नवंबर के मध्य में ई-वे बिल की सीमा घटाने वाली नोटिफिकेशन को अगली सूचना तक स्थगित कर दिया गया है। इस तरह राज्य के भीतर माल आवाजाही की सीमा पहले की तरह एक लाख रुपये बनी हुई है।
जीएसटी व्यवस्था में अप्रैल 2018 से 50,000 रुपये से अधिक मूल्य की वस्तुओं के इंटर-स्टेट ट्रांसपोर्टेशन के लिए ईवे बिल को अनिवार्य कर दिया गया है।
वस्तु एवं सेवा कर यानि GST की चोरी अब मुश्किल हो जाएगी। सरकार ने जीएसटी से जुड़े E-way बिल को FasTag, RFID से लिंक कर दिया है।
जीएसटी कर के तहत 28 अप्रैल, 2018 से व्यापारियों और ट्रांसपोटरों को पचास हजार रुपये से अधिक मूल्य का सामान की अंतरराज्यीय बिक्री और खरीद पर ईवे-बिल बनाना और दिखाना अनिवार्य है।
सरकार ने देश में कोरोना वायरस के रोकथाम के लिये लॉकडाउन (बंद) के कारण माल की एक राज्य से दूसरे राज्य में ढुलाई में आ रही बाधाओं को देखते हुए ई-वे बिल की वैधता 30 अप्रैल तक के लिये बढ़ा दी है।
मालवाहनों के लिए बिना रुके टोल भुगतान की फास्टैग सुविधा को जीएसटी ई-वे बिल प्रणाली से जोड़ने के लिए आईएचएमसीएल और जीएसटीएन आज सोमवार को समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करेंगे।
कर अधिकारियों ने अप्रैल-दिसंबर के दौरानप 3,626 मामलों में कुल 15,278.18 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी का पता लगाया है।
महाराष्ट्र, मणिपुर और पांच संघ शासित प्रदेशों में राज्य के अंदर ई-वे बिल प्रणाली शुक्रवार से लागू होने जा रही है। राज्य के भीतर 50,000 रुपए से अधिक के सामान की आवाजाही के लिए ई-वे बिल जरूरी होगा।
राज्य के भीतर एक जगह से दूसरी जगह (आंतरिक) माल भेजने के लिए अनिवार्य ई-वे बिल व्यवस्था बिहार, हरियाणा और मध्य प्रदेश सहित छह राज्यों में 20 अप्रैल से शुरू होगी।
देश में टैक्स व्यवस्था का बड़ा बदलाव लागू हो गया है। राज्य के भीतर एक शहर से दूसरे शहर में माल भेजने के लिए अनिवार्य ई-वे बिल व्यवस्था आज गुजरात और केरल सहित पांच राज्यों में शुरू कर दी गई।
सरकार वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में बदलने की तैयारी में है। जीएसटीएन इस नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था मे सूचना प्रौद्योगिकी ( आईटी ) ढांचे को देखती है।
पहली अप्रैल से केंद्र सरकार ने GST के तहत देशभर में E-Way Bill लागू कर दिया है जिसके तहत 50000 रुपए से ज्यादा की वस्तुओं के ट्रांसपोर्टेशन पर बिल जरूरी है
वित्त वर्ष 2017-18 के लिए प्रत्यक्ष कर संग्रह निर्धारित लक्ष्यों को पार कर गया है। अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि इस दौरान रिकॉर्ड 6.84 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किए गए।
एक राज्य से दूसरे राज्य में माल परिवहन के लिए इलेक्ट्रॉनिक यानी ई-वे (e-Way) बिल प्रणाली 1 अप्रैल से शुरू हो गयी है। कर्नाटक एक मात्र एक ऐसा राज्य है जिसने राज्य के भीतर भी माल परिवहन के लिए ई-वे बिल प्रणाली को लागू किया।
माल एवं सेवा कर व्यवस्था के तहत कारोबारियों और ट्रक परिचालकों को एक अप्रैल से एक राज्य से दूसरे राज्य में 50 हजार रुपए से अधिक का माल लाने-लेजाने के लिए सबूत के तौर पर इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली से प्राप्त किया गया ई-वे बिल साथ में रखना होगा।
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत ई-वे बिल सेवा शुरू होने में केवल तीन दिन शेष हैं, इसे देखते हुए सरकार ने कारोबारियों एवं ट्रांसपोर्टरों को ई-वे पोर्टल पर पंजीकरण कराने के लिए कहा है।
e-Way Bill: GST के तहत पहली अप्रैल से सामान और वस्तुओं की सप्लाई करने वाले हर ट्रांस्पोर्टर को सप्लाई किए जाने वाले सामान का e-Way Bill प्राप्त करना होगा बशर्ते सप्लाई होने वाली वस्तुओं या सामान की कीमत 50,000 रुपए से ज्यादा हो
सरकार ने शनिवार को इलेक्ट्रॉनिक वे या ई-वे बिल को देशभर में लागू करने के लिए 1 अप्रैल 2018 की तारीख को अधिसूचित कर दिया है। एक अप्रैल से 50,000 रुपए से अधिक मूल्य के उत्पादों को राज्यों के बीच लाने-ले जाने के लिए ई-वे बिल अनिवार्य होगा।
शनिवार को आयोजित GST काउंसिल की बैठक GST रिटर्न के सरलीकरण को लेकर बेनतीजा रही। हालांकि, इस बैठक में दो मॉडल पर चर्चा तो की गई लेकिन अब निर्णय को GST काउंसिल की अगली बैठक के लिए टाल दिया गया है।
माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत ट्रांसपोर्टरों के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में माल परिवहन के वास्ते जरूरी इलेक्ट्रॉनिक वे-बिल का इस्तेमाल एक अप्रैल से अनिवार्य किया जाना चाहिए।
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