प्रतिबंध के बावजूद बृहस्पतिवार को दिवाली के मौके पर खूब पटाखे चलने और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के मामलों में वृद्धि की वजह से त्योहार के बाद दिल्ली में वायु गुणवत्ता पिछले पांच साल में सबसे खराब स्तर पर पहुंच गई।
दिल्ली सरकार द्वारा रात 8 बजे से 10 बजे के बीच ही हरे पटाखों का उपयोग करने के दिशा-निर्देश जारी किए जाने के बावजूद प्रदूषण के आंकड़ों से पता चला है कि लोगों ने सभी श्रेणियों के पटाखे फोड़े और इस प्रकार प्रदूषण को पीएम 2.5 तक ले गए।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय शुक्रवार को एंटी स्मॉग गन लगाने के लिए पुराने पीएचक्यू के पास आईटीओ जाएंगे। एंटी-स्मॉग गन वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक उपकरण है जो वायुमंडल में धूल और अन्य कणों को व्यवस्थित करने के लिए पानी का छिड़काव करता है।
दिल्ली की हवा का स्तर पहले से ही खराब बना हुआ था और पटाखों के धुएं ने इसे बेहद खराब हालत में पहुंचा दिया। हालत ये थी कि देर रात दिल्ली के वातावरण में पटाखों का धुआ छा गया, विजिविलिटी बेहद कम हो गई।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि मॉडल अनुमान AQI को ‘उच्च उत्सर्जन के साथ भी’ ‘गंभीर’ श्रेणी तक पहुंचने का संकेत नहीं देते है।
दिल्ली में सुबह नौ बजे एक्यूआई 302 दर्ज किया गया। आज दिन में आसमान साफ रहेगा और अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रहने की संभावना है।
एक नवंबर तक दिल्ली में न्यूनतम तापमान गिरकर 13 डिग्री सेल्सियस होने की संभावना है। वहीं, अगले तीन दिनों में उत्तर भारत में खेतों में पराली जलाये जाने से दिल्ली का पीएम 2.5 प्रदूषण स्तर बढ़ जाएगा।
बता दें कि हर साल पड़ोसी राज्यों में किसानों द्वारा पराली जलाने से दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। दिल्ली में हवा की खराब गुणवत्ता के लिए पराली जलाने को सबसे बड़ा कारक बताया जाता है।
पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं का दिल्ली के प्रदूषण में अहम योगदान होता है। आंकड़ों के मुताबिक छह अक्टूबर से अबतक पंजाब में पराली जलाने की 1,008 घटनाएं दर्ज की गई हैं जबकि हरियाणा में ऐसी घटनाओं की संख्या 463 है।
दिल्ली में एक बार फिर वायु गुणवत्ता खराब होनी शुरू हो गई है। दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच पंजाब में किसानों ने पराली जलाना फिर से शुरू कर दिया है।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता रविवार को मध्यम श्रेणी में रही, लेकिन अगले 3 दिनों में इसके खराब श्रेणी में आने की संभावना है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड के अनुसार, रविवार को राजधानी का सामान्य वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 168 रहा।
सीएम केजरीवाल ने कहा कि वाहनों से होने वाले प्रदूषणों को कम करने के लिए चिह्नित 64 मार्गों पर यातायात जाम की समस्या को दूर करने के प्रयास किए जाएंगे। केजरीवाल ने कहा कि शहर में कचरा जलाने पर पूरी तरह से रोक का पालन कराने के लिए 250 दल गठित किए गए हैं।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान नेताओं पर तंज कसते हुए कहा, चुनाव जीतने के बाद पटाखे जलाए जाते हैं, जिनकी जिम्मेदारी है आदेश लागू कराने की वही उल्लंघन कराते हैं।
बता दें कि दिल्ली में पिछले साल वायु प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों से 6 गुना अधिक रहा।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नोएडा में वायु गुणवत्ता शनिवार को ‘अत्यंत खराब’ रही। वायु प्रदूषण सूचकांक ऐप समीर के अनुसार दिल्ली में वायु गणुवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 342, नोएडा में एक्यूआई 336 , गाजियाबाद में एक्यूआई 322, ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 320 रहा...
बारिश और तेज हवाओं के बाद सोमवार सुबह दिल्ली में वायु की गुणवत्ता सुधरकर ‘मध्यम’ श्रेणी में पहुंच गयी।
हवा की धीमी रफ्तार और कम तापमान के कारण दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बुधवार को बढ़ गया और गंभीर श्रेणी में आ गया, जिससे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने लोगों को बाहरी शारीरिक गतिविधियों से बचने और एन-95 या पी-100 रेस्पिरेटर्स पहनने की सलाह दी।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता रविवार को ‘‘अत्यंत खराब’’ श्रेणी में दर्ज की गई, लेकिन इसमें वायु की गति बढ़ने के पूर्वानुमान के कारण आगामी दो दिन में सुधार होने की उम्मीद है।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता शनिवार को ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई और यहां हवा की गति धीमी होने की वजह से ‘स्थानीय जनित प्रदूषक तत्वों’ का जमाव हो रहा है।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता बृहस्पतिवार को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी रही और आगामी दो दिन भी इसमें कोई सुधार होने की उम्मीद नहीं है।
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