केंद्र सरकार ने बिहार, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु और पुडुचेरी के लिए 1280. 35 करोड़ रुपये की अतिरिक्त केंद्रीय सहायता को मंजूरी दी है। सबसे ज्यादा 588. 73 करोड़ रुपये की मदद बिहार को मिली है।
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कांग्रेस पर बड़े आरोप लगाए हैं और कहा है कि जो भी करना है हमें ही करना है।
10 जून को पीएम मोदी वायनाड के दौरे पर थे। यहां उन्होंने आपदा प्रभावित इलाकों का जायजा लिया और आपदा की मार झेल रहे पीड़ितों से भी उन्होंने मुलाकात की। इस दौरान उन्हें राहत शिविर में एक प्यारी सी बच्ची मिली। जिसे उन्होंने खूब दुलार और प्यार दिया। बच्ची भी मोदी जी को अपने दादा जी समझकर उनके साथ खेलने लगी।
केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन से बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं। जिले में 300 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। अभी भी मलबे से शव निकाले जा रहे हैं। सेना और एनडीआरएफ टीम का राहत और बचाव कार्य जारी है।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि इस विधेयक में राज्य सरकार के अधिकारों का अतिक्रमण किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को समवर्ती सूची में संशोधन करके उचित प्रविष्टि करनी चाहिए ताकि आपदा का विषय समुचित तरीके से समाविष्ट हो।
दुनिया पर अचानक आने वाली आपदा में भारत विश्व का सबसे बड़ा मददगार बनकर उभरा है। संयुक्त राष्ट्र भी भारत की इस विशेषता का कायल हो चुका है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने महामारी से लेकर युद्ध तक और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में दुनिया के कई देशों की निःस्वार्थ मदद की है। लिहाजा यूएन ने एक भारतीय को अपना प्रतिनिधि बनाया है।
लाल सागर से लेकर अरब सागर तक और अदन की खाड़ी से लेकर जिबूती और सोमालिया के पूर्वी तट तक भारतीय नौसेना के जांबाज अब प्रलय मचाने के लिए तैयार हैं। रक्षा मंत्रालय ने वाणिज्यिक जहाजों पर लगातार हो रहे हमले को रोकने और समुद्री लुटेरों पर पाबंदी के लिए इन सभी क्षेत्रों में नौसेनिकों की तैनाती का फैसला किया है।
साल 2023 आपदाओं के मामले में सबसे मनहूस साल कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इस साल दुनिया ने तुर्किये-सीरिया के भूकंप, लीबिया की बाढ़ और हिमाचल प्रदेश के भूस्खलन तक की तस्वीरें देखी और लोखों लोगों ने इन प्राकृतिक आपदाएं का दंश झेला और अब तक झेल रहे हैं। यहां हम साल 2023 की ऐसी ही टॉप 10 आपदाओं के बारे में बता रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रा पर बोले पीएम मोदी-हम सबकी प्रतिक्रिया एक होनी चाहिए, अलग-थलग नहीं।
फिलहाल लोगों को जोशीमठ से सुरक्षित बाहर निकालना ही एकमात्र उपाय है। हालांकि लोग आसानी से अपना घर-बार छोड़ने को तैयार नहीं हैं। वे विरोध कर रहे हैं। उनकी भावनाएं समझी जा सकती हैं क्योंकि जहां पीढ़ियों से रह रहे हैं।
UP News: इस सप्ताह के अंत में जारी अधिसूचना में सांड और नीलगाय के हमले के कारण हुई मौतों को राज्य आपदा घोषित किया गया है।
Himachal Pradesh: उन्होंने यह भी कहा कि 29 जून से राज्य को सड़कों, पानी की लाइनों और बिजली व्यवस्था के क्षतिग्रस्त होने के कारण कुल 1,014.08 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
अगले 48 घंटे में दक्षिण-पश्चिम मानसून के ओडिशा, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में गरज-चमक के साथ बारिश होने की संभावना है। इधर, असम में मूसलाधार बारिश की वजह से जगह-जगह लैंडस्लाइड से आफत मची हुई है। वहीं हिमाचल के कुल्लू में बादल फटने की सूचना है।
SBI रिपोर्ट के अनुसार प्राकृतिक आपदा जोखिमों से बचाव के लिए एक राष्ट्रीय आपदा पूल बनाकर सार्वजनिक-निजी समाधान ही एकमात्र रास्ता है।
योग गुरु स्वामी रामदेव ने इंडिया टीवी के एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा की ओर से उत्तराखंड के चमोली आपदा पीड़ितों की मदद के लिए 64 लाख रुपए की मदद को राष्ट्र प्रेम की सराहनीय मिसाल बताया है।
उत्तराखंड के चमोली जिले में 10 दिन पहले आई विकराल बाढ़ के बाद तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की सुरंग में फंसे कर्मियों को सुरक्षित बाहर निकालने की हर क्षण के साथ और धूमिल होती उम्मीदों के बीच कीचड़ से भरी इस सुरंग में बचाव कार्य लगातार जारी है।
एनटीपीसी ने आपदा में जान गंवाने वाले श्रमिकों को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है। एनटीपीसी ने कहा है कि तपोवन परियोजना की वजह से बैराज ने कई गांवों को बह जाने से बचा लिया।
तपोवन में हुई तबाही के बीच एक और बड़ा खतरा दस्तक दे रहा है। जानकारी के मुताबिक सात फरवरी को हुई तबाही के बाद ऋषिगंगा नदी के मुहाने पर मलबा जमा होने से नदी का बहाव रूक गया है और यहां पर एक कृत्रिम झील बन गई है।
ऋषि गंगा नदी में जलस्तर बढ़ने की वजह से चमोली के पास तपोवन टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन फिलहाल रोक दिया गया था लेकिन अब ऑपरेशन को फिर से शुरू किया गया है
उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को एक ग्लेशियर टूटने से भयंकर तबाही हुई है। ग्लेशियर टूटने से पीपल कोटी पावर प्रोजेक्ट (Pipalkoti Hydro Electric Project (4 x 111 MW) को काफी नुकसान पहुंचा है।
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