Edible Oil Prices : मूंगफली तिलहन का भाव 125 रुपये की गिरावट के साथ 5,800-6,125 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं, मूंगफली तेल गुजरात 400 रुपये की गिरावट के साथ 14,000 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव 45 रुपये की गिरावट के साथ 2,125-2,425 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
Edible Oil Prices : आवक कम रहने के बीच भारतीय कपास निगम (सीसीआई) द्वारा बिनौला सीड (तिलहन) का दाम 100 रुपये क्विंटल बढ़ाने के बावजूद हरियाणा, पंजाब में कपास नरमा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे दाम पर बिक रहे हैं। पाम, पामोलीन पहले ही खप नहीं रहे थे और महंगे दाम पर इसके लिवाल नहीं हैं।
Edible Oil Prices : लगभग 10 वर्ष पहले मोटा अनाज यानी मक्का का भाव जब 10-12 रुपये किलो था तो उस वक्त बिनौला खल का भाव 23-24 रुपये किलो यानी लगभग दोगुना हुआ करता था। लेकिन आज जब बिनौला खल का भाव 26 रुपये किलो है तो मक्का का भाव 27-28 रुपये किलो है।
बिनौले खल का दाम टूटने के असर से मूंगफली खल की मांग कमजोर हुई है और इसके लिवाल नहीं के बराबर हैं। इस वजह से मूंगफली तेल-तिलहन में गिरावट आने के साथ साथ मूंगफली किसान भी परेशान हैं।
Edible Oil Prices : पाम, पामोलीन के दाम कभी बढ़ाये तो कभी घटाये जा रहे हैं। मगर इन तेलों का भाव सोयाबीन, मूंगफली, सरसों जैसे खाद्य तेलों से लगभग 2-7 फीसदी अधिक है और इतने ऊंचे भाव में विश्व में कहीं भी पाम, पामोलीन का खपना मुश्किल है।
पाम-पामोलीन का आयात घटने से खाद्यतेलों की मांग को पूरा करने का संकट पैदा होगा। ऐसा इस वजह से होगा कि विदेशों से सोयाबीन को मंगाने में लगभग 60 दिन का समय लगता है और सूरजमुखी तेल की उत्तर भारत में अधिक खपत नहीं है।
Edible Oil Prices : देश के प्रमुख बाजारों में सरसों तेल-तिलEdible Oil Prices : देश के प्रमुख बाजारों में सरसों तेल-तिलहन और सोयाबीन तिलहन के दाम आज गिरावट के साथ बंद हुए हैं।हन और सोयाबीन तिलहन के दाम आज गिरावट के साथ बंद हुए हैं।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित पांच मंत्रियों से अपील की है कि वायदा कारोबार की गैरमौजूदगी ने मूल्य जोखिम प्रबंधन और बाजार विकास में बाधा उत्पन्न की है।
Edible Oil Prices : सरकार को सहकारी संस्था हाफेड और नाफेड के सरसों की बिक्री केवल तेल मिल वालों को करनी चाहिये, ताकि पेराई के बाद तेल बाजार में उपलब्ध हो सके और सीधा उपभोग के लिए उपलब्धता बढ़े ना कि उनका स्टॉक कर लिया जाये।
सूरजमुखी का आयात प्रभावित होगा तो इसका असर बाकी तेल-तिलहनों की कीमतों पर भी आयेगा। सूरजमुखी तेल का आयात शुल्क मूल्य मौजूदा आयात भाव के हिसाब से तय होने के कारण यह सोयाबीन से और मंहगा बैठेगा।
25 अक्टूबर से सरकार लूज में सोयाबीन की नये एमएसपी 4,892 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से खरीद शुरू करेगी, जिससे किसान काफी खुश हैं। इस अनुकूल खबर के बीच बाकी तेल-तिलहन भी अछूते नहीं रहे और उनकी कीमतें भी मजबूत होती दिखीं।
मूंगफली सहित सूरजमुखी, सोयाबीन आदि फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे दाम पर बिक रही हैं, जिसकी वजह से मूंगफली और सोयाबीन तेल-तिलहन में गिरावट है।
भारत- इंडोनेशिया और मलेशिया से पामतेल का आयात करता है। जबकि सोयाबीन तेल का आयात ब्राजील और अर्जेंटीना से करता है। देश, सूरजमुखी मुख्य रूप से रूस और यूक्रेन से आयात करता है।
बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 75 रुपये बढ़कर 6,675-6,725 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 250 रुपये बढ़कर 14,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
केंद्र ने बीते सप्ताह घरेलू तिलहन कीमतों का समर्थन करने के लिए विभिन्न खाद्य तेलों पर मूल सीमा शुल्क में वृद्धि की थी। 14 सितंबर से प्रभावी मूल सीमा शुल्क में वृद्धि, कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे पाम तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर शून्य से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है।
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के अलावा अन्य प्रमुख तिलहन उत्पादक राज्य गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु हैं।
Edible Oil Prices : सरकार एमएसपी पर सूरजमुखी खरीद करती भी है तो बाद में उसे कम दाम पर बेचना पड़ता है और सूरजमुखी किसानों को सूरजमुखी की खपत के लिए सरकार पर निर्भरता के कारण उन्होंने धीरे धीरे सूरजमुखी की खेती ही छोड़ दी।
चौतरफा बारिश के कारण सोयाबीन के फसल के आने में देर की वजह से भी दाम में वृद्धि हुई है और इसकी आवक भी घटकर एक लाख 30 हजार बोरी रह गई है। किसान इतने नीचे दाम पर बिकवाली से बच रहे हैं और अपनी आवक कम कर रखी है।
बिनौला का स्टॉक समाप्त हो चला है और इस बार बरसात के कारण बिनौला फसल आने में 10-15 दिन की देर होगी। हरियाणा के मिलवालों ने आज दक्षिण भारत से बिनौला सीड की 5,100 रुपये क्विंटल (रिकॉर्ड भाव) के भाव से खरीद की है।
सोयाबीन फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 4,892 रुपये क्विन्टल किया गया है। कीमत बढ़ने की उम्मीद में किसान पहले की बची फसलों को भी बेचने से बच रहे हैं।
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