सीजेआई चंद्रचूड़ ने बड़ी बात कही है, उन्होंने बताया कि लोगों के लिए कानून का इस्तेमाल कैसे किया जाना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि कानून में मानवता का स्पर्श होना चाहिए और समस्याओं की जड़ों को दूर करने के लिए हमेशा संवेदनशीलता के साथ इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बार की तरफ से अफसोस जताते हुए कहा, आज सुबह जो हुआ, उसके लिए मुझे खेद है। मैं माफी मांगता हूं। एक लक्ष्मण रेखा है, जिसे हममें से किसी को पार नहीं करना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि बार को मर्यादा की सीमाओं को पार करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई चंद्रचूड़ ने दो नए न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई। बता दें कि शीर्ष अदालत में जजों की संख्या 34 होनी चाहिए थी, जो आज दो जजों के शपथ लेने के साथ ही पूरी हो गई।
इन पांच जजों के शपथ लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 32 हो जाएगी। इसके साथ ही कोर्ट के ने जजों पर काम का बोझ भी कुछ हद तक कम हो जायेगा।
भारत के मुख्य न्यााधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत के लिए कोई आम या खास नहीं होता, कोर्ट की नजर में सभी समान हैं।
कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने पांचों जजों के नामों की घोषणा की जानकारी ट्वीट के जरिए दी। बता दें कि इन जजों के शपथ के साथ ही शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या 32 पहुंच जाएगी। वर्तमान में शीर्ष अदालत में भारत के मुख्य न्यायधीश समेत 27 न्यायधीश कार्यरत हैं।
CJI DY Chandrachud Spoke on Emergency in 1975: देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा वर्ष 1975 में लगाई गई इमरजेंसी की चर्चा समय-समय पर होती रहती है। इसे लेकर कई बार पक्ष और विपक्ष में तकरार भी हो चुकी है। मगर इमरजेंसी का यह फैसला देश के माथे पर ऐसा कलंक बन चुका है कि जिसका जिक्र यदा-कदा हो ही जाता है।
संविधान दिवस पर सुप्रीम कोर्ट में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि, यह सबसे महत्वपूर्ण है कि लोगों को न्याय की तलाश में अदालतों तक पहुंचने के बजाय लोगों तक पहुंचने के लिए अदालतों को फिर से तैयार किया जाए।
देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट उन छोटे-छोटे मामलों को निपटाता है, जो आम नागरिकों को शांति, खुशी और विश्वास देते हैं।
धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने भारत के 50वें मुख्य न्यायधीश के तौर पर शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलवाई। चंद्रचूड़ इस पद पर 2 साल तक बने रहेंगे और उनका कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा। चंद्रचूड़ ने भारत की न्यायपालिका में अब तक के इतिहास में ऐतिहासिक फैसलों को सुनाया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस चंद्रचूड़ को भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलायी। जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 तक 2 साल के लिए इस पद पर रहेंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं।
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