भारतीय सेना के सूत्रों ने जानकारी दी है कि दोनों पक्षों के सैनिक अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस आ जाएंगे पेट्रोलिंग शुरू करेंगे। हालांकि, फिलहाल ये समझौते केवल देपसांग और डेमचोक के लिए लागू होंगे, अन्य स्थानों के लिए नहीं।
भारत और चीन लंबे अरसे बाद सीमा पर तनाव कम करने के लिए एक अहम समझौते पर पहुंचे है। दूसरी ओर AIMIM पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि उन्हें चीन-भारत समझौते के विवरण का इंतजार है।
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद पर बड़ा अपडेट सामने आया है। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को जानकारी दी है कि दोनों देश तनाव कम करने को लेकर एक समझौते पर सहमत हो गए हैं।
भारत ने जून 2020 में चीन के साथ गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद सीमा पर सैनिकों, युद्धक वाहनों और लड़ाकू विमानों की इतनी बड़ी खेप तैनात कर दी है कि जिसे देखकर ही दुश्मन के पसीने छूट जाएं। अकेले भारतीय वायुसेना ने अपने 68 हजार जवानों के पूर्वी लद्धाख क्षेत्र में तैनात किया है। साथ ही जगुआर और राफेल जैसे फाइटर जेट भी।
करीब 13 घंटे तक चली बैठक के एक दिन बाद, दोनों पक्षों ने शनिवार को एक संयुक्त बयान में एक बार फिर से कहा कि इस तरह का एक समाधान पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति एवं स्थिरता बहाल करने में मदद करेगा तथा द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति को सुगम करेगा।
आईटीबीपी के एक प्रवक्ता ने बताया कि यह पुरस्कार बल के जवानों को मई, 2020 और इस साल फरवरी में पूर्वी लद्दाख में उनके द्वारा दिखाए गए “अदम्य साहस और कर्तव्य के प्रति समर्पण” के लिए दिया गया। आईटीबीपी के 260 जवानों को सम्म्मानित किया गया है, जो किसी भी पुलिस बल को एक बार में मिलने वाला सर्वाधिक पुरस्कार है।
अधिकारियों ने बताया कि थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे और शीर्ष कमांडर पूर्वी लद्दाख में देश की लड़ाकू तैयारियों की समीक्षा करेंगे जहां भारतीय तथा चीनी सैनिकों के बीच 17 महीने से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है।
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास गतिरोध के बाकी स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए भारत और चीन के बीच 13वें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता रविवार (10 अक्टूबर) को होगी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि चीन ने सीमावर्ती इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों और हथियारों की तैनाती की हुई है और चीन की कार्रवाई की प्रतिक्रिया में भारतीय सशस्त्र बलों को उचित जवाबी तैनाती करनी पड़ी है।
भारतीय सेना ने पिछले साल 'ऑपरेशन स्नो लेपर्ड' की शुरुआत के साथ रेगिस्तान और मैदानी इलाकों से बड़े पैमाने पर टी-90 भीष्म (T-90 Bhishma) और टी-72 अजय टैंकों (T-72 Ajay tanks) के साथ-साथ BMP सीरीज इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स को लद्दाख के ऊंचाई वाले स्थानों पर लाना शुरू किया।
पूर्वी लद्दाक में चीन के साथ जारी तनाव में भारत को बड़ी कामयाबी मिली है। भारतीय सेना के आगे चीन ने मजबूर होकर अपने सैनिक गोगरा पोस्ट से हटा लिए हैं।
लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच बना गतिरोध और कम हो गया है, 31 जुलाई को कमांडर स्तर की वार्ता के बाद 4-5 अगस्त को गोगरा पोस्ट से भारत और चीन की सेनाएं पीछे हट गई हैं। भारतीय सेना की तरफ से दोनों सेनाओं के पीछे हटने की पुष्टि की गई है।
लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच बना गतिरोध और कम हो गया है, 31 जुलाई को कमांडर स्तर की वार्ता के बाद 4-5 अगस्त को गोगरा पोस्ट से भारत और चीन की सेनाएं पीछे हट गई हैं।
भारतीय और चीनी सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में लंबित मुद्दों को ''तेजी'' से हल करने पर सहमति जतायी और 12वें दौर की सैन्य स्तर की वार्ता को ''रचनात्मक'' करार दिया।
भारत ने गुरुवार को आरोप लगाया कि पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों में पिछले वर्ष चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र करने जैसे कदम इस क्षेत्र में जारी सैन्य गतिरोध के लिये जिम्मेदार हैं।
भारत और चीन ने 11वें दौर की सैन्य वार्ता में पूर्वी लद्दाख में जमीनी स्तर पर संयुक्त रूप से स्थिरता बनाये रखने तथा किसी भी नयी घटना को टालने पर सहमति व्यक्त की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ऑनलाइन प्रेस वार्ता में इस बात पर जोर दिया कि पूर्वी लद्दाख में सैनिकों के हटने से ही सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल हो सकती है और द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति का माहौल बन सकता है।
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील क्षेत्र के तट पर क़रीब दस महीने तक तैनात रहने के बाद भारत और चीन के सैनिक और टैंक डिसइंगेज हो रहे हैं।
चीन को लेकर ही राहुल गांधी प्रोपगेंडा फैला रहे हैं । किसान कानून को लेकर भी वो भ्रम फैला रहे हैं लेकिन उनके इस एजेंडे को झटका तब लगा जब कनाडा के पीएम ने पीएम मोदी की तारीफ कर दी
पूर्वी लद्दाख से बड़ी खबर आयी है। भारत और चीन के बीच समझौते के बाद दोनों तरफ की सेनाओं के पीछे हटने का क्रम शुरू हो गया है।
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