भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है और अक्टूबर में इस सेक्टर में सालाना 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। बताते चलें कि पिछले महीने ही, एथर एनर्जी ने सेबी के पास 4500 करोड़ रुपये के आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के लिए आवेदन किया था।
वर्तमान में भारत में प्रमुख शहरों और राजमार्गों पर 6,000 से अधिक चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध हैं। यह संख्या 2027 तक बढ़कर एक लाख से अधिक हो सकती है।
वर्ष 2030 तक, इलेक्ट्रिक बसों, वाणिज्यिक वाहनों और निजी कारों की तैनाती में पर्याप्त वृद्धि के साथ वार्षिक ईवी बिक्री 10 मिलियन यूनिट को पार करने का अनुमान है। फिलहाल, भारतीय ईवी बाजार दोपहिया और तिपहिया ईवी सेगमेंट पर केंद्रित है, जो इसके वाहन बाजार का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा है।
मंत्री ने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि भारत विश्व में नंबर एक मोटर वाहन विनिर्माण केंद्र बन सकता है और कहा कि इस उद्योग का भविष्य बेहद उज्ज्वल है। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि हमें भारत को दुनिया में नंबर एक मोटर वाहन विनिर्माण केंद्र बनाना चाहिए।
भारत के मोटर वाहन क्षेत्र में ईवी के लिए तैयार कार्यबल पर आयोजित कार्यक्रम में कुमारस्वामी ने कहा कि भारत को इलेक्ट्रिक परिवहन अपनाने से काफी लाभ होगा।
रणनीतिक साझेदारी के तहत, दोनों पार्टी उन्नत एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) का लाभ उठाकर सभी प्लेटफार्मों पर सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशनों को लगाने की क्षमता का पता लगाएंगे।
दुनिया के साथ भारत में भी इलेक्ट्रिक व्हीकल की मांग बढ़ी है। हालांकि, बहुत सारे लोगों कीमत अधिक होने के चलते अभी भी खरीद नहीं पा रहे हैं। हालांकि, बहुत सारे लोग अभी भी ईवी अपनाने से डर रहे हैं।
SU7 चार वेरिएंट में उपलब्ध होगा: एक एंट्री-लेवल एडिशन, एक प्रो वेरिएंट, एक मैक्स एडिशन और एक लिमिटेड फाउंडर एडिशन। चार-दरवाजे वाली सेडान डिजाइन के साथ, SU7 की लंबाई 4,997 मिमी, चौड़ाई 1,963 मिमी और ऊंचाई 1,455 मिमी है।
ये डीसी ड्युअल गन CCS2 DC चार्जर होंगे, जो डायनेमिक लोड-शेयरिंग मोड के जरिये एक साथ दो वाहनों को चार्ज कर सकेंगे। इन चार्जिंग स्टेशनों को आईओसी आउटलेट्स पर जरूरत के मुताबिक़ स्थापित किया जाएगा और ये निर्बाध चार्जिंग मुहैया कराएंगे।
इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है। उसी अनुपात में ईवी चार्जिंग सॉल्यूशन की मांग बढ़ी है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि ईवी नीति के जरिये भारत को ईवी के मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में बढ़ावा देने और टेस्ला समेत विभिन्न वैश्विक ईवी मैन्युफैक्चरिंग से निवेश आकर्षित करने का प्रयास किया गया है।
योजना के तहत प्रति दोपहिया वाहन के लिए 10,000 रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी। इसका उद्देश्य लगभग 3.3 लाख दोपहिया वाहनों को सहायता प्रदान करना है। छोटे तिपहिया वाहनों (ई-रिक्शा और ई-कार्ट) की खरीद के लिए 25,000 रुपये तक की सहायता दी जाएगी। ऐसे 41,000 से अधिक वाहनों को शामिल किया जाएगा।
रिसर्च फर्म गार्टनर का कहना है कि मैन्यूफैक्चरिंग लागत कम होने के चलते 2027 तक ईवी की कीमत पैट्रोल और डीजल वाहनों से सस्ती हो जाएगी।
भारी उद्योग मंत्रालय ने पिछले महीने कहा था कि फेम योजना के दूसरे चरण के तहत सब्सिडी 31 मार्च, 2024 तक या धन उपलब्ध होने तक बेचे जाने वाले ई-वाहनों के लिए मिलेगी।
Paisalo Digital की ओर से इरडा से 200 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाई गई है। इसका इस्तेमाल ईवी फाइनेंसिंग के लिए किया जाएगा।
पेट्रोल-डीजल-गैस से चलने वाली गाड़ियां बच्चों के लिए खतरनाक हो गया है। अमेरिकन लंग एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इलेक्ट्रिक गाड़ियों में स्विच करने से लाखों बच्चों को सांस संबंधित गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है। हालांकि, इतना बड़ा ट्रांसफोर्मेशन आसान नहीं होने वाला है।
ओकाया ईवी लिथियम आयरन फॉस्फेटद्ध बैटरी से लैस हैंए जिसे भारतीय मौसम की स्थिति के लिए सुरक्षित तकनीक माना जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि कम परिचालन लागत और कम शुरुआती अधिग्रहण लागत के चलते ई-बसों के प्रति रुझान बढ़ रहा है। एजेंसी के एक निदेशक सुशांत सरोदे ने कहा कि ई-बसों में वृद्धि इसलिए भी हो रही है क्योंकि 15 वर्षों के अनुमानित जीवन काल में पेट्रोल/डीजल या सीएनजी बसों की तुलना में इनकी स्वामित्व लागत 15-20 प्रतिशत कम है।
लोगों को जो इलेक्ट्रिक कारें सबसे अधिक पसंद आ रही हैं, उनमें टाटा टियागो, टाटा नेक्सॉन, टाटा टिगोर, एमजी कॉमेट और महिंद्रा एक्सयूवी 400 शामिल हैं। मर्सिडीज ईक्यूएस 875 किलोमीटर के साथ सबसे अधिक ड्राइविंग रेंज का दावा करती है।
इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने में अधिक समय लगता है और लम्बी यात्रा के दौरान जगह-जगह रुककर चार्ज करना पड़ता है। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर इलेक्ट्रिक वाहनों चालकों को काफी सहूलियत होने की उम्मीद है।
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