अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन और केविन मैक्कार्थी एक समझौते पर सहमत हो गए हैं। आइएमएफ को उम्मीद है कि इससे कर्ज में डूबे अमेरिका की स्थिति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था का जहाज डूबने के कगार पर है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अमेरिकी नीतियों को वैश्विक चिंता का कारण बननने के लिए अमेरिकी सरकार की आलोचना की।
अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा कि यूएस सरकार के 31.46 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज चुकाने में डिफॉल्ट करने से दुनिया भर में आर्थिक संकट पैदा हो सकता है।
श्रीलंका और पड़ोसी पाकिस्तान के बाद अब तालिबान शासित अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में भी भूचाल आने के संकेत मिल रहे हैं। पिछले कई महीनों से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अफगानी मुद्रा में गिरावट का दौर जारी है। इससे तालीबानियों को कुछ सूूझ नहीं रहा है। वैसे अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में ज्यादातर आतंकवाद का ही पैसा लगा है।
पाकिस्तान में ना महंगाई पर काबू हो पा रहा है ना मुल्क के अंदर भड़कती विद्रोह की आग पर...सुप्रीम कोर्ट, फौज और पाकिस्तान सरकार,, सत्ता के लिए इस कदर गुत्थमगुत्था हो चुके हैं कि महंगाई और भुखमरी से जूझ रहे आम पाकिस्तानियों की उन्हें कोई परवाह नहीं रह गई और ना ही डूबते मुल्क को बचाने में दिलचस्पी
रिजर्व बैंक ने लगातार छह बढ़ोतरी के बाद अप्रैल महीने में रेपो रेट में बदलाव नहीं किया। रेपो रेट 6.5 फीसदी पर स्थिर है। इससे होम और कार लोन लेने वालों को बड़ी राहत मिली।
पाकिस्तान की आर्थिक हालत किस कदर खस्ताहाल हो चुकी है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उसके पास 2 राज्यों में चुनाव कराने के लिए पैसे नहीं हैं। जबकि चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जा चुका है। मगर सरकार की ओर से चुनाव के लिए धनराशि जारी नहीं की जा रही है।
दिवालिया पाकिस्तान को कर्ज मिलने की एक धुंधली सी उम्मीद जागी थी, लेकिन वो भी फना हो गई...IMF से कर्ज की बात फाइनल करने के लिए पाकिस्तान के वित्तमंत्री को अमेरिका जाना था लेकिन
महंगाई और कर्ज से कंगाल हुआ पाकिस्तान यदि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता करने में कामयाब ना हुआ तो उसे दिवालिया होने से कोई नहीं बचा सकता। दरअसल पाकिस्तान आईएमएफ के साथ 1.1 अरब डालर के राहत पैकेज पर कर्मचारी स्तर का समझौता नहीं कर सका है। जबकि यह समझौता होना पाकिस्तान के लिए बहुत जरूरी है।
पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों के अनुसार मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि यह 45.64 फीसदी सालाना है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सप्ताह दर सप्ताह आधार पर टमाटर, आलू और गेहूं का आटा महंगा होने के कारण अल्पकालिक मुद्रास्फीति में 1.80 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने अपने वार्षिक वृद्धि अनुमान में कहा कि भू-राजनीतिक घटनाक्रमों, लगातार ऊंची मुद्रास्फीति और इसका मुकाबला करने के लिए ब्याज दरों में बड़ी बढ़ोतरी ने वैश्विक परिवेश को और अधिक निराशाजनक बना दिया है।
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने मंगलवार को यह कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के ज्यादातर वित्तीय संस्थानों का अमेरिका के विफल बैंकों से कोई सरोकार नहीं है और सिलिकॉन वैली बैंक की तरह वे ऋण प्रतिभूति होल्डिंग को लेकर जोखिम में भी नहीं हैं।
सिलिकॉन वैली बैंक, अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा बैंक है। बैंक की कैलिफोर्निया और मैसाचुसेट्स में 17 शाखाएं हैं। इसके पास करीब 210 अरब डॉलर की संपत्ति है।
पाकिस्तान की गरीब अवाम को खाने को रोटी नसीब नहीं हो पा रही है। जिंदगी जीना मुहाल हो गया है। कंगाली की इस हालत का बुरा असर पाकिस्तान की सेना पर भी पड़ा है। पाक आर्मी के पास खाने पीने के सामान की कमी आ गई है।
Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान के अंदर से एक ऐसी आवाज़ सुनाई दे रही है। जो 75 साल में कभी सुनाई नहीं दी। पाकिस्तानी बड़ी हिम्मत से खुल्लम खुल्ला बोल रहे हैं कि चाहे PoK ले लो, लेकिन पाकिस्तान की मदद कर दो।
भारत से मुकाबला करने का सपना देखने वाला कंगाल पाकिस्तान बर्बादी के कगार पर पहुंच चुका है। सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि उसका रुपया भी भारत की तुलना में कहीं नहीं ठहरता। मौजूदा दौर में पाकिस्तानी रुपये की वैल्यू भारत के मुकाबले साढ़े 3 गुना तक कमजोर हो चुकी है। इससे पाकिस्तान की बाजार ध्वस्त होने की स्थिति में है।
महंगाई, भुखमरी और आर्थिक तंगी का सामना कर रहे पाकिस्तान में जनता अब भड़क उठी है। पाकिस्तान में कई महीने से आटा, दाल, चावल के लिए लोगों को बड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है। ऐसे में जनता ने सड़क पर उतरने का मन बना लिया है।
पाकिस्तान पूरी दुनिया में घूम आया पर उसे कहीं से भी कर्जा नहीं मिला। सिर्फ 1 बिलियन डॉलर के पाकिस्तान IMF की कड़ी से कड़ी शर्तें मान रहा है। पाकिस्तान में जीना अब बहुत मुश्किल हो गया है। ऐसे में उन्हें सिर्फ अब भारत से ही आस दिख रही है।
दुनिया भर में घूम-घूम कर भीख मांग रहे पाकिस्तान को अब कोई शर्म- हया नहीं बची रह गई है। पाकिस्तान जिस चीन को अपना पक्का दोस्त बताता था, उसने जब उसे फूटी कौड़ी भी देने से मना कर दिया तो भी पाक ने ड्रैगन का पीछा नहीं छोड़ा। यह कहकर पीछे लगा रहा कि कुछ तो दे दो...जितना हो सके उतना ही दे दो...।
आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को International Monetary Fund (IMF) ने नसीहत दी है और बताया है कि कैसे वह अपनी गरीबी को दूर कर सकता है और अपनी आर्थिक हालत ठीक कर सकता है।
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