दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता खराब होने के चलते इस बार सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बावजूद दिल्ली के कई इलाकों में लोग पटाखे जलाते दिखे।
दिल्ली में वायु प्रदूषण से हल्की राहत को देखते हुए सरकार ने ऑड-ईवन योजना को लागू करने के फैसले को फ़िलहाल वापस ले लिया है। इससे पहले 13 नवंबर से 20 नवंबर तक दिल्ली में ऑड-ईवन योजना लागू करने का फैसला किया गया था। अब 20 तारीख के बाद ताजा स्थिति को देखकर फैसला लिया जाएगा।
दिल्ली एनसीआर क्षेत्र प्रदूषण से बेहाल है। हर रोज क्षेत्र का AQI खतरनाक लेवल पर रह रहा है। ऐसे में विकराल होती स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार ने सभी स्कूलों में सर्दी की छुट्टियों का ऐलान कर दिया है। इस बीच प्रदूषण को लेकर एक जरूरी डेटा सामने आया है।
इन दिनों दिल्ली की हवाओं में जहर फैला हुआ है। वायु प्रदूषण की वजह से लोगों के फेफड़ों पर भी बूरा असर पड़ रहा है और सांस लेने में बेहद तकलीफ हो रही है। ऐसे में अपने बचाव के लिए आप इन ड्रिंक्स को अपनी डाइट में शामिल कर लें।
दिल्ली-NCR में वायू प्रदूषण 'खतरनाक' स्थिति में बनी हुई है। इस वजह से दिल्ली-NCR के लोगों को काफी समस्या हो रही है। अब इसे रोकने के लिए आनंद महिंद्रा ने एक आईडिया शेयर किया है।
पटाखे फोड़ने से बहुत ज़्यादा प्रदूषण फैलता है और इस बार दिवाली के पहले ही दिल्ली-एनसीआर की हवाओं में जहर घुल गया है। ऐसे में इस साल आप दिवाली के दिन पटाखे फोड़ने की बजाय ऐसे मनाएं ये त्यौहार।
वायु प्रदूषण के बढ़ने से इसका सीधा असर हमारे शरीर पर होता है। जहरीली हवा सिर्फ फेफड़े और इम्यून सिस्टम को ही कमजोर नहीं कर रही बल्कि बढ़ते प्रदूषण से आंखों में जलन और खुजली की समस्या भी पैदा हो रही है।
गाजा में जहां इजराइल ताबड़तोड़ बम बरसाकर इमारतों को जमींदोज कर रहा है। इस कारण धूल और धुएं का गुबार उठ रहा है। इसके बावजूद गाजा की हवा प्रदूषित दिल्ली के मुकाबले 10 गुना ज्यादा साफ है। जानिए दिल्ली के मुकाबले कितना है वहां का AQI?
प्रदूषण से परेशान दिल्ली एनसीआर के लोगों के लिए खुशखबरी है। जल्द ही उन्हें राहत मिल सकती है। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में भी तापमान में गिरावट जारी है। आइए जानते हैं आज के मौसम का हाल।
Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों प्रदूषण का जलजला आया हुआ है। हवा की क्वालिटी इतनी खराब हो गई है कि लोग घर से बाहर निकलने से भी कतरा रहे हैं। इस समय AQI लेवल 600 के पार पहुंच गया है, जबकि सांस लेने के लिए AQI लेवल 50 से कम होना चाहिए। ऐसे में एम्स के डॉक्टर्स का इस पर क्या कहना है चलिए आपको बताते हैं।
राष्ट्रीय राजधानी में खतरनाक स्तर पर वायु प्रदूषण को देखते हुए 10 नवंबर तक के लिए प्राइमरी स्कूलों को बंद करने का सरकार ने फैसला लिया है। इस दौरान कक्षा 6 से 12वीं तक के स्कूलों को ऑनलाइन कक्षाओं में शिफ्ट होने का विकल्प दिया गया है।
ऐसा लगता है जैसे दिल्ली-NCR में प्रदूषण विस्फोट हो गया हो। ज्यादातर हिस्सों में AQI लेवल 600 के पार पहुंच गया है। दूसरे शहरों के मुकाबले दिल्ली सबसे प्रदूषित शहर बन कर रह गई है। ऐसे में योग-आयुर्वेद से शरीर में जाने वाले जहर को रोकिए।
हर साल की तरह इस बार भी दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में नवंबर आते-आते प्रदूषण एक बार फिर से बढ़ना शुरू हो गया है। सांस लेने में परेशानी, खांसी, जुकाम जैसी समस्याओं का दिखना शुरू हो चुका है। आइए जानते हैं इस बारे में डिटेल से।
वैज्ञानिकों ने अगले दो सप्ताह के दौरान दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ने की चेतावनी जारी की है। यह चिंताजनक इसीलिए है क्योंकि कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक पहले ही 400 से ज्यादा है।
दिल्ली में इस बार का अक्टूबर महीना पिछले साल से कहीं ज्यादा प्रदूषित रहा है। सरकार ने प्रदूषण पर कंट्रोल के लिए तैयारी तेज कर दी है। हालांकि, गुरुवार को नोएडा ने AQI के आंकड़े में दिल्ली को पीछे कर दिया है।
दिल्ली-एनसीआर में हर रोज हवा और भी ज्यादा जहरीली होती जा रही है। अस्पतालों में फेफड़ों और आंख के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर 300 के पार जा चुका है और आने वाले दिनों में इसके और भी बढ़ने की संभावना है।
राजधानी दिल्ली में प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ अभियान बृहस्पतिवार को आईटीओ चौराहे से शुरू हो गया, लेकिन इससे कितना फायदा होगा यह अभी भी एक बड़ा सवाल है।
गर्मी और धूप से परेशान लोगों के लिए खुशखबरी है। दिल्ली एनसीआर में अब धीरे-धीरे ठंड का एहसास होने लगा है। सोमवार को हुई हल्की बारिश और ठंडी हवाओं ने इस क्षेत्र के तापमान में काफी गिरावट ला दी है।
दिल्ली में ठंड के दस्तक देते ही वायु प्रदूषण का स्तर बिगड़ने लगता है। इस बार भी ऐसा ही होता हुआ दिख रहा है। कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर ख़राब स्थिति में पहुंच चुका है। इसके साथ ही अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में हालात और भी बिगड़ेंगे।
भूगर्भ विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के कुल भूभाग के लगभग 59 फीसदी हिस्से को भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है। हमारी धरती के भीतर 7 टेक्टोनिक प्लेट्स हैं। ये प्लेट्स लगातार अपने स्थान पर घूमते रहती हैं। हालांकि, कभी-कभी इनमें टकराव या घर्षण भी होता है। इस कारण भूकंप आता है।
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