राहुल गांधी ने ''मिशन शक्ति'' की सफलता के लिए डीआरडीओ की सराहना की और राष्ट्र के नाम संबोधन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि वह मोदी को ''विश्व रंगमंच दिवस'' की बधाई देते हैं।
गंभीर रूप से घायल सुरक्षा कर्मियों में से 90 प्रतिशत कुछ घंटे में दम तोड़ देते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए डीआरडीओ की चिकित्सकीय प्रयोगशाला ‘कॉम्बैट कैजुएलिटी ड्रग’ लेकर आयी है।
श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केन्द्र से गुरुवार को होने वाले पीएसएलवी-सी44 के प्रक्षेपण के लिए 16 घंटे की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।
निशांत अग्रवाल मौजूदा वक्त में ब्रह्मोस मिसाइल इंटीग्रेशन में तैनात था। निशांत को यंगेस्ट साइंटिस्ट का अवॉर्ड भी मिल चुका है। एटीएस के मुताबिक निशांत अग्रवाल लंबे वक्त से सोशल मीडिया में एक्टिव था।
भारत ने सतह से सतह पर मार करनेवाली मिसाइल प्रहार का सफल प्रक्षेपण कर रक्षा के क्षेत्र आज फिर एक नई उपलब्धि हासिल कर ली है।
DRDO भर्ती 2018: डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन (डीआरडीओ) ने 494 सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट 'बी' के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगा है।
DRDO और DIHAR भर्ती 2018: देश के प्रतिष्ठित रक्षा संगठन डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन (डीआरडीओ), डिफेन्स इंस्टीटयूट ऑफ हाई अल्टीट्यूड रिसर्च (डीआईएचएआर) ने जूनियर रिसर्च फेलो और रिसर्च एसोसिएट पदों पर भर्ती के लिेए आवेदन आमंत्रित किये हैं।
भारत ने सोमवार को सफलतापूर्वक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्राह्मोस का परीक्षण किया.......
सूत्रों के मुताबिक, यह परीक्षण सेना द्वारा कम समय में भी इसे प्रक्षेपित करने की तैयारी की पुष्टि करता है। अग्नि -1 मिसाइल में एक विशेष नेविगेशन प्रणाली है जो यह सुनिश्चित करती है कि मिसाइल बिल्कुल सटीक तरीके से अपना निशाना भेदने में सफल हो।
गुरुवार को हुई टेस्टिंग के बाद भारत अमरीका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे मुल्क़ों की कतार में खड़ा हो गया है क्योंकि ये सभी वो देश हैं जो एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक मार करने वाली बैलेस्टिक मिसाइलें रखते हैं।
मिसाइल के तय ऊंचाई और गति तक पहुंचते ही बूस्टर मोटर अलग हो जाता है और टर्बोफैन इंजन आगे के प्रक्षेपण के लिए स्वत: ही काम करने लगता है। इसी खासियत की वजह से यह रॉकेट से विमान और फिर मिसाइल में तब्दील हो जाती है।
डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक ने मिसाइल के प्रक्षेपण के तुरंत बाद कहा कि परीक्षण की सभी शुरुआती प्रक्रिया सफल रहीं। उन्होंने बताया कि विस्तृत आकलन के लिए ट्रैकिंग प्रणाली से डेटा हासिल किया जा रहा है। एडवांस्ड सिस्टम्स लैबोरेटरी (एएसएल) द्वारा विकसित ठोस र
भारतीय सेना को सालों के इंतजार के बाद आखिरकार 2020 तक मध्यम दूरी की सतह से हवा में प्रहार करने वाली यह मिसाइल मिल जाएगी।
अवाडी में सेना के लिए कॉम्बैट विहिकिल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टिब्लिशमेंट ने इसका टेस्ट किया गया, लेकिन अर्धसैनिक बल इन टैंक्स का इस्तेमाल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में करने में रुचि दिखा रहे हैं। इसके लिए टैंक में कुछ संशोधनों करने की जरूरत होगी। अ
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