दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है, वहीं पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी।
एसएंडपी ने एशिया प्रशांत क्षेत्र की अपनी रिपोर्ट में कहा कि अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 10 प्रतिशत की तेज वृद्धि दर्ज कर सकती है। दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है।
CEA के मुताबिक कोविड संकट अलग है, और भारत इससे बेहतर तरीके से निपट रही है। उनके मुताबिक पहली तिमाही में चालू खाते का अधिशेष 20 अरब डॉलर के आसपास रहा है वहीं उम्मीद है कि इस साल देश चालू खाते का अधिशेष दर्ज कर सकते हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार, जून तिमाही में 10 प्रतिशत प्रतिभागियों ने अधिक उत्पादन की बात की थी। सितंबर तिमाही में ये आंकड़ा बढ़कर 24 फीसदी हो गया। हालांकि सर्वे में शामिल 80 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा है कि वो अगले 3 महीने अतिरिक्त लोगों को काम पर नहीं रखेंगे
रिपोर्ट में मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अपने अनुमानों में बदलाव करते हुए कहा गया है कि इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 6.4 फीसदी की दर से गिरावट दर्ज कर सकती है। इससे पहले 6 फीसदी की गिरावट का अनुमान दिया गया था। वहीं बार्कलेज ने दूसरी तिमाही में 8.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान दिया है
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में उद्योग में 9.3 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है जो पहली तिमाही मे 38.1 प्रतिशत थी। सेवा क्षेत्रों में 10.2 प्रतिशत गिरावट अनुमानित है जबकि पहली तिमाही में इसमें 20.6 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।
ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमी फोरम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर निवेशक शहरीकरण, मोबिलिटी जैसे क्षेत्रों में निवेश करना चाहते हैं तो भारत में उनके लिए अनेक आकर्षक मौके मौजूद हैं। वहीं सरकार निवेशकों के लिए कदम उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
सरकार ने 12 नवंबर को 2.65 लाख करोड़ रुपये के एक और आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की। इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान 3.0 नाम दिया गया है। इस पैकेज में संगठित क्षेत्र में रोजगार निर्माण को गति देना, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई), उर्वरक सब्सिडी और ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम मनरेगा में बढ़ोत्तरी करना शामिल है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को एक और राहत पैकेज के बाद कहा कि एक लंबे और कड़े लॉकडाउन के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत में जोरदार सुधार देखने को मिल रहा है। उनके मुताबिक अर्थव्यवस्था के कई सेग्मेंट में बढ़त का रुख देखने को मिल रहा है।
कंपनियों ने इस साल कर्मचारियों के वेतन में औसत 6.1 प्रतिशत की वृद्धि की। यह पिछले एक दशक में सबसे निचला स्तर है। महामारी की वजह से कई कंपनियों को वेतन में कटौती भी करनी पड़ी जिसे अब वो वापस ले रही हैं। लॉकडाउन की वजह से वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कारोबार पर बुरा असर पड़ा, जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड गिरावट भी दर्ज हुई। ऐसी स्थिति में कंपनियों ने इस साल लागत बचाने के कई उपाय किए जिसका असर वेतन बढोतरी पर पड़ा।
अक्टूबर में जीएसटी संग्रह सालाना आधार पर 10 प्रतिशत बढ़कर 1.05 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। इसी तरह अक्टूबर में 19 प्रतिशत अधिक ई-वे बिल निकाले गए हैं। मूल्य के हिसाब से यह 16.82 लाख करोड़ रहा है। रेलवे की माल ढुलाई सितंबर में 15.5 प्रतिशत और अक्टूबर में 14 प्रतिशत बढ़ी है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अगस्त की अवधि में देश में 35.73 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है।
वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 22 प्रतिशत घटकर 4.95 लाख करोड़ रुपये रहा। इस दौरान कॉरपोरेट कर संग्रह 26 प्रतिशत घटकर 2.65 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि व्यक्तिगत आयकर संग्रह 16 प्रतिशत घटकर 2.34 लाख करोड़ रुपये रह गया।
कोरोना संकट से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को 8 महीने बाद खुशी मिली है। वित्त मंत्रालय ने रविवार को बताया कि अक्टूबर में जीएसटी संग्रह 1.05 लाख करोड़ रुपये से अधिक था।
रिजर्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में 9.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान दिया है। वहीं आईएमएफ ने 10.3 फीसदी और वर्ल्ड बैंक ने 9.6 फीसदी की गिरावट का अनुमान दिया है। हालांकि लगभग सभी अनुमानों में अगले साल तेज रिकवरी की भी बात कही गई है।
उद्योग मंडल के मुताबिक 25 प्रमुख आर्थिक संकेतकों से संकेत मिलता है कि कारोबारी गतिविधियों अब सामान्य हो रही हैं। उद्योग मंडल ने हालांकि कहा कि सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बेरोजगारी की दर अब भी चिंता का विषय है। अगस्त में यह बढ़कर 8.3 प्रतिशत हो गई, जो जुलाई में 7.4 प्रतिशत थी।
रिजर्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में 9.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान दिया है। वहीं आईएमएफ ने 10.3 फीसदी और वर्ल्ड बैंक ने 9.6 फीसदी की गिरावट का अनुमान दिया है। हालांकि लगभग सभी अनुमानों में अगले साल तेज रिकवरी की भी बात कही गई है। वहीं नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने सलाह दी है कि अगले राहत पैकेज में खास इंफ्रा प्रोजेक्ट पर सरकार का ध्यान होना चाहिए
गवर्नर के मुताबिक देश आर्थिक पुनरोद्धार के मुहाने पर पहुंच चुका है, ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि वित्तीय इकाइयों के पास बढ़त को समर्थन के लिए पर्याप्त पूंजी हो। उन्होने कहा कि कई वित्तीय इकाइयां पहले ही पूंजी जुटा चुकी हैं, कुछ पूंजी जुटाने की योजना बना रही हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि निश्चित रूप से आने वाले महीनों में बाकी इकाइयां भी पूंजी जुटा लेंगी।
कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये लगाये गये कड़े लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था छह महीने तक दिक्कतों में फंसी रही। अब जल्दी जल्दी प्राप्त होने वाले कुछ आंकड़े संकेतक दे रहे हैं कि अर्थव्यवस्था की हालत सुधार पर है हालांकि अभी यह सुधार कमजोर है।
आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में साफ किया कि कोरोना संकट की वजह से इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज गिरावट दर्ज होगी। अनुमान के मुताबिक साल 2020 में अर्थव्यवस्था 10.2 फीसदी गिर सकती है।
कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में लगातार वृद्धि और देश में लगाये गये कड़े लॉकडाउन का प्रभाव जारी रहने से अर्थव्यवस्था पर दबाव बना हुआ जिससे आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंता गहरा गई है।
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