दिल्ली सरकार के इस फैसले से उन लोगों की जेब पर बोझ पड़ना तय है जो लोग दूसरे शहरों में रहते हैं और दिल्ली में नौकरी करते हैं, क्योंकि नौकरी करने वाले लोगों को हर हफ्ते 5 से 6 दिन दिल्ली आना होगा और हर बार उन्हें कंजेशन टैक्स चुकाना होगा।
किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च के चलते प्रशासन ने दिल्ली से सटे हरियाणा और पंजाब के सभी बॉर्डरों की अभेद किले में तब्दील कर दिया है। इन रास्तों पर बड़े कंक्रीट के बैरिकेड लगे हैं और कीलें बिछाई गई हैं। साथ ही दो स्टेडियम को अस्थाई जेल बनाया है।
आंदोलन करने वाले 40 किसान संगठनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय से जारी प्रदर्शन को बृहस्पतिवार को स्थगित करने का फैसला किया और घोषणा की है कि किसान 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं वाले विरोध स्थलों से घर लौट जाएंगे।
किसान आंदोलन के 7 महीने हो रहे हैं पूरे, राकेश टिकैत बोले- अब बिना बताए ट्रैक्टर ले जाएंगे दिल्ली l
किसान आंदोलन का केंद्र बने गाजीपुर बाॉर्डर से राहत की खबर है। दिल्ली से गाजियाबाद जानेवाले रास्ते को खोल दिया गया है।
किसान आंदोलन के चलते हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश से लगती दिल्ली की सीमाओं के अनेक स्थानों पर बंद रहने के कारण सोमवार को लोगों को भारी यातायात जाम का सामना करना पड़ा।
केंद्र सरकार ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दिल्ली में किसान आंदोलन वाली जगहों यानि सिंघू बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और टीकरी बॉर्डर तथा इनसे सटे इलाकों में इंटरनेट सेवाओं को रविवार 31 जनवरी रात तक अस्थाई तौर पर बंद कर दिया गया है। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है और दिल्ली पुलिस कमिश्नर को इस संबंध में सूचित कर दिया गया है। पहले भी सरकार इन जगहों पर इंटरनेट सेवा बंद कर चुकी है लेकिन बाद में बहाल किया गया था। अब एक बार फिर से इन जगहों पर इंटरनेट सेवा को बंद रखने का फैसला किया गया है। सुरक्षा कारणों से इंटरनेट सेवा को बंद किया गया है।
राष्ट्रीय राजधानी में गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद बृहस्पतिवार को भी दिल्ली से लगी सीमाओं पर पुलिस बल की भारी तैनाती है।
सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए आज 40 किसान संगठन ट्रैक्टर मार्च निकाल दिल्ली घेरने की तैयारी में हैं। आज हजारों किसान ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। उनका कहना है कि ये गणतंत्र दिवस की रिहर्सल है।
देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। किसान संगठन केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लाए गए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। किसान संगठनों के बीच अबतक की बातचीत में कोई हल नहीं निकल पाया है। ऐसे में आज किसान संगठनों के मुखियाओं ने एक दिवसीय अनशन कर रहे हैं।
किसानों को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि विरोध दल किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर अराजकता का महौल बना रहे है। केंद्र ने किसानों के लिए कई बड़े कदम उठाए।
किसान नेता बलदेव सिंह ने कहा कि अब ये आंदोलन सिर्फ पंजाब का न होकर पूरे देश में बढ़ चुका है, भारत बंद के आह्वान को लेकर सरकार तिलमिलाई हुई है। किसान नेताओं ने कहा कि 8 दिसंबर को सुबह से शाम तक बंद होगा। चक्का जाम 3 बजे तक होगा। एम्बुलेंस और शादियों के लिए रास्ता खुला रहेगा, शांतिपूर्ण प्रदर्शन रहेगा।
किसान संयुक्त मोर्चा के प्रधान रामपाल सिंह ने आज ऐलान किया है कि आज सरकार के साथ होनेवाली बैठक में आर-पार की लड़ाई करके आएंगे।
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज शुक्रवार (4 दिसंबर) को 9वां दिन है। नए कृषि कानूनों पर सरकार के साथ जारी बातचीत के बीच किसान अपनी मांगों को लेकर किसी भी सूरत में झुकने को तैयार होते नजर नहीं आ रहे हैं।
महाराष्ट्र के नासिक, गुजरात के मेहसाणा और राजस्थान के बारां में रहने वाले किसानों ने इंडिया टीवी को बताया कि आखिर नए कृषि कानूनों से उच्च मूल्यों पर फसल बेचकर फायदा उठा रहे हैं। आज की बात में रजत शर्मा के साथ देखिए पूरी रिपोर्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए कृषि कानूनों पर कहा कि इसपर भ्रम फैलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी-प्रयागराज 6 लेन चौड़ी सड़क का उद्घाटन करते हुए अपने भाषण में कहा कि नए कृषि सुधारों से किसानों को नए विकल्प और नए कानूनी संरक्षण दिए गए हैं। पहले मंडी के बाहर हुए लेनदेन ही गैरकानूनी थे। अब छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है। किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है।
सिंधु बॉर्डर पर किसानों की बैठक के बाद लिए गए फैसलों के बारे में बताते हुए भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) क्रांतिकारी (पंजाब) के प्रदेश अध्यक्ष सरजीत सिंह फूल ने कहा, 'हमने केंद्र के निमंत्रण को स्वीकार नहीं किया है क्योंकि यह इस शर्त के साथ आया है कि सभी किसानों को बुराड़ी पार्क में शिफ्ट कर देना चाहिए और अगले दिन सरकार से बातचीत होगी। हरियाणा सरकार ने हमारा रास्ता रोकने के लिए सड़कों को खोद दिया। अब जब सरकार ने शर्त रखी है तो हम बुराड़ी पार्क नहीं जाएंगे क्योंकि यह एक खुली हुई जेल है।
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