चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 9.5 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। सरकार ने 31 मार्च, 2026 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है।
आईएमएफ के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 11 प्रतिशत से अधिक होगी, जबकि आरबीआई का अनुमान इसे 10.5 प्रतिशत के आसपास बताता है। दुनिया में भारत एकमात्र ऐसी बड़ी अर्थव्यवस्था है, जहां जीडीपी ग्रोथ को लेकर लगाया गया अनुमान दोहरे अंकों में है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश का निर्यात जनवरी 2021 में सालाना आधार पर 5.37 प्रतिशत बढ़कर 27.24 अरब डॉलर रहा। मुख्य रूप से फार्मा और इंजीनियरिंग क्षेत्र में अच्छी वृद्धि से निर्यात बढ़ा है। जनवरी के महीने में आयात भी 2 प्रतिशत बढ़कर 42 अरब डॉलर रहा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को अपने वादे का ‘अलग हटके’ बजट पेश करने वाली हैं। इस बजट से उम्मीद की जा रही है कि इसमें महामारी से पीड़ित आम आदमी को राहत दी जायेगी।
मुद्राकोष ने मंगलवार को 2021 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 11.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। इस लिहाज से कोरोना वायरस महामारी के बीच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत एक मात्र देश होगा जो इस साल दहाई अंक में वृद्धि हासिल करेगा।
आईएमएफ के द्वारा आज जारी किए गए अनुमानों के मुताबिक साल 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था 11.5 फीसदी की दर के साथ बढ़ सकती है। वहीं साल 2022 में इसमें 6.8 फीसदी की बढ़त देखने को मिलेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड महामारी के कारण विश्व की अर्थव्यवस्था में पिछले साल 4.3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। इसमें इस साल 4.7 प्रतिशत और अगले वर्ष 5.9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया गया है।
बैठक में रिजर्व बैंक के साथ भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) तथा भारतीय बीमा विनियामक प्राधिकरण इरडा सहित विभिन्न नियामकों ने भाग लिया।
रिपोर्ट के मुताबिक वाहन बिक्री, आयात में वृद्धि, जीएसटी संग्रह, विनिर्माण पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स) और डीजल की बिक्री बेहतर हुई है, जिससे अर्थव्यवस्था के तेजी से पटरी पर आने के संकेत मिल रहे हैं वहीं त्योहार और जाड़े के मौसम के बावजूद संक्रमण के नये मामलों में कमी भी सकारात्मक संकेत है।
सुब्बाराव ने कहा कि विस्तारित मनरेगा से जब जरूरत थी काफी मदद मिली। महिलाओं, पेंशनभोगियों और किसानों को शुरुआत में ही किये गये भुगतान से परिवारों के हाथ में पैसा आया, जिससे मांग सुधारने में मदद मिली। वहीं एफसीआई की तेज खरीद से किसानों की आमदनी बढ़ी और इससे सरकार को अपने खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को नवंबर अंत तक बढ़ाने में मदद मिली।
भारत 2025 तक ब्रिटेन को पछाड़ कर फिर दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और 2030 तक तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था एक पायदान नीचे खिसक कर छठे स्थान पर आ गयी है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह उपभोक्ताओं और निर्माताओं दोनों की एक सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे स्थानीय उत्पादों के लिए मुखर बनें, जो देश में हर किसी के लिए रोजगार प्रदान करने में मदद करेगा और वैश्विक बाजारों में देश की निर्यात हिस्सेदारी बढ़ाने में भी मदद करेगा।
कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आयी। वहीं दूसरी तिमाही में गिरावट कम होकर 7.5 प्रतिशत रही। दूसरी तिमाही के लिए पहले 9 फीसदी से ज्यादा की गिरावट का अनुमान लगाया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक रबी सत्र के लिए बेहतर खरीद तथा अनुकूल परिदृश्य के साथ कोविड-19 टीके को लेकर अच्छी खबरों से चौथी यानि जनवरी-मार्च की तिमाही में मांग में मजबूती दर्ज होगी और आर्थिक गतिविधियों में सुधार देखने को मिलेगा।
क्रेडिट सुइस ने कहा कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं वित्त वर्ष 2026-27 तक जीडीपी में 1.7 प्रतिशत का इजाफा कर सकती हैं। सालाना यह औसतन 0.3 से 0.5 प्रतिशत हो सकती है। पिछले साल सितंबर में कंपनी कर की दरों में कटौती और श्रम कानून में सुधारों से भी वृद्धि को गति मिलने की उम्मीद है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सितंबर तिमाही में उम्मीद से अधिक तेजी से सुधार होने के कारण पूर्वानुमान में बदलाव किया गया है। रेटिंग एजेंसी ने अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर के 10 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में आर्थिक भरपाई उम्मीद से बेहतर है और इस कारण दक्षिण एशिया में गिरावट के अनुमान को 6.8 प्रतिशत से संशोधित कर 6.1 प्रतिशत कर दिया गया है।
अडाणी ने अनुमान दिया है कि 2050 तक भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) मौजूदा के 2,800 अरब डालर से बढ़कर 28,000 अरब डॉलर तक पहुंच जायेगा। शेयर बाजार का मूल्यांकन इस अवधि में 30,000 अरब डॉलर और खुदरा बाजार का आकार 10,000 अरब डॉलर तक पहुंच जायेगा।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था बनी रहेगी, मंडियों में जैसे काम होता है, होता रहेगा। किसानों के पास अपनी रूचि के हिसाब से अपनी उपज बेचने का विकल्प होना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें लाभ होगा।
अप्रैल-जून की तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक सालाना आधार पर 7.5 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन तिमाही-दर-तिमाही आधार पर इसमें 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
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