पाकिस्तान की कंगाली तो आपने देख ही ली है, अब चीन की बदहाली का दौर महसूस कीजिए। चीनी वित्त मंत्री के अनुसार कोविड काल से ही बीजिंग की अर्थव्यवस्था सुस्त चल रही है। अब नए सुधारों पर फोकस किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को कटोरा लेकर भीख मांगने के लिए मजबूर तो किया ही, अब उसे पूरी तरह से दरिद्र भी बना दिया है। पाकिस्तान के पास अब जीवन चलाने के लिए फूटी कौड़ी भी नहीं है। लिहाजा वह आईएमएफ से फिर 7 बिलियन डॉलर का कर्ज ले रहा है।
हिमाचल प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है कि कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिला है। वहीं सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी और बीजेपी में आरोप प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है।
आर्थिक तंगी से जूछ रहा पाकिस्तान अब पॉलिमर प्लास्टिक की मुद्रा लाने जा रहा है। पाकिस्तान अब इन्हीं मुद्राओं का संचालन करेगा। सुरक्षा और अन्य कारणों से पाकिस्तान ने पॉलिमर के प्लास्टिक नोट चलाने का निर्णय लिया है।
पाकिस्तान बदहाली के रास्ते से बाहर नहीं निकल पा रहा है। अब भी पाकिस्तान महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़ रखी है। आटा, दाल, दूध, चावल और चीनी खरीदने में ही पाकिस्तानियों की नानी याद आ जा रही है। ऐसे में पीएम शहबाज शरीफ ने आइएमएफ से फिर 7 अरब डॉलर का नया कर्ज लिया है।
पाकिस्तान कंगाली से बाहर नहीं आ पा रहा है। लोगों को खाने-पीने के भी लाले पड़ गए हैं। महंगाई आसमान छू रही है। ऐसे में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अब भारत की पंचवर्षीय योजना की नकल करके देश के हालात को सुधारने का प्रण किया है।
कंगाली और पाकिस्तान अब एक सिक्के के दो पहलू हो गए हैं। खस्ताहाली से पाकिस्तान में आमजनों को भोजन नसीब होना मुश्किल हो गया है। महंगाई ने जनता की कमर तोड़ दी है। पाकिस्तान सरकार इस स्थिति का सामना करने के लिए अभी तक सिर्फ कर्ज का सहारा लेती थी। मगर अब पीएम समेत उनका कैबिनेट बिना वेतन काम करेगा।
श्रीलंका में आए आर्थिक संकट के बीच भारत उसका प्रमुख मददगार बनकर खड़ा था। श्रीलंका के हटाए गए पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने अपनी एक किताब में इस घटना के पीछे विदेशी हाथ होने का संकेत दिया है। साथ ही इशारों ही इशारों में भारत का नाम लिए बगैर यह भी लिखा है कि प्रमुख लोकतांत्रिक पड़ोसी देश उनके साथ था।
पाकिस्तान को भीख मांगने से फुरसत नहीं मिल पा रही है। कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर उल हक ने अब अपने करीबी चीन से 2 अरब डालर की मदद मांगी है। इससे पहले पाकिस्तान ने सऊदी अरब से 2 अरब डॉलर का उधार लिया था, जिसे सऊदी ने वापस ले लिया है। इससे पाकिस्तान की हालत फिर बिगड़ गई है।
अमेरिका के मेसाच्यूसेट्स में एक धनी भारतीय मूल का जोड़ा बेटी के साथ अपनी हवेली में मृत पाया गया है। इससे आसपास के इलाकों में भी दहशत फैल गई है। घटना की वजह की कोई सटीक जानकारी नहीं है। मगर पुलिस के अनुसार ऑनलाइन रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह वित्तीय समस्याओं से जूझ रहे थे। घटना की पड़ताल कराई जा रही है।
Special Report: PoK के बर्फीले पहाड़ों में बगावत का उबाल
पाकिस्तान बुरी तरह गरीबी और भुखमरी के चंगुल में फंस चुका है। 1 वर्ष के दौरान विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 39.4 फीसदी गरीब बढ़ गए हैं। पाकिस्तान की कुल जनसंख्या 23 करोड़ है और इनमें से 9.5 करोड़ लोग गरीबी में जी रहे हैं। इससे पाकिस्तान की बदहाली का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पूर्व में मदद करने वाले देशों की तारीफ की है। ताकि बाढ़ से जूझ रहे पाकिस्तान को फिर से दया की भीख मिल सके। पाकिस्तान में हजारों लोग बाढ़ से बेघर हो चुके हैं। दो वक्त की रोटी के भी गरीबों को लाले पड़े हैं।
धनप्रेषण में चार अरब डॉलर से अधिक की गिरावट आना इस लिहाज से अहम है कि पाकिस्तान सरकार मुद्राकोष से तीन अरब डॉलर की राहत पाने के लिए लगातार कोशिशों में लगी रही है।
भारत 11-13 जून तक जी20 समूह के देशों के विकास मंत्रियों की तीन दिवसीय बैठक की मेजबानी वाराणसी में कर रहा है। इसमें वैश्विक आपूर्ति शृंखला, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा चुनौतियों, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन और केविन मैक्कार्थी एक समझौते पर सहमत हो गए हैं। आइएमएफ को उम्मीद है कि इससे कर्ज में डूबे अमेरिका की स्थिति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था का जहाज डूबने के कगार पर है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अमेरिकी नीतियों को वैश्विक चिंता का कारण बननने के लिए अमेरिकी सरकार की आलोचना की।
अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा कि यूएस सरकार के 31.46 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज चुकाने में डिफॉल्ट करने से दुनिया भर में आर्थिक संकट पैदा हो सकता है।
श्रीलंका और पड़ोसी पाकिस्तान के बाद अब तालिबान शासित अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में भी भूचाल आने के संकेत मिल रहे हैं। पिछले कई महीनों से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अफगानी मुद्रा में गिरावट का दौर जारी है। इससे तालीबानियों को कुछ सूूझ नहीं रहा है। वैसे अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में ज्यादातर आतंकवाद का ही पैसा लगा है।
पाकिस्तान में ना महंगाई पर काबू हो पा रहा है ना मुल्क के अंदर भड़कती विद्रोह की आग पर...सुप्रीम कोर्ट, फौज और पाकिस्तान सरकार,, सत्ता के लिए इस कदर गुत्थमगुत्था हो चुके हैं कि महंगाई और भुखमरी से जूझ रहे आम पाकिस्तानियों की उन्हें कोई परवाह नहीं रह गई और ना ही डूबते मुल्क को बचाने में दिलचस्पी
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