सूरजमुखी का आयात प्रभावित होगा तो इसका असर बाकी तेल-तिलहनों की कीमतों पर भी आयेगा। सूरजमुखी तेल का आयात शुल्क मूल्य मौजूदा आयात भाव के हिसाब से तय होने के कारण यह सोयाबीन से और मंहगा बैठेगा।
25 अक्टूबर से सरकार लूज में सोयाबीन की नये एमएसपी 4,892 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से खरीद शुरू करेगी, जिससे किसान काफी खुश हैं। इस अनुकूल खबर के बीच बाकी तेल-तिलहन भी अछूते नहीं रहे और उनकी कीमतें भी मजबूत होती दिखीं।
मूंगफली सहित सूरजमुखी, सोयाबीन आदि फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे दाम पर बिक रही हैं, जिसकी वजह से मूंगफली और सोयाबीन तेल-तिलहन में गिरावट है।
भारत- इंडोनेशिया और मलेशिया से पामतेल का आयात करता है। जबकि सोयाबीन तेल का आयात ब्राजील और अर्जेंटीना से करता है। देश, सूरजमुखी मुख्य रूप से रूस और यूक्रेन से आयात करता है।
बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 75 रुपये बढ़कर 6,675-6,725 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 250 रुपये बढ़कर 14,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
केंद्र ने बीते सप्ताह घरेलू तिलहन कीमतों का समर्थन करने के लिए विभिन्न खाद्य तेलों पर मूल सीमा शुल्क में वृद्धि की थी। 14 सितंबर से प्रभावी मूल सीमा शुल्क में वृद्धि, कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे पाम तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर शून्य से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है।
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के अलावा अन्य प्रमुख तिलहन उत्पादक राज्य गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु हैं।
Edible Oil Prices : सरकार एमएसपी पर सूरजमुखी खरीद करती भी है तो बाद में उसे कम दाम पर बेचना पड़ता है और सूरजमुखी किसानों को सूरजमुखी की खपत के लिए सरकार पर निर्भरता के कारण उन्होंने धीरे धीरे सूरजमुखी की खेती ही छोड़ दी।
चौतरफा बारिश के कारण सोयाबीन के फसल के आने में देर की वजह से भी दाम में वृद्धि हुई है और इसकी आवक भी घटकर एक लाख 30 हजार बोरी रह गई है। किसान इतने नीचे दाम पर बिकवाली से बच रहे हैं और अपनी आवक कम कर रखी है।
बिनौला का स्टॉक समाप्त हो चला है और इस बार बरसात के कारण बिनौला फसल आने में 10-15 दिन की देर होगी। हरियाणा के मिलवालों ने आज दक्षिण भारत से बिनौला सीड की 5,100 रुपये क्विंटल (रिकॉर्ड भाव) के भाव से खरीद की है।
सोयाबीन फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 4,892 रुपये क्विन्टल किया गया है। कीमत बढ़ने की उम्मीद में किसान पहले की बची फसलों को भी बेचने से बच रहे हैं।
Edible Oil Prices : वर्ष 2022 में जब विदेशों में खाद्य तेलों के दाम बढ़े थे तो उस समय सूरजमुखी तेल का दाम 2,500 डॉलर प्रति टन हो गया था और सोयाबीन एवं पामोलीन का दाम 2,200-2,250 डॉलर प्रति टन हो गया था।
सरकार को बिनौला के नकली खल की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए इसका कारोबार करने वालों के लिए लाइसेंस लेने की व्यवस्था करनी चाहिये। साथ ही इस बिनौला खल पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) भी लगाना चाहिये, क्योंकि इस कारोबार पर जीएसटी की छूट होने की वजह से भी नकली बिनौला खल का धंधा फल-फूल रहा है।
मौजूदा समय में आयातित तेलों के थोक दाम बेहद सस्ते हैं। सस्ता सोयाबीन का आयात बना रहा तो पहले के सोयाबीन फसल की तरह इस बार भी सोयाबीन को गोदामों में ही रखे रहना होगा।
आयातित खाद्यतेलों के सस्ते थोक दाम के आगे घरेलू तेल-तिलहन उद्योग और तिलहन किसानों को गभीर नुकसान हो रहा है।
Edible Oil Price : ब्रांडेड खाद्यतेल बनाने वाली कंपनियों के पास सरसों का स्टॉक नहीं है। किसी अफवाह में फंसकर किसानों ने अब तक बेसब्र बिकवाली का रास्ता नहीं चुना है।
Edible oil prices : मार्च के महीने में 11.49 लाख टन खाद्यतेलों का आयात हुआ था और अब अप्रैल में 13-13.50 लाख टन के लगभग खाद्यतेलों का आयात होने की संभावना है।
Edible oil prices : जो लोग किसानों को सस्ते में बेचने के मकसद से और सरसों का भाव तोड़ने के लिए आने वाले दिनों में सोयाबीन और सूरजमुखी का आयात बढ़ने की चर्चा फैला रहे थे, वे अब खामोश हैं और किसानों को भी समझ आ रहा है कि ऐसी अफवाहों का कारण क्या था।
Edible oil prices : जबतक पाम, पामोलीन के भाव सूरजमुखी से पर्याप्त कम नहीं होंगे, तब तक खाद्य तेलों की आपूर्ति की स्थिति नहीं सुधरने जा रही है।
Edible oil prices : पाम, पामोलीन के दाम महंगे होने से सॉफ्ट आयल कीमतों पर भी दवाब बढ़ गया है। इससे सभी तेल तिलहन के दाम मजबूत होते जा रहे हैं।
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