तेल विपणन कंपनियों (OMCs) ने गुरुवार को चार महानगरों में ईंधन की कीमतों में संशोधन पर विराम का बटन दबाया। राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल 101.19 रुपये प्रति लीटर बिका।
सरकार को चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 10,000 करोड़ रुपये, 2023-24 में 31,150 करोड़ रुपये और उससे अगले साल में 52,860.17 करोड़ तथा 2025-26 में 36,913 करोड़ रुपये का भुगतान तेल बॉन्ड को लेकर करना है।
लोग आज सार्वजनिक परिवहन की तुलना में अपने निजी वाहनों का इस्तेमाल करने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
जानकार मान रहे हैं कि तेल की सप्लाई में बढ़त, कोरोना के बढ़ते मामले और अमेरिका और चीन के सुस्त आर्थिक आंकड़ों की वजह से क्रूड कीमतों में फिर दबाव देखने को मिल सकता है।
ब्रेंट क्रूड वापस 71 के स्तर पर पहुंच गया है, जो कि एक हफ्ते पहले 67 के स्तर से नीचे आ गया था। फिलहाल देश के कई राज्यों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के पार है।
केंद्रीय एमएसएमई मंत्री ने कहा “कच्चे तेल की आयात लागत बढ़ गई है। इसलिए, हमें (केंद्र सरकार को) पेट्रोल, डीजल, एलपीजी की खुदरा कीमतों में वृद्धि करनी होगी।
2040 तक भारत की ईंधन मांग बढ़कर 40-45 करोड़ टन प्रति वर्ष हो जाएगी, जो वर्तमान में 25 करोड़ टन है।
बीते हफ्ते कच्चे तेल में पिछले 9 महीने की सबसे लंबी अवधि की गिरावट देखने को मिली है। ब्रेंट क्रूड फिलहाल 66 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया है
हफ्ते के दौरान कच्चे तेल की कीमतें करीब 7 प्रतिशत घटी हैं। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से ही तेल कीमतों में कटौती का रास्ता साफ हुआ।
पेट्रोल के दाम में 5.40 रुपए की बढोत्तरी की गई है। राजनीतिक संचार पर प्रधानमंत्री के विशेष सहायक शाहबाज गिल ने गुरुवार को कहा कि संघीय सरकार ने पेट्रोल की कीमत में 5.40 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि को मंजूरी दी है।
कोल इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि कोल इंडिया की लागत बढ़ गई है इस स्थिति में ऐसा कोई कारण नहीं दिख रहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र की यह कंपनी कोयले की कीमत न बढ़ाए।
1-15 अगस्त के दौरान बिक्री 18.5 प्रतिशत बढ़कर 2.11 मिलियन टन हो गई है। इंडियन ऑयल के मुताबिक डीजल की मांग में तेजी से बढ़त जारी है और दिवाली तक ये कोविड से पहले के खपत के स्तर से ऊपर पहुंच जाएगी।
पिछले महीने, डीजल की खपत कोविड से पहले के स्तरों की तुलना में 11 प्रतिशत कम रही। मार्च के बाद यह लगातार तीसरा महीना है जिसमें खपत में वृद्धि देखी गई है।
सीतारमण ने कहा कि सरकार ने इन तेल बांडों पर पिछले 5 वर्षों में 60,000 करोड़ रुपये से अधिक ब्याज का भुगतान किया है और अभी भी 1.30 लाख करोड़ रुपये बकाया है।
सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने घरों तक डीजल उपलब्ध कराने की सेवा देने वाली ऐप आधारित इकाइयों हफसफर इंडिया और ओकारा फ्यूलोजिक्स के साथ गठजोड़ किया है।
कोविड की तीसरी लहर की आशंका से कच्चे तेल में नरमी देखने को मिल रही है। हालांकि गिरावट के बावजूद ब्रेंट 70 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बना हुआ है।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड ने भी गुयाना से अपना पहला कच्चा तेल कार्गो जुलाई 2021 में खरीदा है और यूएस ग्रेड कच्चे तेल की वैकल्पिक खरीद के लिए यूएसए के साथ आवधिक अनुबंध किया है।
13 हफ्ते से कम के वक्त में पेट्रोल में 11.44 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है। वहीं डीजल की कीमत भी पिछले दो महीनों में 9.14 रुपये प्रति लीटर बढ़ी है।
कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण लगाए गए प्रतिबंधों में ढील से देश में जुलाई माह के दौरान ईंधन की मांग में वृद्धि दर्ज की गई तथा पेट्रोल की खपत महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच गई।
12 हफ्ते से कम के वक्त में पेट्रोल में 11.44 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है। इसी तरह, राजधानी में डीजल की कीमत भी पिछले दो महीनों में 9.14 रुपये प्रति लीटर बढ़ी है।
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