दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शाम चार बजे 353 रहा। पराली के उत्सर्जन में गिरावट से राजधानी में 24 घंटे का औसत एक्यूआई शनिवार को 437 था जो रविवार को 330 पर आ गया।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता अभी भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि भले ही हवा चलने से AQI में सुधार आ जाए लेकिन हालात एक दिन में सामान्य नहीं होंगे। यह जहरीली हवा धीरे-धीरे हमारे फेफड़ों को खराब कर देगी जिससे सांस की बीमारियां बढ़ेंगी।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली में वाहनों का परिचालन रोकने और दो दिन के लॉकडाउन लगाने जैसे कदमों को अपनाने का सुझाव दिया था। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा था कि वे वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आपात कदम उठाएं।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार सोमवार को अदालत को लॉकडाउन और उसके तरीके पर प्रस्ताव सौंपेगी। सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, सभी विभाग और एजेंसियां सुनिश्चित करें कि जन सेवाएं सुचारू रूप से जारी रहें।
दिल्ली के खतरनाक वायु प्रदूषण ने सांसों पर संकट खड़ा कर दिया है। पिछले हफ्ते भर में 500 AQI के साथ दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित 10 शहरों में टॉप पर है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो दिल्ली में जल्द ही लॉकडाउन लगाया जा सकता है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमण, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ओर न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा से कहा, "दिल्ली सरकार ने कहा है कि उसने स्मॉग टॉवर लगाए हैं। क्या ये काम कर रहे हैं?"
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शहर में प्रदूषण के संकट से निपटने के लिए शनिवार को कई आपात उपायों की घोषणा की जिनमें एक सप्ताह के लिए स्कूलों को बंद करना, निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध और सरकारी कर्मचारियों के लिए घर से काम करना (वर्क फ्रॉम होम) शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार लॉकडाउन का प्रस्ताव भी उच्चतम न्यायालय के समक्ष पेश करेगी।
अधिकारियों ने बताया कि बैठक शाम पांच बजे होगी जिसमें उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, पर्यावरण मंत्री गोपाल राय और दिल्ली के मुख्य सचिव शिरकत करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में वृद्धि को “आपातकालीन स्थिति” करार दिया और जोर देकर कहा कि महत्वपूर्ण उपाय किए जाने की आवश्यकता है।
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए केन्द्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने एक गाइडलाइन जारी की है, जिसमें लोगों को बाहर निकलने की मनाही और बाहरी गतिविधियां कम करने की सलाह दी गई है। हवा इतनी घातक है कि दिल्ली के अस्पतालों में ओपीडी मरीजों की संख्या 25 फीसदी तक बढ़ चुकी है।
दिल्ली में अगले दो दिनों तक एयर लॉक की स्थिति रहने वाली है और प्रदूषण भी कई गुना तक बढ़ सकता है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने एक बार फिर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखा और पराली जलाने को लेकर इमरजेंसी मीटिंग बुलाने की मांग की है।
इस बीच पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को फिर से एक पत्र लिखकर पराली जलाने के मुद्दे पर चर्चा के लिए एनसीआर के सभी राज्यों के साथ आपात बैठक बुलाने का अनुरोध किया।
दिल्ली में अगले कुछ दिनों में तापमान में और गिरावट दर्ज की जा सकती है। दिन में आसमान साफ रहने के साथ ही हल्की धुंध या कोहरा छा सकता है। अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान है।
पिछले चार वर्षों की धुंध की पहली घटना की तुलना करने पर मौजूदा धुंध 2018 और 2020 की पहली धुंध की अवधि से मिलती है जो छह दिनों तक रही थी। अगर परिस्थितियों में सुधार नहीं होता है तो यह 2019 की धुंध से भी अधिक समय तक रह सकती है जो आठ दिनों तक रही थी।
दिल्ली में 15 नवंबर से जोरदार ठंड पड़ेगी और 10 डिग्री तक तापमान गिर जाएगा। वहीं बुधवार को अधिकतम तापमान 28 डिग्री जबकि न्यूनतम तापमान 13 डिग्री रहने का अनुमान है। दोपहर में भी ज्यादा राहत मिलने की उम्मीद नहीं है इसकी वजह दोपहर में सर्द हवा का चलना है।
आज सुबह भी दिल्ली में AQI चार सौ से ऊपर दर्ज किया गया, दिल्ली का ताजा AQI 423 है.यानी आज भी दिल्ली वालों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है.
आज भी दिल्ली वालों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है इसी को देखते हुए अब दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने केंद्र से इस पर इमरजेंसी मीटिंग बुलाने की मांग की है।
रविवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, पराली से होने वाले प्रदूषण का हिस्सा 48 प्रतिशत के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया है।
आज भी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बेहद गंभीर स्थिति में है। दिवाली की रात से शुरू हुआ ये सिलसिला लगातार जारी है। राजधानी के वायु गुणवत्ता के 'खतरनाक' श्रेणी में पहुंचने के पीछे पटाखे चलाने के साथ पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना भी अहम कारण है।
प्रतिबंध के बावजूद बृहस्पतिवार को दिवाली के मौके पर खूब पटाखे चलने और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के मामलों में वृद्धि की वजह से त्योहार के बाद दिल्ली में वायु गुणवत्ता पिछले पांच साल में सबसे खराब स्तर पर पहुंच गई।
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