राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता मंगलवार को 'बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज की गई। दिल्ली की वायु गुणवत्ता 31 अक्टूबर तक 'बहुत खराब' श्रेणी में रहने का अनुमान है।
राष्ट्रीय राजधानी में जहरीले धुंध की परत छाने के बीच वायु की गुणवत्ता लगातार चौथे दिन सोमवार को 'बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज की गई। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था ‘सफर’ ने कहा कि वायु की गुणवत्ता 31 अक्टूबर तक बहुत खराब श्रेणी में बनी रहने की आशंका है।
देश के उत्तरी भाग में सर्दी का प्रकोप बढ़ने के साथ ही प्रदूषण हवा को दिन ब दिन जहरीली बनाता जा रहा है। पंजाब हरियाणा के खेतों से उठ रहा पराली का धुंआ सबसे ज्यादा प्रभाव दिल्ली एनसीआर के शहरों पर डाल रहा है।
राजधानी दिल्ली में सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है। यहां हवा की क्वालिटी बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई है। SAFAR के मुताबिक, शनिवार सुबह दिल्ली का AQI 304 दर्ज किया गया, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में आता है।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता और खराब हो गई है। राष्ट्रीय राजधानी के कई क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। सरकारी एजेंसियों ने पूर्वानुमान व्यक्त किया है कि आगले दो दिनों में वायु गुणवत्ता और खराब होगी।
ठंड के मौसम में दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के बीच सियासी लड़ाई भी छिड़ चुकी है। भाजपा ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को प्रदूषण से निपटने में फेल बताया है।
दिल्ली में बुधवार की सुबह प्रदूषण का स्तर “बहुत खराब” श्रेणी में पहुंच गया। एक सरकारी एजेंसी की ओर से यह जानकारी दी गई।
राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सोमवार सुबह ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई, वहीं सरकारी एजेंसियों ने कहा कि अगले कुछ दिन में हवा की दिशा में बदलाव और गति में कमी की वजह से इसमें और गिरावट से वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आ सकता है।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए जनरेटरों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। दिल्ली समेत नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में जरूरी व आपात सेवाओं को छोड़कर डीजल जनरेटरों के इस्तेमाल पर पूर्ण पाबंदी रहेगी।
राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता में गिरावट आ गई है। दिल्ली में वायु की गुणवत्ता सोमवार को ‘खराब' श्रेणी में दर्ज की गई लेकिन हवा की गति ठीक होने से इसमें आंशिक सुधार होने की संभावना है।
राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता बृहस्पतिवार को आठ महीनों में सबसे निचले स्तर पर रही। शहर के पीएम 2.5 स्तर में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी केवल छह प्रतिशत रही।
दिल्लीवालों की सुबह आज प्रदूषण की धुंध से शुरू हुई। मौसम में कुछ ठंडक जरूर आई है लेकिन अब प्रदूषण की समस्या बढ़ने लगी है। धीमी हवा, पराली का धुआं और धूल ने देश की राजधानी की हवा को खराब कर दिया है।
राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में सोमवार सुबह वायु की गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई और अतिसुक्ष्म कणों - पीएम 2.5 और पीएम10 - का स्तर इस मौसम में अब तक का अधिकतम रहा।
दिल्ली में वायु गुणवत्ता बुधवार सुबह थोड़ी देर के लिए ‘‘खराब’’ की श्रेणी में पहुंच गई थी। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में पीएम10 सुबह 10 बजे 225 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया।
वर्तमान में दिल्ली में वायु गुणवत्ता हालांकि मध्यम श्रेणी में है, लेकिन आने वाले दिनों में राजधानी की हवा और दूषित हो सकती है। इसका कारण पराली जलाने की घटनाओं का बढ़ना है। यह जानकारी सोमवार को सफर ने दी।
राष्ट्रीय राजधानी से मॉनसून वापसी में हुई देरी से दिल्ली में हवा की क्वॉलिटी पर आने वाले दिनों में बहुत ही खराब असर हो सकता है।
दिल्ली में शनिवार सुबह वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’ श्रेणी में रही वहीं सोमवार को इसके ‘खराब’ की श्रेणी में आने का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। दिल्ली में सुबह साढ़े नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 168 रहा जो ‘मध्यम’ श्रेणी में आता है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गुरुवार को लगातार दूसरे दिन वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में रही। केंद्रीय एजेंसी, सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग (सफर) के अनुसार वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुबह नौ बजकर 46 मिनट पर 428 रहा।
दिल्ली में बुधवार सुबह न्यूनतम तापमान 7.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो कि इस मौसम के औसत तापमान से एक डिग्री सेल्सियस कम है। सुबह साढ़े आठ बजे सापेक्षिक आर्द्रता 92 फीसदी दर्ज की गई।
दिल्ली में सोमवार को वायु गुणवत्ता एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच गई। वायु गुणवत्ता सूचकांक 582 पर दर्ज किया गया।
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