उपभोक्ता मामलों के विभाग के मुताबिक पॉम तेल की कीमत में 19 प्रतिशत, सूरजमुखी के तेल में 16 प्रतिशत और सरसों के तेल में 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है।
सोशल मीडिया पर आजकल सरसों के तेल को लेकर मीम ट्रेंड कर रह है। इसमें कहा जा रहा है कि लोग महंगे पेट्रोल-डीजल पर लड़ते रहे और बाजी सरसों का तेल मार गया।
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक विदेशी बाजारों में कीमतों में जितनी बढ़त हुई है, उसकी तुलना में घरेलू कीमतों में बढ़त कम रही है। उनके मुताबिक देश में तिलहनों के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करके खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं
भारत हर साल तकरीबन 150 लाख टन खाद्य तेल का आयात करता है, जबकि घरेलू उत्पादन करीब 70-80 लाख टन है। सरकार इस अंतर को खत्म कर आयात का खर्च किसानों को देने की योजना पर काम कर रही है। सरसों की खेती पर जोर देने से इस साल रकबा बढ़ा है और फसल अच्छी होने से उत्पादन 110 से 120 लाख टन के बीच रह सकता है।
मलेशिया एक्सचेंज के एक प्रतिशत की गिरावट और जाड़े की मांग घटने से पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई। शिकागो एक्सचेंज में भी दो प्रतिशत की गिरावट के कारण सोयाबीन दाना और सोयाबीन लूज (तिलहन) को छोड़कर सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई।
सरकार ने गुरुवार (26 नवंबर) को कच्चे पाम तेल (सीपीओ) पर मूल सीमा शुल्क घटाकर 27.5 प्रतिशत कर दिया है।
एसोसिएशन के मुताबिक सरसों की बेहतर कीमत मिलने की वजह से इस सीजन में सरसों का का रकबा बढ़ा है। जिससे इस साल खाद्य तेल का उत्पादन भी बढ़ सकता है।
रबी सीजन के दौरान देश में तिलहन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है और साथ में खरीफ सीजन में भी रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है। लेकिन भारत में जितना तिलहन पैदा होता है उससे खाने के तेल की 30-35 प्रतिशत ही जरूरत पूरी होती है
एक हफ्ता पहले पाम तेल 705 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध था जो अब बढ़कर 785 डॉलर प्रति टन हो गया है। इसी प्रकार चार-पांच दिन पूर्व जो सोयाबीन डीगम 840 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध था जो अब बढ़कर 902 डॉलर प्रति टन हो गया है।
घरेलू बाजार में मंगलवार को सोयाबीन, पामोलिन, मूंगफली और बिनौला तेलों में 50 से 120 रुपये क्विंटल तक गिरावट रही। लेकिन पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश में मांग निकलने से सरसों तेल 50 रुपये ऊंचा रहा
सोयाबीन और पामोलिन तेलों में 20 से 100 रुपये क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई। लेकिन सरसों में बाजार मजबूत बना हुआ है। नैफेड के पास लगातार ऊंचे भाव पर सरसों के लिये बोलियां आ रही हैं और मांग जारी है।
पाम आयल का आयात पिछले साल के मुकाबले 13.9 फीसदी की गिरावट के साथ 7.34 लाख टन के स्तर पर रहा है। सोयाऑयल आयात पिछले साल के मुकाबले 10.4 फीसदी की गिरावट के साथ 3.94 लाख टन के स्तर पर आ गया है।
बीते वित्त वर्ष में चीन को मूंगफली तेल के निर्यात में भारी बढ़त दर्ज
आठ महीनों में खाद्य तेल का कुल आयात पिछले साल के मुकाबले 15 फीसदी कम
पाम तेल का आयात इस साल मई में 52.69 प्रतिशत घटा
संगठन के मुताबिक खाद्य तेलों पर कम आयात शुल्क से किसानों की तिलहन खेती में रूचि घटी
नवंबर 2019 से अप्रैल 2020 के दौरान कुल खाद्य तेलों का आयात 6,182,184 टन रहा, जो पिछले साल की समान अवधि में 7,203,830 टन था।
मार्च के दौरान आरबीडी पामोलीन का आयात 90 प्रतिशत घटा है।
पाम ऑयल पर प्रतिबंध के बाद आयत में तेज गिरावट दर्ज
चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप गहराने से दुनियाभर के बाजारों में मंदी का माहौल है, जिससे कृषि उत्पाद बाजार भी प्रभावित हुआ है।
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