श्रीलंका और पड़ोसी पाकिस्तान के बाद अब तालिबान शासित अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में भी भूचाल आने के संकेत मिल रहे हैं। पिछले कई महीनों से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अफगानी मुद्रा में गिरावट का दौर जारी है। इससे तालीबानियों को कुछ सूूझ नहीं रहा है। वैसे अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में ज्यादातर आतंकवाद का ही पैसा लगा है।
वित्त मंत्रालय ने आयात शुल्क की गणना के लिए डॉलर का मूल्य 73.65 रुपये तय किया है।
शुक्रवार को रुपया 34 पैसे और मजबूत होकर पिछले एक सप्ताह के उच्च स्तर 71.84 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया।
रिजर्व बैंक मार्च में डॉलर का खरीदार रहा। बैंक ने रुपए की मजबूती को थामने के लिए मार्च माह में हाजिर बाजार से 3.53 अरब डॉलर की निवल खरीदारी की।
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