मुकेश अंबानी के मुताबिक स्वच्छ ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, बायोटेक्नोलॉजी, लाइफ साइंस जैसे नए सेक्टर्स के साथ साथ मौजूदा कृषि, इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर में बदलाव से कई नए मौके खुलेंगे।
वित्त मंत्री ने कहा कि महंगाई दर पर नियंत्रण, ऊंची विकास दर, विदेशी निवेश का रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचना और सरकारी घाटे के कम रहने से संकेत हैं कि सरकार अर्थव्यवस्था को लेकर सही दिशा में आगे बढ़ रही है।
इस संकट के चलते देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पिछले साल के मुकाबले 15.7 प्रतिशत पहले ही घट चुका है। भारत इस समय दुनिया में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
इश्यू 3.53 गुना सब्सक्राइब हुआ है। यानि 29 लाख शेयरों के मुकाबले अब तक कुल 1.03 करोड़ शेयरों के बराबर बिड मिल चुकी है। वहीं आईपीओ का रिटेल कोटा 14.56 गुना भरा है।
अमेरिका 35 प्रतिशत के साथ सबसे आगे रहा है। वहीं चीन 28 प्रतिशत सीईओ की पसंद के साथ दूसरे स्थान पर रहा। जर्मनी सर्वे में तीसरे और ब्रिटेन चौथे स्थान पर रहा है।
कोविड-19 महामारी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष में 8 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान जताया गया है। अर्थव्यवस्था में अगले वित्त वर्ष में तीव्र गति से दहाई अंक में आर्थिक वृद्धि का अनुमान है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने पड़ चुके कानूनों को निरस्त करने और कारोबार के लिए व्यवस्था अधिक सुगम बनाए जाने की जरूरत पर बल देते हुए शनिवार को कहा कि मजबूत आर्थिक वृद्धि प्राप्त करने के लिए केंद्र और राज्यों का एकजुटता के साथ काम करना जरूरी है।
रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2021 में ऊर्जा खपत अंतर्राज्यीय व राज्य के भीतर आवागमन यानी परिवहन व्यवस्था, विनिर्माण क्षमता के उपयोग, व्यापार की संभावनाओं और उपभोक्ता के विश्वास जैसे प्रमुख सूचकांकों से अर्थव्यवस्था में रिकवरी जारी रहने के संकेत मिलेंगे।
एक तरफ दुनिया भर के देश निवेश के लिए तरस रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ भारत में रिकॉर्ड निवेश हो रहा है। उन्होने कहा कि अर्थव्यवस्था को लेकर मिल रहे अनुमान बता रहे हैं कि एक तरफ दुनिया भर अनेक देशों की स्थिति डांवांडोल है तो वहीं दूसरी तरफ भारत में डबल डिजिट ग्रोथ का अनुमान है।
चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 9.5 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। सरकार ने 31 मार्च, 2026 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है।
आईएमएफ के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 11 प्रतिशत से अधिक होगी, जबकि आरबीआई का अनुमान इसे 10.5 प्रतिशत के आसपास बताता है। दुनिया में भारत एकमात्र ऐसी बड़ी अर्थव्यवस्था है, जहां जीडीपी ग्रोथ को लेकर लगाया गया अनुमान दोहरे अंकों में है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश का निर्यात जनवरी 2021 में सालाना आधार पर 5.37 प्रतिशत बढ़कर 27.24 अरब डॉलर रहा। मुख्य रूप से फार्मा और इंजीनियरिंग क्षेत्र में अच्छी वृद्धि से निर्यात बढ़ा है। जनवरी के महीने में आयात भी 2 प्रतिशत बढ़कर 42 अरब डॉलर रहा।
पेंशन के भुगतान के लिए परिव्यय सहित रक्षा बजट 2021-22 के लिए 4.78 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया, जबकि पिछले साल के 4.71 लाख करोड़ रुपये था। पेंशन बहिर्गमन को छोड़कर, सशस्त्र बलों के लिए केंद्रीय बजट में आवंटन 3.62 लाख करोड़ रुपये है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को अपने वादे का ‘अलग हटके’ बजट पेश करने वाली हैं। इस बजट से उम्मीद की जा रही है कि इसमें महामारी से पीड़ित आम आदमी को राहत दी जायेगी।
मुद्राकोष ने मंगलवार को 2021 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 11.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। इस लिहाज से कोरोना वायरस महामारी के बीच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत एक मात्र देश होगा जो इस साल दहाई अंक में वृद्धि हासिल करेगा।
आईएमएफ के द्वारा आज जारी किए गए अनुमानों के मुताबिक साल 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था 11.5 फीसदी की दर के साथ बढ़ सकती है। वहीं साल 2022 में इसमें 6.8 फीसदी की बढ़त देखने को मिलेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड महामारी के कारण विश्व की अर्थव्यवस्था में पिछले साल 4.3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। इसमें इस साल 4.7 प्रतिशत और अगले वर्ष 5.9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया गया है।
बैठक में रिजर्व बैंक के साथ भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) तथा भारतीय बीमा विनियामक प्राधिकरण इरडा सहित विभिन्न नियामकों ने भाग लिया।
रिपोर्ट के मुताबिक वाहन बिक्री, आयात में वृद्धि, जीएसटी संग्रह, विनिर्माण पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स) और डीजल की बिक्री बेहतर हुई है, जिससे अर्थव्यवस्था के तेजी से पटरी पर आने के संकेत मिल रहे हैं वहीं त्योहार और जाड़े के मौसम के बावजूद संक्रमण के नये मामलों में कमी भी सकारात्मक संकेत है।
सुब्बाराव ने कहा कि विस्तारित मनरेगा से जब जरूरत थी काफी मदद मिली। महिलाओं, पेंशनभोगियों और किसानों को शुरुआत में ही किये गये भुगतान से परिवारों के हाथ में पैसा आया, जिससे मांग सुधारने में मदद मिली। वहीं एफसीआई की तेज खरीद से किसानों की आमदनी बढ़ी और इससे सरकार को अपने खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को नवंबर अंत तक बढ़ाने में मदद मिली।
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