दिल्ली में आज वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 386 दर्ज किया गया है। नोएडा में तो प्रदूषण रिकॉर्ड तोड़ने को तैयार है, यहां का AQI 540 के पार है जो कि बेहद गंभीर श्रेणी में है।
दिल्ली में कम तापमान और धीमी हवाओं के कारण पैदा हुई मौसम संबंधी प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण वायु प्रदूषण का स्तर शुक्रवार को गंभीर श्रेणी में पहुंच गया और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 406 दर्ज किया गया।
दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर शुक्रवार को ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया और सुबह नौ बजे एक्यूआई 403 दर्ज किया गया। दिल्ली में न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और अधिकतम तापमान के 28 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रहने की संभावना है।
तेज हवा चलने से रविवार तथा सोमवार को वायु गुणवत्ता में सुधार दर्ज किया गया था। मंगलवार को 24 घंटे का औसतन एक्यूआई 290 रहा था। इस महीने में दूसरी बार एक्यूआई में इतना सुधार देखा गया था, जो इससे पहले एक नवंबर को 281 दर्ज किया गया था।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रविवार को 20 किलोमीटर प्रति घंटे और सोमवार को 25 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली हवाओं से वायु गुणवत्ता में और दृश्यता में सुधार देखने को मिला है।
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सोमवार को दस दिशा निर्देश जारी किए जिनमें ट्रक के प्रवेश पर रोक, स्कूल तथा कॉलेज बंद करने, निर्माण कार्यों पर रोक आदि कदम शामिल है।
शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘‘अच्छा’’, 51 और 100 के बीच एक्यूआई को ‘‘संतोषजनक’’, 101 और 200 के बीच ‘‘मध्यम’’, 201 और 300 के बीच ‘‘खराब’’, 301 और 400 के बीच ‘‘बेहद खराब’’ तथा 401 और 500 के बीच एक्यूआई को ‘‘गंभीर’’ श्रेणी में माना जाता है।
इससे पहले दिन में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्र में अपने समकक्ष भूपेंद्र यादव से संयुक्त बैठक बुलाने और दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने का आग्रह किया।
दिल्ली एनसीआर में जारी प्रदूषण की हालत पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली की केजरीवाल सरकार कुछ हरकत में दिखी। प्रदूषण पर लगाम लगाने के कुछ और उपाय किए गए।
दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शाम चार बजे 353 रहा। पराली के उत्सर्जन में गिरावट से राजधानी में 24 घंटे का औसत एक्यूआई शनिवार को 437 था जो रविवार को 330 पर आ गया।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता अभी भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि भले ही हवा चलने से AQI में सुधार आ जाए लेकिन हालात एक दिन में सामान्य नहीं होंगे। यह जहरीली हवा धीरे-धीरे हमारे फेफड़ों को खराब कर देगी जिससे सांस की बीमारियां बढ़ेंगी।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली में वाहनों का परिचालन रोकने और दो दिन के लॉकडाउन लगाने जैसे कदमों को अपनाने का सुझाव दिया था। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा था कि वे वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आपात कदम उठाएं।
दिल्ली के खतरनाक वायु प्रदूषण ने सांसों पर संकट खड़ा कर दिया है। पिछले हफ्ते भर में 500 AQI के साथ दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित 10 शहरों में टॉप पर है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो दिल्ली में जल्द ही लॉकडाउन लगाया जा सकता है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमण, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ओर न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा से कहा, "दिल्ली सरकार ने कहा है कि उसने स्मॉग टॉवर लगाए हैं। क्या ये काम कर रहे हैं?"
सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में वृद्धि को “आपातकालीन स्थिति” करार दिया और जोर देकर कहा कि महत्वपूर्ण उपाय किए जाने की आवश्यकता है।
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए केन्द्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने एक गाइडलाइन जारी की है, जिसमें लोगों को बाहर निकलने की मनाही और बाहरी गतिविधियां कम करने की सलाह दी गई है। हवा इतनी घातक है कि दिल्ली के अस्पतालों में ओपीडी मरीजों की संख्या 25 फीसदी तक बढ़ चुकी है।
दिल्ली में अगले दो दिनों तक एयर लॉक की स्थिति रहने वाली है और प्रदूषण भी कई गुना तक बढ़ सकता है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने एक बार फिर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखा और पराली जलाने को लेकर इमरजेंसी मीटिंग बुलाने की मांग की है।
इस बीच पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को फिर से एक पत्र लिखकर पराली जलाने के मुद्दे पर चर्चा के लिए एनसीआर के सभी राज्यों के साथ आपात बैठक बुलाने का अनुरोध किया।
दिल्ली में अगले कुछ दिनों में तापमान में और गिरावट दर्ज की जा सकती है। दिन में आसमान साफ रहने के साथ ही हल्की धुंध या कोहरा छा सकता है। अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान है।
पिछले चार वर्षों की धुंध की पहली घटना की तुलना करने पर मौजूदा धुंध 2018 और 2020 की पहली धुंध की अवधि से मिलती है जो छह दिनों तक रही थी। अगर परिस्थितियों में सुधार नहीं होता है तो यह 2019 की धुंध से भी अधिक समय तक रह सकती है जो आठ दिनों तक रही थी।
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