आषाढ़ी एकादशी 2018: शास्त्रों में एकादशी के दिन व्रत रखने की परंपरा है। अतः जो लोग व्रत रखना चाहते हैं, वे आज के दिन सुबह स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लें और विधि-पूर्वक भगवान की पूजा करें। जो लोग व्रत नहीं भी रख रहे हैं, उन्हें भी अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिये आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा जरूर करनी चाहिए।
अब कार्तिक शुक्ल एकादशी के बाद से ही मांगलिक कार्य शुरू होंगे। पुरानों के मुताबिक जब भगवान विष्णु ने राजा बलि का पाताललोक का राजा बना दिया और वर मांगने को बोला तो बलि ने उनसे पाताल लोक में निवास करने का आग्रह किया। तब से चार महीने के लिए देवता पाताललोक में चले जाते हैं। इस दौरान किसी भी तरह का मांगलिक कार्य निषेध है।
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