केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह उपभोक्ताओं और निर्माताओं दोनों की एक सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे स्थानीय उत्पादों के लिए मुखर बनें, जो देश में हर किसी के लिए रोजगार प्रदान करने में मदद करेगा और वैश्विक बाजारों में देश की निर्यात हिस्सेदारी बढ़ाने में भी मदद करेगा।
कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आयी। वहीं दूसरी तिमाही में गिरावट कम होकर 7.5 प्रतिशत रही। दूसरी तिमाही के लिए पहले 9 फीसदी से ज्यादा की गिरावट का अनुमान लगाया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक रबी सत्र के लिए बेहतर खरीद तथा अनुकूल परिदृश्य के साथ कोविड-19 टीके को लेकर अच्छी खबरों से चौथी यानि जनवरी-मार्च की तिमाही में मांग में मजबूती दर्ज होगी और आर्थिक गतिविधियों में सुधार देखने को मिलेगा।
क्रेडिट सुइस ने कहा कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं वित्त वर्ष 2026-27 तक जीडीपी में 1.7 प्रतिशत का इजाफा कर सकती हैं। सालाना यह औसतन 0.3 से 0.5 प्रतिशत हो सकती है। पिछले साल सितंबर में कंपनी कर की दरों में कटौती और श्रम कानून में सुधारों से भी वृद्धि को गति मिलने की उम्मीद है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सितंबर तिमाही में उम्मीद से अधिक तेजी से सुधार होने के कारण पूर्वानुमान में बदलाव किया गया है। रेटिंग एजेंसी ने अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर के 10 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में आर्थिक भरपाई उम्मीद से बेहतर है और इस कारण दक्षिण एशिया में गिरावट के अनुमान को 6.8 प्रतिशत से संशोधित कर 6.1 प्रतिशत कर दिया गया है।
अडाणी ने अनुमान दिया है कि 2050 तक भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) मौजूदा के 2,800 अरब डालर से बढ़कर 28,000 अरब डॉलर तक पहुंच जायेगा। शेयर बाजार का मूल्यांकन इस अवधि में 30,000 अरब डॉलर और खुदरा बाजार का आकार 10,000 अरब डॉलर तक पहुंच जायेगा।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था बनी रहेगी, मंडियों में जैसे काम होता है, होता रहेगा। किसानों के पास अपनी रूचि के हिसाब से अपनी उपज बेचने का विकल्प होना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें लाभ होगा।
अप्रैल-जून की तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक सालाना आधार पर 7.5 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन तिमाही-दर-तिमाही आधार पर इसमें 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है, वहीं पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी।
एसएंडपी ने एशिया प्रशांत क्षेत्र की अपनी रिपोर्ट में कहा कि अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 10 प्रतिशत की तेज वृद्धि दर्ज कर सकती है। दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है।
CEA के मुताबिक कोविड संकट अलग है, और भारत इससे बेहतर तरीके से निपट रही है। उनके मुताबिक पहली तिमाही में चालू खाते का अधिशेष 20 अरब डॉलर के आसपास रहा है वहीं उम्मीद है कि इस साल देश चालू खाते का अधिशेष दर्ज कर सकते हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार, जून तिमाही में 10 प्रतिशत प्रतिभागियों ने अधिक उत्पादन की बात की थी। सितंबर तिमाही में ये आंकड़ा बढ़कर 24 फीसदी हो गया। हालांकि सर्वे में शामिल 80 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा है कि वो अगले 3 महीने अतिरिक्त लोगों को काम पर नहीं रखेंगे
रिपोर्ट में मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अपने अनुमानों में बदलाव करते हुए कहा गया है कि इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 6.4 फीसदी की दर से गिरावट दर्ज कर सकती है। इससे पहले 6 फीसदी की गिरावट का अनुमान दिया गया था। वहीं बार्कलेज ने दूसरी तिमाही में 8.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान दिया है
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में उद्योग में 9.3 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है जो पहली तिमाही मे 38.1 प्रतिशत थी। सेवा क्षेत्रों में 10.2 प्रतिशत गिरावट अनुमानित है जबकि पहली तिमाही में इसमें 20.6 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।
ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमी फोरम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर निवेशक शहरीकरण, मोबिलिटी जैसे क्षेत्रों में निवेश करना चाहते हैं तो भारत में उनके लिए अनेक आकर्षक मौके मौजूद हैं। वहीं सरकार निवेशकों के लिए कदम उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
सरकार ने 12 नवंबर को 2.65 लाख करोड़ रुपये के एक और आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की। इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान 3.0 नाम दिया गया है। इस पैकेज में संगठित क्षेत्र में रोजगार निर्माण को गति देना, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई), उर्वरक सब्सिडी और ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम मनरेगा में बढ़ोत्तरी करना शामिल है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को एक और राहत पैकेज के बाद कहा कि एक लंबे और कड़े लॉकडाउन के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत में जोरदार सुधार देखने को मिल रहा है। उनके मुताबिक अर्थव्यवस्था के कई सेग्मेंट में बढ़त का रुख देखने को मिल रहा है।
कंपनियों ने इस साल कर्मचारियों के वेतन में औसत 6.1 प्रतिशत की वृद्धि की। यह पिछले एक दशक में सबसे निचला स्तर है। महामारी की वजह से कई कंपनियों को वेतन में कटौती भी करनी पड़ी जिसे अब वो वापस ले रही हैं। लॉकडाउन की वजह से वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कारोबार पर बुरा असर पड़ा, जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड गिरावट भी दर्ज हुई। ऐसी स्थिति में कंपनियों ने इस साल लागत बचाने के कई उपाय किए जिसका असर वेतन बढोतरी पर पड़ा।
अक्टूबर में जीएसटी संग्रह सालाना आधार पर 10 प्रतिशत बढ़कर 1.05 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। इसी तरह अक्टूबर में 19 प्रतिशत अधिक ई-वे बिल निकाले गए हैं। मूल्य के हिसाब से यह 16.82 लाख करोड़ रहा है। रेलवे की माल ढुलाई सितंबर में 15.5 प्रतिशत और अक्टूबर में 14 प्रतिशत बढ़ी है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अगस्त की अवधि में देश में 35.73 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है।
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